अम्बेडकरनगर: शिया समुदाय के पहले इमाम व सुन्नी मुसलमानों के चौथे खलीफा हजरत मौला अली की शहादत पर टाण्डा सहित विभिन्न स्थानों पर जुलूसे ताबूत निकालने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। शिय समुदाय द्वारा ग़म-अली पर ताबूत सजा कर मजलिसे शुरू कर दी गई हैं। टाण्डा नगर क्षेत्र में तीन स्थानों से परंपरानुसार 21 रमज़ान को जुलूस बरामद होगा।
इस्लाम धर्म के अंतिम संदेष्टा पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के चचेरे भाई व दामाद हजरत अली का जन्म मुस्लिम समुदाय के सबसे पवित्र स्थल खाना-ए-काबा के अंदर हुआ था।
26 जनवरी 661 यानी 19 रमजान 40 हिजरी को इराक के कूफा की मस्जिद में जहर आलूद खंजर से नमाज के दौरान हज़त अली पर कातिलाना हमला किया। इस हमले में हज़रत अली बुरी तरह जख्मी हुए और अगले दो दिनों तक जख्म से लड़ते रहे। जख्म ज्यादा गहरा होने की वजह से ठीक ना हो सका और 21 रमजान 40 हिजरी को हज़रत अली को शहादत वाके हुई। हजरत अली की शहादत दिवस पर शिय समुदाय द्वारा ज़हरीला खंज़र लगने से शहादत तक के समय पर ग़म मनाते हैं।
औद्योगिक नगरी टाण्डा के आलीगंज थानाक्षेत्र में स्थित ताज तिराहा पर शिया इमामबाड़ा में 20 रमज़ान अर्थात 31 मार्च रविवार की रात्रि में ग़मे जुलूस बरामद होता है जो परिसर के अंदर ही इमामबाड़ा से बरामद होकर मस्जिद तक जाता है। दूसरा जुलूसे ग़मे अली टाण्डा कोतवाली क्षेत्र के सकरावल शिया टोला में 21 रमज़ान अर्थात 01 अप्रैल सोमवार की सुबह बरामद होता है।
टाण्डा नगर का मुख्य जुलूस-ए-ताबूत स्वर्गीय नजमुल हसन (सैय्यद वजीहुल हसन व सैय्यद रईसुल हसन गुड्डू) के आवास से बरामद होकर स्टेट बैंक होता हुआ रौजा पहुंचेगा और पुनः स्टेट बैंक होता हुआ जानना अस्पताल व नयन तारा होता हुआ राजा साहब के मैदान स्थित मस्जिद में समाप्त हो जाएगा। उक्त जुलूस में अंजुमन शमशीरे हैदरी पकड़ी व अंजुमन सिपाहे हुसैनी हयातगंज नौहा व मातम करेगी तथा बाद नमाज़ इशां मजलिसे शामे गरीबां आयोजित किया जाएगा।