अम्बेडकरनगर: हमदर्द क़बीला एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार की रात्रि को दलाल टोला जलालपुर में “एक शाम उर्दू अदब के नाम” अदबी नशिस्त कमर हामिद जलालपुरी के संयोजन, संस्थापक मेराज अहमद के संरक्षण तथा संस्थाध्यक्ष सद्दाम सिद्दीकी की अध्यक्षता में आयोजित हुई।सितारे उर्दू अवार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कालेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने संचालन किया।
संस्थाध्यक्ष सद्दाम सिद्दीकी ने कहा कि उर्दू दिलों को जोड़ने वाली जुबान है, जिसमें प्यार और तहज़ीब की झलक दिखाई देती है।शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने कहा कि शायरी सिर्फ अल्फाज़ का खेल नहीं, बल्कि रूह की आवाज है।उर्दू ने अमन शांति का पैगाम दिया है।कुमैल सिद्दीकी ने कहा कि एक सच्चा शायर जमाने के दर्द को अपनी शायरी में पेश करता है।
संयोजक हामिद कमर जलालपुरी ने कहा कि अदबी नशिस्त से उर्दू को फरोग मिलता है। संस्था अदबशाला अनवर जलालपुरी के डा.हसन सईद ने कहा कि अदबी नशिस्त से नए शायरों को शायरी पेश करने का हुनर मिलता है।संस्थापक मेराज अहमद ने शुक्रिया अदा किया।अकरम जलालपुरी ने शायरी के फ़न पर प्रकाश डाला।कुमैल डोंडवी ने शेर पढ़ा कि जुल्म ढाना छोड़ दें वर्ना दास्तां हो जाएगा,हल्क ए आतिश में आकर खुद धुवां हो जाएगा।इंसाफ टांडवी ने कहा मैं जिसको चाहूं वह आए गले लगाए मुझे,ये मोजज़ा भी मोहब्बत कभी दिखाए मुझे। अहमद सईद टांडवी ने कहा वह चंद लम्हा ही ठहरा था कुछ बरस पहले,अभी भी जिस्म की खुश्बू मेरे मकान में है।मजहर जमाल जलालपुरी ने कहा ताजमहल तो हम भी देते उसको यार निशानी में,सारे सपने टूट गए इस थोड़ी सी नादानी में। हामिद कमर जलालपुरी ने कहा गुरबत में जिस किसी को मदद की सदाएं दी, मजबूरियां वह अपनी बताने लगे।हकीम इरफान आजमी ने कहा जिक्रे महबूब सरे आम किया हो तो बता, किसी महफ़िल में तेरा नाम लिया हो तो बता। डॉ.हसन सईद जलालपुरी ने कहा बात बस इतनी सी थी कि दिल को तुम अच्छे लगे,बात अब इतनी बढ़ी कि धड़कनों तक आ गई।इसके अलावा साबिर जलालपुरी, हामिद अकरम जलालपुरी,मैकश अंसारी जलालपुरी, महमूद अख्तर जलालपुरी,इनाम जलालपुरी, परवेज नूर जलालपुरी, अहमद अयाज जलालपुरी,जीशान अकरम जलालपुरी व अन्य शायरों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।




