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अगर ध्यान ना दिया तो दरगाह किछौछा में भी हो सकती है हाथरस जैसी दुःखद घटना !

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अम्बेडकरनगर: रूहानी इलाज़ के लिए विश्व विख्यात दरगाह किछौछा में मोहर्रम माह के दौरान उमड़ने वाली भारी भीड़ को लेकर स्थानीय लोग ही नहीं मखदूम अशरफ के वंशज भी काफी चिंतित हैं। हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ के करण बड़ी संख्या में होने वाली जनहानि से अगर जिला व स्थानीय प्रशासन ने सबक नहीं लिया तो दरगाह किछौछा में भी बड़ी घटना हो सकता है।


बताते चलेंकि मोहर्रम माह की शुरुआत से दरगाह किछौछा में जायरीनों (श्रद्धालुओं) की भारी भीड़ उमड़ती है। 03 मोहर्रम से 09 मोहर्रम तक लगातार आस्ताना मखदूम अशरफ से मलंग गेट, सलामी गेट होते हुए चौक तक ताजिया जुलूस निकलता है लेकिन जिन मार्गों से ताजिया जुलूस गुजरता है वी काफी संकरा होने के कारण श्रद्धालुओं को बड़ी मुश्किलों का सामान करना पड़ता है। और ऐसे में अगर किसी कारण से तनिक भी भगदड़ हो गई तो घटना हो सकती है।
बताते चलेंकि चौक से मलंग गेट तक के मार्ग को चौड़ीकरण करने की लगातार मांग की जाती रही है। मखदूम अशरफ के वंशज सैय्यद खलीक अशरफ उर्फ खलीक मियां द्वारा केंद्रित शांति कमेटी की बैठक में भी उक्त मार्ग को चौड़ीकरण करने का मुद्दा उठाया जा चुका है। श्री खलीक अशरफ द्वारा जिलाधिकारी व अपर जिलाधिकारी से लगातार उक्त मार्ग को चौड़ा करने की मांग की जाती रही है। ज्ञात रहे पूर्व में उक्त मार्ग के दोनों तरफ से डेढ़ डेढ़ फीट चौड़ा करने पर आम सहमति भी बन चुकी है लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण उक्त योजना पर गंभीरता पूर्वक काम नहीं हो सका है। हाथरस में सत्संग के दौरान होने वाली भगदड़ में बड़ी संख्या में हुई जनहानि से दरगाह किछौछा के स्थानीय लोगों व मखदूम अशरफ के वंशजों सहित जायरीनों में भी भय पैदा हो गया है। बताते चलेंकि मोहर्रम माह के अंतिम सप्ताह में सैय्यद मखदूम अशरफ सिमनानी का वार्षिक उर्स व मेला भी होता है और उस दौरान लाखों की भीड़ होती है तथा उसी मार्ग पर भीड़ का सबसे अधिक दबाव भी होता है।
सैय्यद खलीक अशरफ ने जिला व स्थानीय प्रशासन से पुनः मांग किया है कि चौक से सलामी गेट होते हुए मलंग गेट तक के मार्ग का चौड़ीकरण कराने के साथ मोहर्रम माह में दरगाह परिक्षेत्र में अतिरिक्त विशेष सुरक्षा का इंतज़ाम किया जाए।
चर्चा है कि दरगाह किछौछा से सम्बन्धित लोगों के मध्य आपसी मतभेद के कारण दरगाह किछौछा में विकास कार्य शून्य हो गया है और प्रशासन भी आपसी खींचातानी के कारण किनारा कसता नज़र आ रहा है हालांकि दरगाह से जुड़े लोगों से जब भी वार्ता की जाती है तो वो लोग दरगाह परिक्षेत्र के विकास में किसी भी तरह का व्यवधान ना डालने की बात करते नज़र आते हैं।
बहरहाल मोहर्रम माह की शुरुआत होने वाली है और इस दौरान दरगाह किछौछा में जायरीनों की भारी भीड़ आती है और मुख्य आस्ताना की तरफ जाने वाले मुख्य मार्ग के सकरा होने से स्थानीय लोगों सहित दरगाह से जुड़े लोगों की चिंताएं हाथरस में होने वाली दुःखद घटना से बढ़ गई है। (मान्यता प्राप्त पत्रकार आलम खान एडिटर की विशेष रिपोर्ट)

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