अम्बेडकरनगर: उर्दू भाषा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से ‘बज़्म अदब साज़ टांडा’ के तत्वाधान में डॉ. दस्तगीर अहमद के आवास सकरावल टांडा में रविवार की रात को कौमी उर्दू तहरीक फाउंडेशन के संस्थापक अनस मसरूर अंसारी की संरक्षण, वसील अहमद खान की अध्यक्षता तथा मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान के संचालन में भव्य नशिस्त कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
उक्त नशिस्त प्रोग्राम का आगाज शायर सूफी टांडवी की नाते पाक से हुआ। कार्यक्रम में अनस मसरूर अंसारी ने कहा कि उर्दू हिंदुस्तान की गंगा जमुना तहजीब की मिसाल है।हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम अपने बच्चों को अंग्रेजी के साथ उर्दू की तालीम जरूर दिलाएं। और उर्दू के सेमिनार व नशिस्तों से उर्दू तरक्की करती है।नशिस्त की अध्यक्षता कर रहे वसील अहमद खान ने कहा कि उर्दू इंकलाबी जुबान है। देश की आजादी में उर्दू ने अहम किरदार (विशेष भूमिका) अदा किया है तथा अदबी नशिस्तों से उर्दू अदब को फरोग मिलता है, और देश भक्ति व भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।
शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने कहा कि उर्दू शायरी दिलों पर राज करती है।इसमें जिंदगी के सभी रंग मौजूद हैं।अवाम को शेर-ओ- शायरी से हमेशा दिलचस्पी रही है। टांडा की इल्मी व अदबी शख्सियात ने उर्दू अदब के दामन को मालामाल किया है। इंसाफ टांडवी ने कहा कि उर्दू अदब की नशो नुमा के लिए इस तरह के प्रोग्राम से आपसी मोहब्बत को फरोग हासिल होता है। और मुल्क में खुशनुमा माहौल बनने में मदद मिलती है।
डॉ.दस्तगीर ने मेहमानों को तोहफा पेश कर स्वागत करते हुए कहा कि मुझे खुशी इस बात की है कि आप सब लोग हमारी रिहाइश गाह पर तशरीफ़ लाए और खिदमत करने का मौका फराहम किया। अहमद सईद टांडवी व कमर जिलानी ने महफ़िल को आरास्ता करने में मदद की।कार्यक्रम में सईद टांडवी ने मां के हवाले से शेर पढ़ा कि सफर में निकलो तो माँ की दुआएँ ले के सईद, कसम खुदा की कभी भी न हादसा होगा।कुमैल अहमद डोंडवी ने कहा कामयाबी चाहता है तो नबी से इश्क कर, तुझपे तेरा रब यक़ीनन मेहरबां हो जाएगा।
कमर जिलानी टांडवी ने कहा उखड़ न जाएं कहीं सब्र के शजर भी क़मर,हवाए ज़ुल्म की रफ्तार बे तहाशा है। इंसाफ टांडवी ने कहा ऐसे माहौल का इंसाफ खुद हाफ़िज़ है,नारियां घूमती फिरती हैं जहाँ नर बन के। डॉ.दस्तगीर टांडवी ने कहा मेरे ख़ुलूस वफ़ा जब भी आज़माओगे, मुझे यक़ी है पुकारोगे बार बार मुझे। इसके अलावा हकीम इरफान आजमी, अमजद शकील,जिया कामली टाडवी, दिलशाद सिकंदरपुरी, इम्तियाज अर्शी टांडवी, कैफ सिकंदर पुरी, फ़ज़ल अहमद, अवैस फना, लतीफुर्रमान सूफी, मकसूम अहमद व अन्य शायरों ने अपने कलाम पेश किए।