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रास्ता के लिए कुआं के अस्तित्व को किया जा रहा है समाप्त – ग्रामीणों में आक्रोश

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अगर ऐसा चलता रहा तो चन्द वर्षों बाद सिर्फ कहानियों में बचेगा कुआं

ग्रामीणों ने बताया कि इसी कुंए के जीर्णोद्धार के नाम पर आए सरकारी धन का हुआ था बंदरबांट

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अम्बेडकरनगर: जनपद के अधिकांश इलाकों में कुएं का अस्तित्व समाप्त होने वाला है, जो कुएं किसी गांव में बचें भी हैं उनको भी अब धीरे-धीरे खत्म कर दिया जा रहा है, कभी यही कुएं लोगों की प्यास बुझाने का काम किया करते थे लेकिन अब ये बातें गुजरे ज़माने की बात हो गयी। जल स्रोत्र के मुख्य साधन के लिए कभी ये कुएं जाने जाते थे लेकिन अब ये कुएं समाप्ति के कगार पर है। इन कुओ को संरक्षित करने की जिम्मेदारी जिनके कंधो पर है वही इन कुओ पर खतरा बनकर मंडरा रहे हैं।


मामला अकबरपुर ब्लॉक के ग्राम सभा नौगवा के गोपालपुर पुरवे का है जहाँ पर कई दशक पहले गांव के बुजुर्गो ने महीनों अपना पसीना बहाकर प्यास बुझाने और सिंचाई के लिए कुएं का निर्माण करवाया आज उसी कुएं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, कुएं को संरक्षित करने के बजाय कुएं के चबूतरे को खत्म कर रास्ते का रूप दे दिया गया।
बताया जाता है कि गत 05 साल पूर्व कुएं के जीर्णोद्धार के लिए सरकारी धन भी आया लेकिन तत्कालीन ग्राम प्रधान और सिक्रेटरी ने कुएं का जीर्णोद्धार ना करवाकर धन का बंदरबाँट कर लिया गया। गांव के लोगों ने नया प्रधान चुना लेकिन नए प्रधान भी कुएं के अस्तित्व को बचाने में फेल साबित हो रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं अगर कुएं का अस्तित्व खत्म हुआ तो गांव के दूल्हे कुआँ घूमने की रस्म अदा नहीं कर पाएंगे बल्कि घर पर लगे नलकूप को घूमकर सिर्फ औचारिकता पूरी करेंगे इसलिए गांव के कुएं को संरक्षित करना बेहद जरुरी है। अगर ऐसे ही कुओं की अनदेखी और कुओं पर कब्जेदारी होती रही तो एक दिन गांव के कुएं सिर्फ कभी कहानियों में पढ़े जायेंगे।

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