फलाहे मिल्लत तहरीक (उ.प्र) के संस्थापक “यासिर हयात” की क़लम से लिखे इस लेख को ज़रूर पढ़ें–
जहाँ आज देश में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है वहीं शायद हम यह भूल गये कि इस देश का बीता हुआ कल बहुत ही सुनहरा है। जब देश का बटवारा हुआ तब हमने जिन्ना की सोच को रद्द करके गांधी पर भरोसा किया और डा अम्बेडकर के संविधान को गले लगाया जिसमें समानता, न्याय, अधिकार का सबको बराबर का हक़ दिलाने का वादा है। इसका कारण यह है कि यहाँ हिन्दू के दुकान की सेंवई मुस्लिम के घर में पकती है तो अयोध्या में मुस्लिम के हाथों से बना खड़ाऊं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी में पूजा जाता है। यहाँ की दीपावली इस लिए और खूबसूरत है क्योंकि इसकी रोशनी मुस्लिम के घरों को भी रौशन करतीं है यहाँ की ईद इस लिए मुहब्बत से भरी है कि हम अपने हिन्दू भाई से बढ़कर गले मिलते हैं।
भारत को अल्लाह ईश्वर ने गंगा जमुना का संगम देकर खुद यह संकेत दे दिया कि यह देश तमाम धर्म, जाति, भाषाओं, वेशभूषा को एक धागे में पिरो कर भारत को मुहब्बत अमन शांति का देश बना दिया।
साहब नेपाल की होली और पाकिस्तान के रमज़ान से सुन्दर👉🏻 होली एंव रमज़ान हमारे भारत का ही है जो हमारी शान है। जहाँ प्यार होता है वहीं कुछ नोकझोंक भी होती है। घर में दो भाईयों मे झगड़े हो जाने से कोई भाई सौतेला नहीं हो जाता। विदेशों में जीने से अच्छा भारत में मरना है साहब।
जब हम डाक्टर, दुकानदार, स्कूल, हास्पिटल, खून, में हिन्दू मुस्लिम नहीं देखते तो अपने छोटे से निजी स्वार्थ के लिए चंद लोगों के बहकावे में न आकर नफरत की दुकान का बहिष्कार करें।आज भी साहब हिन्दू के भण्डारे पर मैं मुस्लिम को खाना खाते देखता हूँ। और मुस्लिम के कार्यक्रम में हिन्दू भाईयों की उपस्थिति ही भारत को एक शक्तिशाली देश बनाती है।करूणा, त्याग, तपस्या का नाम हिन्दू धर्म है। प्यार, इंसानियत, मुहब्बत का नाम इस्लाम है। कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए दोनों धर्मों की परिभाषा बदलने की कोशिश की है।
“ह” से हिन्दू और “म” से मुस्लिम- दोनों मिला कर बनता है “हम”।
(राष्ट्र हित में जारी-सिर्फ अमन की बारी)
जय जवान, जय किसान, जय संविधान
(नोट:उक्त लेख फलाहे मिल्लत तहरीक के संस्थापक यासिर हयात द्वारा लिखा गया है।)