बलिया (अखिलेश सैनी) जनपद की चिलकहर शिक्षिका रंजना पाण्डेय काे उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार मिलने से पूरे जनपद में हर्ष का माहाैल छाया है। शिक्षा क्षेत्र चिलकहर अंतर्गत सवन के प्राथमिक विद्यालय सवन राजभर बस्ती में प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रंजना पाण्डेय ने विद्यालय परिवार काे धन्यवाद कार्यक्रम के तहत धन्यवाद दिया।
शिक्षिका पाण्डेय काे उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार से जनपद के सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने नवाजा है।
इसी के सन्दर्भ में प्राथमिक विद्यालय सवन राजभर बस्ती के प्रांगण में धन्यवाद कार्यक्रम का आयाेजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां वीणादायिनी के चित्र पर पुष्प-अर्चन व दीप प्रज्वलित कर हुआ। इसके बाद प्रधानाचार्या ने अपने सम्बाेधन में कहा कि अगर मुझे आज पुरस्कृत किया गया है ताे उसके सही हकदार हमारे शिक्षक मित्र हैं क्याेंकि विद्यालय काे उत्कृष्ट बनाने में आप सभी अध्यापकगण , कर्मचारीगण व प्यारे विद्यार्थियाें का अनमाेल व अद्वितीय याेगदान है। जिस तरीके से भवन निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका छाेटे-छाेटे कंकड़ का हाेता है। ठीक उसी तरीके से आप सब शिक्षकाें का है। मेरा अस्तित्व व आकार आप सबके परिश्रम का सदैव ऋणी रहेगा। यह मेरा साैभाग्य है कि मैने बेहतरीन साथियाें काे प्राप्त किया है आैर मैं चाहूंगी कि हम सभी विद्यालय व विद्यार्थियाें के हित में कदम-से कदम मिलाकर चलें ताकि सशक्त व उज्ज्वल भारतवर्ष के लिए हम अनुशासित व संस्कारित विद्यार्थी तैयार कर मां भारती की सेवा रुपी यज्ञकुण्ड में अर्पित कर सकें। आपकाे बता दें कि श्रीपाण्डेय ने कहा कि शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो हर किसी के जीवन में बहुत उपयोगी है। शिक्षा वह है जो हमें पृथ्वी पर अन्य जीवित प्राणियों से अलग करती है। यह मनुष्य को पृथ्वी का सबसे चतुर प्राणी बनाती है। यह मनुष्यों को सशक्त बनाती है और उन्हें जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना करने के लिए तैयार करती है।
शिक्षा समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षा ही हमारे ज्ञान का सृजन करती है, इसे छात्रों को हस्तांतरित करती है और नवीन ज्ञान को बढ़ावा देती है। आधुनिकीकरण सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। यह मूल्यों, मानदंडों, संस्थानों और संरचनाओं को शामिल करने वाली परिवर्तन की श्रृंखला है। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार, शिक्षा व्यक्ति की व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से नहीं होती है, बल्कि यह उस समाज की जरूरतों से उत्पन्न होती है, जिसमें व्यक्ति सदस्य होता है।
एक स्थिर समाज में, शैक्षिक प्रणाली का मुख्य कार्य सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाना है। लेकिन एक बदलते समाज में, इसका स्वरुप पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदलते रहता हैं और ऐसे समाज में शैक्षणिक व्यवस्था को न केवल सांस्कृतिक विरासत के रुप में लेना चाहिए, बल्कि युवा को उनमें बदलाव के समायोजन के लिए तैयार करने में भी मदद करनी चाहिए। और यही भविष्य में होने वाली संभावनाओं की आधारशिला रखता है। वहीं सभी अध्यापकाें ने हर्षपूर्ण आपस में मिठाई खा-खिलाकर खुशियां बांटी । इस माैके पर संजय वर्मा , आशुताेष सिंह, शैलेश पाण्डेय, अखिलेश जायसवाल, बृजेश राजभर, विनित यादव ,सुमन सिंह व साेभावती के साथ अन्य लाेग भी माैजूद रहे।