टाण्डा नगर पालिका के बोर्ड में मूल बजट को निरस्त करने के पीछे आखिर किसकी है साजिश !
नगरीय क्षेत्र में विकास कार्य ठप होने से आम नागरिकों में आक्रोश
अम्बेडकनगर (आलम खान एडिटर-मान्यता प्राप्त पत्रकार) अयोध्या मंडल में प्रथम श्रेणी का दर्जा प्राप्त नगर पालिका परिषद टाण्डा में नगर पालिका अधिनियम 1916 की धज्जियां उड़ाई जा रही है। नगर पालिका अध्यक्ष व सभासदों के बीच चल रही खींचातानी का खामियाजा स्थानीय नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।
विगत 15 जून को टाण्डा नगर पालिका के बोर्ड बैठक में मूल बजट को बहुमत के आधार पर निरस्त कर दिया गया था और 12 जुलाई को हुई बैठक में सभासदों द्वारा ये कहा गया कि बोर्ड में कोई भी प्रस्ताव स्वीकृत अथवा निरस्त करने पर नियमानुसार 06 माह तक पुनः चर्चा नहीं किया जा सकता है। मूल बजट पास ना होने के कारण नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती शबाना नाज़ द्वारा बोर्ड की बैठक को ही निरस्त कर दिया गया और अब चर्चा है कि 06 माह तक बोर्ड बैठक नहीं हो सकती है।
नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती शबाना नाज़ का दावा है कि सभासदों ने ज़बरदस्ती मूल बजट को निरस्त कराया था जबकि वो स्थगित करना चाहती थी जबकि जमाल कामिल राजू, मो.ज़ाहिद छोटू, मो.नसीम, आशीष यादव, मो.नवाब आदि सभासदों का कहना है कि वो लोग मूल बजट को स्थगित कर रहे थे लेकिन रजिस्टर पर निरस्त लिख दिया गया। अब सवाल ये पैदा होता है कि जब अध्यक्ष व सभासदों द्वारा मूल बजट को स्थगित कराया जा रहा था तो बजट को निरस्त किसके आदेश पर लिखा गया।
नगर क्षेत्र में चर्चा है कि मूल बजट को स्थगित के स्थान पर निरस्त लिखे जाने के पीछे बड़ी गहरी साजिश है और इसके पीछे नगर पालिका के कर्मचारी भी हो सकते हैं।
नगर पालिका अधिनियम की जानकारी रखने वालों का कहना है कि नगर पालिका अध्यक्ष, सभासदों व अधिकारियों को नगर पालिका अधिनियम 1916 की तनिक भी जानकारी नहीं है क्योंकि वार्षिक मूल बजट अथवा अनपूरक बजट को पास फेल नहीं किया जा सकता है बल्कि बजट पर विशेष चर्चा की जाती है जिससे नगर का चौमुखी विकास किया जा सके। जानकार बताते हैं कि नियमानुसार बोर्ड बजट को निरस्त करने का अधिकार ही नहीं है क्योंकि नगर पालिका की विभिन्न सोत्रों से आमदनी एवं अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी व अन्य खर्चा को रोका नहीं जा सकता है। अधिनियम के जानकार बताते हैं कि बोर्ड़ बैठक में मूल बजट निरस्त करना कदापि उचित कदम नहीं है बल्कि अधिनियम की जानकारी के अभाव में ऐसा किया गया है।
दूसरी तरफ नए बोर्ड से नगर वासियों को हाउस व वाटर टैक्स में संसोधन व सरचार्ज (ब्याज) में शतप्रतिशत छूट की बड़ी उम्मीदें थी लेकिन अभी तक उक्त सम्बंध में बोर्ड में कोई चर्चा तक नहीं हुई और ना ही विधिक रॉय लिया गया जिससे नगर वासियों की उम्मीद पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। नगरीय क्षेत्र में सड़कों व गलियों की हाल बेहद खराब हो चुकी है, पानी सप्लाई की व्यवस्था भी चरमरा गई है जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
क्षेत्र में चर्चा है कि बोर्ड में मूल बजट पर चर्चा करने से सभासदों ने किनारा किया तो बोर्ड़ अध्यक्ष श्रीमती शबाना नाज़ ने अन्य मुद्दों पर दरकिनार कर बैठक को ही निरस्त कर दिया और अब ये बताया जा रहा है कि बैठक निरस्त के 06 माह बाद ही दूसरी बैठक हो सकती है।
बहरहाल टाण्डा नगर पालिका के मौजूदा बोर्ड की सुई मूल बजट पर ही अटकी हुई है। एक तरफ बोर्ड बैठक में निरस्त-निरस्त वाला खेल खेला जा रहा है तो दूसरी तरफ क्षेत्र में विकास कार्य ठप होने से आम जनता में आक्रोश व्याप्त है। चर्चा है कि बोर्ड को नगर पालिका अधिनियम 1916 की समुचित जानकारी ही नहीं है और अधिकारी कर्मचारी भी बोर्ड को समुचित जानकारी देने में विफल हैं जिसका खामियाजा स्थानीय नगर वासियों को भुगतना पड़ रहा है। (जानकारों से वार्ता कर विशेष रिपोर्ट)