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वर्षों से भटक रही शहीद की पत्नी ने दी सीएम आवास के सामने आत्मदाह की चेतावनी–

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प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा भुगतने पर मजबूर है शहीद सीआरपीएफ जवान की विधवा

—तो क्या सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है शहीद का सम्मान !

अम्बेडकरनगर: देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने को सदैव तैयार रहने वाले वीर जवानों को पूरा भरोसा होता है कि उनकी शहादत के बाद उनके परिवार का सरकार पूरा ख्याल रखेगी। सरकार के उक्त भरोसे पर सीआरपीएफ 141 बटालियन के सशस्त्र जवान रक्षाराम पाठक ने भी अपनी जान की बाज़ी लगा कर देश की रक्षा किया लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण शहीद की विधवा दरबदर भटकने पर मजबूर है और मजबूरन आगामी 26 जनवरी के अवसर पर सीएम आवास के सामने आत्मदाह करने की चेतावनी दिया है।
शहीद रक्षाराम पाठक श्रीनगर के पाम्पोर में 19 जनवरी 2005 को आतंकवादियों द्वारा किये गए आई.ई.डी विस्फोट में घायल हो गए थे जो इलाज़ के दौरान 19 जनवरी 2005 को शहीद हो गए थे। रक्षाराम पाठक का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गाँव चंदौली पोस्ट सूरापुर ब्लाक व तहसील टांडा में किया गया। शासन के निर्देश पर प्रशासन ने शहीद रक्षाराम पाठक की पत्नी सीता सुंदरी को जीवन यापन हेतु 2008 में तहसील टांडा के ग्राम चंदौली में खसरा संख्या 178-ग में 0.340 हेक्टेयर भूमि बंजर बताते हुए आवंटित कर खतौनी में दर्ज कर दिया लेकिन 16 वर्ष बाद भी उक्त भूमि पर शहीद के परिवार का कब्ज़ा नहीं हो सका है।

शहीद जवान के विधवा सीता सुंदरी का कहना है कि 2008 में उक्त भूमि की मेड़बन्दी कराया गया था लेकिन बच्चा छोटा होने के कारण वो भूमि की देख रेख नहीं कर सकी और उक्त भूमि पर वनविभाग द्वारा जबरन पेड़ लगाए दिया गया और अब वनभूमि बता कर उन्हें उक्त आवंटित भूमि पर नहीं जाने दिया जाता है।
दरअसल जिस भूमि को बंजर बता कर शहीद की पत्नी के नाम खतौनी ट्रांसफर कर दिया गया है उस भूमि पर वन विभाग ने अपना दावा पेश करते हुए बताया कि बहुत पहले से उक्त भूमि को वनभूमि घोषित किया जा चुका है। वन विभाग का दावा है कि उक्त भूमि वन विभाग के नाम पर है जिसमें पेड़ लगे हुए हैं जिसे हटाना संभव नहीं है और उक्त गाटा की पैमाइश कराने के बाद वनभूमि के अलावा भूमि बचती है तो उसे शहीद की पत्नी को आवंटित कर सकते हैं। मात्र पेंशन के भरोसे अपने पुत्र की शिक्षा दीक्षा करा रही बिधवा सीता सुंदरी दर बदर भटकने पर मजबूर है। स्थानीय तहसील व जिला प्रशासन के साथ मुख्यमंत्री से भी आवंटित भूमि पर कब्जा दिलाने की गोहार लगा चुकी हैं लेकिन सिर्फ कागजों में ही जांच के नाम पर शहीद की पत्नी को दौड़ाया जा रहा है जिससे आहत शहीद की विधवा ने 26 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह करने की धमकी दे दिया है।

शहीद रक्षाराम पाठक की पत्नी सीता सुंदरी ने सूचना न्यूज़ कार्यालय पर फोन कर मदद की गोहार लगाई और कहा कि वर्षों से उन्हें सिर्फ जांच के नाम पर दौड़ाया जा रहा है लेकिन कोई अधिकारी उनकी मदद नहीं कर रहा है जिससे वो काफी आहत हैं। शहीद के विधवा सीता सुंदरी ने आगामी 26 जनवरी पर मुख्यमंत्री आवास के पास अपना जीवन समाप्त करने की चेतावनी दिया है। बताते चलेंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सीतासुन्दरी को उनके पति की शहादत के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। सीता सुंदरी की मांग है कि उनको उक्त आवंटित भूमि पर शीघ्र कब्ज़ा दिलाया जाए या उसके बदले में कोई दूसरी भूमि आवंटित की जाए अथवा वो मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह करने को मजबूर हैं।

बहरहाल देश की रक्षा के लिए शहीद हुए रक्षाराम पाठक की पत्नी को जो बंजर भूमि आवंटित की गई थी उस पर वन विभाग ने वनभूमि होने का दावा कर दिया तो तहसील प्रशासन को शीघ्र कोई रास्ता निकाल लेना चाहिए था। शहीद जवान का सम्मान सिर्फ कागजों तक ही सीमित नज़र आने लगा है इसलिए शीघ्र शहीद के परिवार को न्याय मिलना चाहिए अन्यथा शहादत भी रुसवा हो जाएगी।

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