वर्षों से मां व बेटे के नाम चल रहा था सरकारी कोटा लेकिन मां की मृत्यु के बाद खुली विभागीय मिली भगत की कलई तो मच गया हड़कम्प
कोटेदार ने सभी को किया गुमराह अब परिवार रजिस्टर में सुधार की कर रहा है मांग
शिकायत के बाद शुरू हुई जांच तो परत दर परत खुल रहा है फर्जीवाड़े का राज
आक्रोशित ग्रामीणों ने पुनः कोटा आवंटन में विभागीय मिली भगत का लगाया आरोप
अम्बेडकरनगर: सरकार की मंशा और विभागीय नियमों को ताख पर रखकर अधिकारियों ने टाण्डा तहसील क्षेत्र के बलरामपुर गांव का कोटा मृतक आश्रित/अनुकंपा के आधार पर गुप-चुप तरह से आवंटित कर दिया। यही नहीं यह खेल दशकों से चल रहा था पुत्र को कोटा मिलने पर पोल खुली जिसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने शुरू हो गए। तमाम शिकायतें विभागीय दांव पेंच दम तोड़ ही रही थी कि मामला मीडिया में आने से अधिकारियों के चेहरे बेनकाब हो गए। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी कोटा विवादित कोटेदार के पास से दूसरे कोटे से अटैच नहीं हुआ।
दशकों से विभागीय मिलीभगत से चल रहा था फर्जीवाड़ा
आरोप है कि विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से प्रभावती को बलरामपुर तथा उनके पुत्र सूर्य प्रकाश शुक्ल के नाम पर इल्तिफ़ात गंज टाऊन का कोटा वर्षों पूर्व आवंटित हुआ था। सब कुछ विभागीय मिली भगत से ठीक चल रहा था लेकिन प्रभावती देवी के मृत्यु के बाद पूरा खेल चौपट हो गया। शिकायतों के साथ कोटे के चुनाव हेतु मांग उठने लगी। लेकिन विभागीय मिलीभगत एवं भ्रष्टाचार ने एक बार फिर नियमों को शूली पर चढ़ा दिया और कोटा प्रभावती के दूसरे पुत्र वेद प्रकाश शुक्ल के नाम दर्ज कर दिया। शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि वेदप्रकाश शुक्ल के नाम कोटा आवंटन में नियमों का पालन जिम्मेदार अधिकारियों ने नहीं किया है।
कोटेदार ने किया है परिवार रजिस्टर में सुधार हेतु आवेदन
कोटेदार वेदप्रकाश शुक्ल ने सहायक खण्ड विकास अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर परिवार रजिस्टर में प्रभावती देवी को मृतक दर्ज करने एवं नया परिवार रजिस्टर की नकल जारी करने के लिए आवेदन किया है। अब सवाल यह है कि बिना परिवार रजिस्टर में मृतक दर्ज किए अथवा बिना संबंध प्रमाण पत्र के कोटा का आवंटन कथित आश्रित को कैसे किया गया। यह बड़ा सवाल है जिसका जवाब शायद ही खाद्य एवं रसद विभाग विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के पास होगा।
जिम्मेदार अधिकारियों ने झाड़ा पल्ला
इस संबंध में खाद्य पूर्ति विभाग के क्षेत्रीय निरीक्षक राम शकल से वार्ता किया गया तो उन्होंने ने कहा मेरे समय में कोटे का आवंटन नहीं हुआ है। आरोपों की जांच विभागीय स्तर पर चल रही है। उधर तत्कालीन पूर्ति निरीक्षक सर्वेश शर्मा ने बताया कि कोटे का आवंटन एआरओ महोदय के द्वारा किया गया है मेरा कोई विशेष रोल नहीं है।
सभी बचा रहे अपनी साख,अधूरे कागजात के सहारे कर दिया गया कोटे का आवंटन
एक बात तो साफ है इस प्रकरण में तत्कालीन क्षेत्रीय पूर्ति निरीक्षक सर्वेश शर्मा एवं क्षेत्रीय एआरओ द्वारा साक्ष्यों के साथ फेरबदल एवं आधे अधूरे पत्रावली के सहारे आनन-फानन में कोटा कथित आश्रित के नाम आवंटित किया गया है। अब सभी अपनी साख बचाने में लगे हुए है।


