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सरकार शाहे मीरां का अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक उर्स व मेला स्थगित

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विश्व स्तरीय वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हए अंतर्राष्ट्रीय दरगाह मीरां सैय्यद अली पर आयोजित होने वाला 801 वां वार्षिक उर्स व मेला को स्थगित कर दिया गया है।
उक्त जानकारी देते हुए दरगाह ट्रस्ट के अध्यक्ष व मोतवल्ली सूफी संत सैय्यद जामी अशरफ ने कहा कि गुजरात के अशरफ नगर खम्भात जिला आनन्द में स्थित अंतर्राष्ट्रीय विश्व विख्यात प्रसिद्ध सूफी संत की दरगाह सरकार शाहे मीरां सैय्यद अली का 801 वां वार्षिक उर्स व मेला आगामी 18, 19 व 20 दिसम्बर को आयोजित होना था लेकिन कोविड 19 के कारण स्थगित कर दिया गया है तथा सूफी परंपरा में आस्था रखने वाले सभी श्रद्धालुओं से अपील है की गई है कि भारत सरकार एवं गुजरात सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश का पालन करते हुए उर्से शाहे मीरां की उक्त तारीखों को अपने अपने घरों पर रहते हुए कुरआन ख्वानी, लंगर आयोजित करें तथा जरूरत मंदों की मदद कर दुआ ख्वानी कर मुरादें मांगे। श्री जामी अशरफ ने बताया कि कोविड 19 के कारण उर्स की तारीखों पर दरगाह का मुख्य कपाट बंद रहेगा इसलिए श्रद्धालु दरगाह ना आएं। उक्त बात की पुष्टि दरगाह के सज्जादानशीन (गद्दीपति) सूफी संत शिरोमणि सैय्यद रईस अशरफ बापू ने भी करते हुए कहा कि श्रद्धालु उर्से शाहे मीरां के दौरान अपने अपने मोहल्लों में 18, 19 व 20 दिसम्बर को अधिक से अधिक चैरिटी कर दुआएं मांगे और अपने व अपने परिवारों का बचाव करते हए सुरक्षित रहें।
आपको बताते चलेंकि रूहानी इलाज का विश्व स्तरीय केंद्र माने जाने वाली दरगाह किछौछा में स्थित प्रसिद्ध खानकाह सरकार शाहे मीरां से जरूरत मन्दों की लगातार सेवा करते हैं।
प्रत्येक वर्ष उर्से सरकार शाहे मीरां काफी धूमधाम से मनाया जाता है जिसके देश के कोने कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं व सूफी पंत से जुड़े उलेमाओं की आमद होती है। तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय उर्स व मेला की शान व शौकत देखने योग्य होती है लेकिन इस वर्ष कोविड 19 के कारण दरगाह का कपाट बंद रहेगा जिसके कारण श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं होगी हालांकि उर्स की रस्म की अदायगी काफी सादगी के साथ दरगाह सज्जादानशीन द्वारा आयोजित होगी जिसका लाइव प्रसारण यूट्यूब पर मीरानी ग्रुप ऑफिशल पेज पर होगा।
दरगाह सरकार शाहे मीरां में सुन्नी सूफीवाद के आध्यात्मिक क्रम के संस्थापक हज़रत शेख अब्दुल कादिर जिलानी जिन्हें हम सब गौस पाक के नाम जानते व मानते हैं उनके सगे पोते शेख मीरा सैय्यद अली व शेख मीरा सैय्यद वली की मज़ार मुबारक मौजूद है। विशाल कैम्पस में स्थापित दरगाह में स्थित इस्लामिक लाइब्रेरी व डिजिटल लाइब्रेरी का दुनिया की बड़ी लाइब्रेरियों में शुमार होता है। दरगाह में ही पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग अलग विशाल सुसज्जित मस्जिदें भी मौजूद हैं तथा मदरसों की शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा व रिसर्च सेंटर भी स्थापित किया गया है। दरगाह कैम्पस में प्रवेश बाबे उस्मान ए हारूनी नामक विशाल गेट से होता है जिसे मात्र 90 दिनों में कुरआन के मंत्रों को पढ़ते हुए तैयार किया गया था और उक्त गेट को सुल्ताना ए हिन्द ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी के सम्बंद किया गया है। मान्यता है कि उक्त दरगह से अंधों को आंखें व बेऔलादों को औलादें नसीब होती है अर्थात श्रद्धालुओं की प्रत्येक मुरादें अवश्य पूरी होती हैं जिसके कारण श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

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