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खबर का असर: एसडीएम ने छत्तीसगढ़ के मज़दूरों को भट्टे से कराया मुक्त – बस के सहारे छत्तीसगढ़ रवाना

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अम्बेडकरनगर: (रिपोर्ट: आलम खान – एडिटर इन चीफ/मान्यता प्राप्त पत्रकार 8400788858) तहसील व कोतवाली टाण्डा के अकबरपुर मार्ग पर संचालित राम रूप वर्मा के भट्टे पर छत्तीसगढ़ के 15 परिवारों के 62 मज़दूरों को बंधुआ बनाने की शिकायत पर उपजिलाधिकारी टाण्डा दीपक वर्मा ने कोतवाली निरीक्षक अमित प्रताप सिंह के साथ भट्टे पर छापेमारी कर मज़दूरों की व्यवथा सुना और पांच मज़दूरों तथा भट्टा मालिक को कोतवाली पर लाकर श्रम विभाग से उनका बयान दर्ज कराया।

इस दौरान भट्टा पर मौजूद अन्य मज़दूरों से बाइक पर आए नकाबपोश बदमाशों ने मारपीट कर भट्टा मालिक के खिलाफ बयान ना देने की धमकी भी दिया। टाण्डा कोतवाली पर आए मज़दूरों ने पांच माह से मज़दूरी करने की बात स्वीकार करते हुए बताया कि उन्हें सप्ताह में खर्चा मिलता था लेकिन पूरा पैसा मांगने पर भट्टा मालिक द्वारा मारपीट व गाली गलौज किया जा रहा है।
भट्टा मालिक ने बताया कि छत्तीसगढ़ के राकेश बघेल द्वारा उनसे मज़दूरों को लाने के नाम पर मोटी रकम लिया था और फिर थोड़ा थोड़ा करके मज़दूरों को भी एडवांस देकर लाया लेकिन अब पैसा कटाने के बजाय फ़र्ज़ी प्रार्थना पत्र देकर उन्हें हैरान व परेशान कर रहा है।
श्रम विभाग के राजा बाबू द्वारा मज़दूरों व भट्टा मालिक का बयान दर्ज किया। प्रशासन द्वारा मज़दूरों की मांग पर उन्हें छत्तीसगढ़ भेजने की व्यवस्था किया गया। बस संख्या UP 32 LN 9824 के सहारे सभी को इलाहाबाद भेजा जहां से उन्हें छत्तीसगढ़ भेजा जाएगा। श्रम विभाग द्वारा बरया गया कि पूरे मामले की जांच रिपोर्ट उपजिलाधिकारी टाण्डा को लिखित रूप से सौंप दी जाएगी।
उक्त पूरे मामले को मानवाधिकार कार्यकर्ता मनोज कुमार सिंह द्वारा उठाया गया था। श्री सिंह ने बताया कि उपजिलाधिकारी व कोतवाली निरीक्षक के निरीक्षण के बाद वहां मौजूद महिला मज़दूरों के साथ लातघूसों व लाठी डंडों से पिटाई कर धमकाया गया जिससे सभी मज़दूर भयभीत हो गए और किसी भी तरह अपने घर छत्तीसगढ़ जाने की मांग करने लगे। उन्होंने भट्टा मालिक के खिलफ वैधानिक कार्यवाही की मांग किया है।
ईंट भट्ठा संचालकों के कहना है कि मज़दूरों की व्यवस्था सदैव से ठेकेदारों के माध्यम से होती रही है और ठेकेदार को ही एडवांस रकम दी जाती है जिसे ठेकेदार मज़दूरों को एडवांस देकर भट्टों पर लाता है और फिर तय शर्त के अनुसार उन्हें प्रत्येक सप्ताह खर्चा भी दिया जाता है तथा अंत में हिसाब कर एडवांस की रकम काट कर बचा पैसा ही दिया जाता है।
सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार सिंह ने कहा कि एडवांस रकम ठेकेदार को दी जाती है तो ठेकेदार से ही उसूलना चाहिए लेकिन भट्टा मलिका अपनी दबंगई से ठेकेदार को दी गई रकम गरीब बेबस मज़दूरों से उसूलते हैं जो बिल्कुल गलत है।
बहरहाल ईंट भट्टा पर मज़दूरों को बंधक बना कर काम करने की शिकायत पर तत्काल पहुंचे टाण्डा उपजिलाधिकारी दीपक वर्मा ने मज़दूरों को मुक्त कराकर छत्तीसगढ़ के लिए रवाना कर दिया है तथा श्रम विभाग की जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों पर कठोर कार्यवाही का आश्वासन दिया है। भट्टा से मुक्त हुए मज़दूरों ने टाण्डा उपजिलाधिकारी सहित जिले प्रशासन का भी धन्यवाद ज्ञापित किया है।

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