टीबी लाइलाज रोग नहीं बल्कि थोड़े प्रयास से ही मिल सकती है मुक्ति : डॉo मुकुल सक्सेना
अम्बेडकरनगर: अभी हाल ही में नोएडा में आयोजित स्टेट टास्क फोर्स की बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक द्वारा सम्मानित होने वाले महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज, सद्दरपुर के सीएमएस तथा टीबी एवं छाती रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुकुल सक्सेना ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि आज के समय में टीबी लाइलाज रोग नहीं रहा है, यदि हम थोड़ा प्रयास करें तो टीबी रोग का जड़ से खात्मा संभव है।
टीबी रोग के मुख्य लक्षण हैं दो सप्ताह से अधिक खाँसी, बुखार, वजन कम होना, रात में पसीना आना। अगर किसी को इनमें से की भी लक्षण प्रकट होता है तो ऐसे लोगों को जल्द से जल्द अपने नज़दीकी स्वास्थ केंद्र पर संपर्क करना चाहिए। एक्स-रे एवं बलगम की जाँच से टीबी स्पष्ट हो जाती है!टीबी रोग के कई प्रकार होते हैं। जिसमें सबसे अधिक फेफड़े की की टीबी होती है लेकिन इसके अतिरिक्त शरीर के अन्य अंग भी टीबी से प्रभावित हो सकते हैं जैसे गले अथवा अन्य जगह गाँठ निकलना, दिमाग की टीबी मे दौरे आना अथवा सिरदर्द होना, जोड़ो की टीबी मे जोड़ सूज जाना अथवा दर्द होना, फेफड़े की झिल्ली की टीबी मे पानी भर जाना प्रमुख है। उन्होंने बताया कि फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने/ छींकने से यह फैल सकती है। इसलिए यह आवश्यक है की संक्रमित व्यक्ति अपने मुख पर मास्क अवश्य लगाएं। इसके अतिरिक्त फेफड़े की टीबी के रोगी के साथ रहने वाले सभी लोगों को अपना छाती का एक्स-रे करवाना चाहिए जिसमें यदि टीबी निकलती है तो टीबी का इलाज लेना होता है और अगर टीबी नही निकलती तो टीबी से बचने के लिए दवा लेनी होती है। यह दवा सरकारी चिकित्सालयों में निशुल्क उपलब्ध है।डॉo सक्सेना ने बताया कि टीबी रोग से बचाव करने का सबसे पहला सिद्धान्त जागरूकता है, टीबी रोगी को अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार आवश्यक रूप से लगातार लेना होगा। उन्होंने कहा कि यदि घर में किसी व्यक्ति को बलगम वाली टीबी है, तो बचाव के लिए टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति को मास्क अवश्य लगाना चाहिए।उन्होंने आगे बताया कि यदि किसी टीबी रोगी व्यक्ति को शुगर या एचoआईoवीo जैसी बीमारी है, तो इन दोनों बीमारियों का इलाज भी टीबी के इलाज के साथ चलना चाहिए जिसे टीबी भी जल्दी ठीक होगी।उन्होंने बताया कि टीबी रोग का इलाज सरकार द्वारा बिल्कुल मुफ्त किया जाता है, प्रत्येक सरकारी अस्पताल में जांच से लेकर दवाइयां तक मुफ्त देने के साथ ही टीबी रोगी को सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत अच्छे पोषण हेतु रुपए 500 प्रति माह की धनराशि रोगी के बैंक खाते में दी जाती है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद यदि किसी व्यक्ति को टीबी रोग की पुष्टि हो जाती है, तो उस व्यक्ति को लगातार दवाई खाते रहना चाहिए। सामान्यतयः 6 माह के उपचार से टीबी ठीक हो जाती है परंतु ड्रग रेसिस्टेंट टीबी में 9 से 18 माह तक के उपचार की आवश्यकता होती है। उपचार की अवधि में अपने डॉo को समय समय पर दिखाते रहना आवश्यक है। थोड़ी सी सतर्कता से टीबी रोगियों का जीवन बचाया जा सकता है।