WhatsApp Icon

गाँव की सीमाओं को सील कर सोशल डिस्टेंसिंग नियम की उड़ाई जा रही है धज्जियां

Sharing Is Caring:

लॉकडाउन का भी हो रहा है खुला उल्लंघन – जानिए क्या है नियम

सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now

विश्व स्तरीय महामारी के कारण पूरे देश को लॉक डाउन कर सोशल डिस्टेंडिंग बनाये रखने का आदेश जारी हुआ तो कई गाँव वालों ने वाहवाही लूटने के लिए गाँव की सीमाओं को सील कर दिया और दावा किया कि कोरोना वायरस की महामारी से बचाव के लिए गाँव के अंदर ही नहीं बाहर भी कोई नहीं जाएगा लेकिन जब वास्तविकता पता किया गया तो तश्वीर उल्टी नज़र आई। बड़े बड़े दावे करने वाले दर्जनों गाँव में सोशल डिस्टेंडिंग तो छोड़िए लॉक डाउन तक कि खुली धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
करोना जैसी वैश्विक महामारी को लेकर पूरा देश जहा परेशान दिखाई दे रहा है। लोगों के द्वारा कोरोना वायरस से बचने के लिए तरह-तरह की सावधानियां व एतेहाद बरते जा रहे है लेकिन वहीं कुछ सामाजिक लोग इन सावधानियों व नियमो का गला घुटने पर तुले हुए हैं।
गाँव की गलियों में बांस बल्ली लगा देख प्रशासन को जहां राहत देने का दावा किया गया था वहीं इन सीमाओं की सील होने का फायदा उठाते हुए कई गाँव में सोशल डिस्टेंडिंग की खुली धज्जियाँ उड़ाई जा रही है।

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जारी किए गए महामारी रोग अधिनियम, 1897 के अधीन आदेश जारी किए गए हैं इसके अंतर्गत नियमों को नहीं मानने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार सजा दी जाती है. सजा है- छह महीने तक की कैद या 1000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों. महामारी ऐक्ट, 1897 को पहले भी समय-समय पर लागू किया गया है. स्वाइन फ्लू, डेंगू और हैजा जैसी बीमारियों से निपटने के लिए।

भारतीय दंड संहिता की धारा 188 क्या है?
1897 के महामारी कानून (Mahamari Act) के अनुभाग 3 में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर कोई प्रावधानों का उल्लंघन करता है, सरकार / कानून के निर्देशों / नियमों को तोड़ता है, तो उसे IPC की धारा 188 के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है. इस संबंध में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए निर्देशों का उल्लंघन करने पर भी आपके विरुद्ध यह धारा लगाई जा सकती है.
धारा 188 में IPC के अध्याय 10 के अंतर्गत किसी आर्डर को न मानने वाले को सजा देने का प्रावधान किया गया है.
हालांकि, इस मुद्दे से जुड़े कुछ मामलों की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी कहा है कि महामारी रोग अधिनियम के अंतर्गत जारी आदेश की अवज्ञा करने भर से किसी व्यक्ति को धारा-188 के अंतर्गत दण्डित नहीं किया जा सकता. अधिकारियों को यह साबित करना भी जरुरी है कि उसकी अवज्ञा के चलते वाकई नुकसान (धारा में बताया गया नुकसान) हुआ है.
सजा का प्रावधान
अगर कोई सरकारी ऑर्डर में रुकावट, खतरा या क्षति पहुंचाए, तो उसे जेल भेजा जा सकता है. 200 रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है. या जुर्माने के साथ कारावास की सजा भी हो सकती है.
अगर कोई सरकारी ऑर्डर के दरम्यान इंसान की जान, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है या दंगा-फसाद करता है, तो उसे तुरंत जेल भेजा जा सकता है. ऐसे में उसे छह महीने तक की जेल हो सकती है. 1000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. या जुर्माने के साथ जेल की सजा भी हो सकती है.
इसमें यह नहीं देखा जाता है कि आरोपी का नुकसान पहुंचाने का इरादा था या नहीं. सजा के लिए केवल यही काफी होता है कि उसने नियमों का उल्लंघन किया है.
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 की पहली अनुसूची के अनुसार ‘इस अपराध में जमानत मिल सकती है और जमानत के लिए किसी भी मजिस्ट्रेट के पास अर्जी दाखिल की जा सकती है.’
सरकार ने 188 क्यों लगाया है?
कोरोना वायरस का संक्रमण इंसानों से इंसानों में तेजी से फैल रहा है. सबसे पहले चीन के वुहान में इस वायरस का संक्रमण देखा गया, जो अब दुनिया के 177 से अधिक देशों में फ़ैल गया है. लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हैं. दुनिया के कई क्षेत्रों में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन भी देखा गया है.
इस प्रकोप से मुकाबला करने के लिए पूरे भारत में लॉकडाउन है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कहा गया है. ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, स्पोर्ट्स इवेंट, शादी समारोह, सभी रद्द करने के ऑर्डर हैं.
11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सरकारों से कोरोना से बचाव के लिए कारगर उपाय करने को कहा था.

अन्य खबर

बिना दुकान और बिना मशीन के घर बैठे कमाएं ₹55,000 हर माह | Medical Equipment Rental Service

मुख्यमंत्री की चुनावी रैली में उमड़ी भीड़, सपा व कांग्रेस पर जमकर साधा निशाना, पढ़िए डिटेल

सिपाही की घूस लेने वाली वीडियों वायरल करना पड़ा भारी, आननफानन में मुकदमा दर्ज कर भेजा जेल

error: Content is protected !!