- आपकी नजर में कितना सही और कितना गलत है चारों आरोपियों का एनकाउंटर
06 दिसम्बर 2019 दिन शुक्रवार की सुबह एक खबर ने पूरे देश के लोगों ने जब आंखों खोली तो आंखें खुली की खुली रह गई। हर कोई खबर की सच्चाई को जानने समझने का प्रयास करता नजर आया। एक तरफ जघन्य अपराध करने की सोचने वालों को उनके अंजाम के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया वहीं दूसरी तरफ मानवाधिकार कार्यकर्ताभी अपनी आवाज़ें उठाने लगे।
06 दिसम्बर को जहां बाबा साहेब डकार भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है वहीं 1992 के बाद से 06 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद रामजन्म भूमि विवादित ढाँचे की बरसी के रूप में भी जाना जाने लगा है लेकिन 06 दिसम्बर 2019 की सुबह पूरा देश इस खबर के साथ जाएगा कि तेलंगाना के हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर से गैंगरेप के बाद जला कर मार डालने के चार आरोपियों को हैदराबाद पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। टीवी चैनलों व सोशल मीडिया पर फिल्मी अंदाज में हुए एनकाउंटर की स्टोरी बताई जाने लगी।
गत दिनों हैदराबाद में पशु चिकित्सक डॉक्टर प्रियंका रेड्डी के साथ दरिंदों ने गैंगरेप कर उसे जला कर उस समय मार डाला था जब मृतिका अपनी रात्रि ड्यूटी से घर वापस लौट रही थी और रास्ते मे उसकी स्कूटी खराब हो गई थी। मृतिका की बहन ने बताया कि स्कूटी खराब होने के बाद डॉक्टर बहन ने उसे फोन कर बताया कि उसकी स्कूटी खराब हो गई है और वो टोल प्लाजा के आगे सुनसान स्थान पर है तथा उसे डर भी लग रही है लेकिन बार करते करते ही उसने कहा कि कुछ लोग नज़र आ रहे हैं शायद उनकी मदद कर दें। इस बात के बाद से ही डॉक्टर का फ़ोन बन्द हो गया और कोई खबर नहीं मिली जिससे परिजन परेशान हो गए लेकिन दूसरे दिन टोल प्लाजा के आगे हाइवे के नीचे एक सुनसान स्थान पर महिला डॉक्टर का जला हुआ शव पुलिस ने बरामद किया। शव के पोस्टमार्टम से कन्फर्म हुआ कि उसके साथ दरिनों ने गैंगरेप कर बड़ी ही दरिन्दगीनसे जला कर मार डाला है। गैंगरेप व हत्या की सूचना ने एक बार फिर पूरे देश को हिला कर रख दिया तथा पूरे देश मे बहन डॉक्टर प्रियंका रेड्डी को इंसाफ दिलाने की मांग तेज़ हो गई।
सामाजिक संगठनों द्वारा जगह-जगह पर कैंडल मार्च निकाल कर आरोपियों को खुलेआम फांसी की भी मांग शुरू हो गई। हैदराबाद पुलिस ने लगभग 48 घंटे में चार अभियुक्तों को हिरासत में लेकर पूंछ तांछ शुरू कर दिया।
हिरासत में लिए गए तीन अभियुक्त नाबालिग बताये गए जबकि मात्र एक अभियुक्त को बालिग बतया गया। हैदराबाद पुलिस ने दावा किया कि हिरासत में लिए गए सभी आरोपियों ने अपना अपराध कबूल कर लिया था तथा सभी आरोपियों को 06 दिसम्बर की सुबह लगभग 5:30 बजे उक्त स्थान पर जाँच व सबूत जमा करने के उद्देश्य से एक बस द्वारा ले जाया गया था लेकिन बस से उतरते ही दो अभियुक्तों ने पुलिस से उनका असलहा छीन लिया तथा भागने की कोशिश करने लगे। पुलिस का कहना है कि अभियुक्तों के पास उनकी दो रिवाल्वर थी जिसमें 12 गोलियां थी जिसके कारण पुलिस टीम थोड़ा संभल कर तथा अपने को बचाते हुए आरोपियों को पकड़ने का प्रयास कर रही थी इसी बीच आरोपियों ने पुलिस टीम ओर फायरिंग शुरू कर दिया जिसमें पुलिस टीम के दो लोग घायल भी हो गए और उक्त हमले के बाद पुलिस टीम को गोलियां चलानी पड़ी जिसमें चारों अभियुक्तों को मार गिराया गया।
गैंगरेप व हत्या के मामले में गिरफ्तार चारों अभियुक्तों को पुलिस टीम द्वारा मार गिराए जाने की खबर जंगल मे आग की तरह फैल गई और घटना स्थल सहित देश के विभिन्न स्थानों पर लोग खुशियां मनाने लगे जबकि मानवाधिकार संगठन सकते में आ गया। 06 दिसम्बर शुक्रवार को समझ में नहीं आ रहा था कि पुलिस के उक्त कार्य की सराहना होनी चाहिए या बिना न्यायालय के आदेश पर दी गई सज़ा की आलोचना।
काफी संख्या में लोगों का कहना है कि न्यायालयों द्वारा इंसाफ मिलने में हो रही देरी से अपराधियों का हौसला बुलंद हो रहा है तथा पीड़ित स्वयं को ठगा सा महसूस करते हैं इसलिए हैदराबाद पुलिस टीम के कार्य की प्रशंसा कर रहे हैं जबकि मानवाधिकार संगठन सहित अन्य सामाजिक संगठनों व कार्यकर्ताओं ने कहा कि आरोपी का अपराध सिद्ध किए बगैर उसे मृत्यु दंड जैसे बड़ी सज़ा देना ये साबित करता है कि हम तालिबानियों के नक्से कदम पर चल चुके हैं और इसी तरह चलता रहा तो न्याय पालिका के औचित्य पर भी सवाल उठने लगेंगे। पुलिस एनकाउण्टर के बाद जांच टीम अपनी रिपोर्ट बना कर अदालत में पेश करती है और अधिकांश मामलों में अदालत पुलिस की बात को सही भी मान लेती है। हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर की कहानी से कई सवाल पैदा हो रहे हैं लेकिन पुलिस अपने नक्से कदम पर चलते हुए एक रूटीन कहानी चार्ट मीडिया को थमा कर खूब वाहवाही लूटी रही है। गैंगरेप व हत्या जैसे जघन्य अपराध का किसी भी हालत में समर्थन नहीं किया जा सकता है लेकिन आरोपियों को सज़ा देने का काम न्याय पालिका का इस बात को भी हम भूल नहीं सकते हैं।
अधिकांश मामलों में अपराधी अपने रसूख, अधिवक्ताओं व पुलिस की जांच में साम दाम दण्ड भेद का नियम अपना कर न्याय पालिकाओं को भ्रमित करते हैं तथा मुकदमों को इतना लंबित करवाते हैं कि पीड़िता बेबस हो कर टूट जाती है और न्याय कटघरे में खड़ा चीखता ही रह जाता है। कई मामलों में तो पीड़िता व उसके परिजनों तक कि हत्याएं भी करा दी जाती है। हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर के बाद आम जनता खुल कर सड़कों पर जश्न मनाने लगी जो शायद इंसाफ में मिल रही देरी से ऊब चुकी थी और अब तालिबानी सज़ा की तरफ आकर्षिक हो रही है। गत दिनों देश में हुई निर्भया, आसिफ़, उन्नाव कांड जैसी घटनाओं से पूरा देश हिल चुका है।
सरकार भ्रूण हत्या और रोक लगाने के साथ महिलाओं की सुरक्षा के बड़े बड़े नारे दीवारों पर लिखवाने में वयस्त है जबकि आंकड़ों के अनुसार प्रत्येक चार से पाँच मिनट पर देश में महिलाओं पर अत्याचार की एक घटना हो रही है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बात की जा रही है लेकिन पुरुषों की मानसिकता बदलने का कोई काम सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है। लाखों करोड़ों रुपयों को पानी की तरह विज्ञापनों व अपनी चहेती संस्थाओं को प्रदान कर बड़े बड़े दावे किए जा रहे हों लेकिन उनकी धरातल पर हकीकत को परखने जांचने के लिए उन्ही सिस्टमों पर ही भरोसा किया जा रहा है।
21वीं शताब्दी में जीने का दावा कर रहे लोगों में आज भी महिलाओं को सोशन मात्र तक सीमित रखा गया है और हम आज भी लगातार महिलाओं को अबला जैसे शब्दों से संबोधित करते हैं जो हमारी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। सोशल मीडिया पर गैंगरेप हत्या जैसे मामलों में सरैया कानून का समर्थन करने वालों की भी कमी नहीं है लेकिन क्या वास्तव में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हम गम्भीर हैं। समय की मांग है कि गैंगरेप हत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए अदालतों को दिन रात खोल कर पीड़िता को न्याय दिलाने की तरफ कदम बढ़ाना होगा। हम लोगों ने अक्सर सुना है कि काफी देरी से मिला न्याय न्याय नहीं बल्कि अन्याय होता है। निर्भय आसिफा जैसे मामलों में पूरा देश एक साथ खड़ा था तथा उन मामलों में न्यायलयों द्वारा दिन रात सुनवाई कर अगर समय से इंसाफ दिया गया होता तो शायद आज हैदराबाद इनकाउंटर की जय जय कार नहीं हो रही होती। गैंगरेप व हत्या के जघन्य अपराध से जुड़े चार आरोपियों के एनकाउण्टर की खबर पर आमजनों में खुशी देखी गई। हैदराबाद पुलिस पर गुलाब के फूल बरसाए गए तथा महिलाओं द्वारा हैदराबाद पुलिस जवानों की कलाइयों पर रक्षा सूत्र भी बांधे गए जिससे स्पष्ट होता है कि जनता इस तरह के अपराधों में शीघ्र अति शीघ्र फैसला चाहती है भले ही उसका रूप कोई भी हो।
सृष्टि की सबसे खूबसूरत रचना में शुमार होने वाली महिलाओं को देश मे हमेशा इज़्ज़त की निगाह से देखा जाता है। महिलाओं को देवी मानने वाले हमारे देश में महिकाओं के विभिन्न स्वरूपों में पूजा अर्चना की जाती है। व्यावहारिक रूप से भी पुरुषों की सफलता के पीछे किसी महिला के हाथ की बात कही जाती है। माँ, बहन, पत्नी जैसे महान रिश्ते जहाँ महिलाओं में समाए हुए हैं वहीं उन पर उत्पीड़न की भी सभी मर्यादाओं को हम लांघते चले जा रहे हैं हालांकि बढ़ते फैशन में महिलाओं को भी सार्वजनिक स्थानों पर स्वयं को महफूज रखने की जिम्मेदारी बनती है। आज के दौर में हम तरक्की की चाहे जितने उड़ाने उड़ रहे हों लेकिन महिलाओं के मामले में हम आज भी हमरा समाज सदियों पुरानी परंपरा में जी रहा है जिसमें दासी रूपी महिलाओं की चीखें दब कर रह जाए रही है।
बहरहाल अब समय आ गया है कि गैंगरेप हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर हम सब को एक जुट होना होगा तथा इस तरह के अपराधियों से सामाजिक सम्बंध विच्छेद कर न्याय पालिका से शीघ्र अति शीघ्र न्याय की अपेक्षा करनी होगी और सरकार को भी गैंगरेप हत्या जैसे मामलों में अविलम्ब कार्यवाही कर उसे सार्वजनिक करनी होगी जिससे आमजनों के गुस्से को काबू में किया जा सके।
नोट:जरूरी नहीं है कि आलम खान की इस रिपोर्ट से आप भी सहमत हो।