अम्बेडक़रनगर: हाथरस डीएम की तानाशाही से पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। गैंगरेप पीड़िता के अंतिम संस्कार में डीएम हाथरस की दबंगई का वीडियों वायरल हुआ और जब पत्रकारों का समूह पीड़िता के परिजनों से हकीकत जानने के लिए निकला तो जिलाधिकारी के आदेश पर किसी भी पत्रकार को गाँव तक नहीं जाने दिया गया। अंतिम संस्कार के पहले जिलाधिकारी हाथरस द्वारा पीड़िता के परिजनों को धमकी भी दी गई कि जब तक मीडिया है तब तक ठीक है लेकिन उसके बाद हम ही हम होंगे। बड़े चैनलों के प्रतिनिधियों ने बहस की गई और उसके सवाल का जवाब तो दूर बल्कि उन्हें चुप रहने की धमकी भी दी गई। जिससे पत्रकारों में आक्रोश व्याप्त है। हाथरस में पत्रकारों को गांव में जाने से रोकने तथा पीड़िता के परिवार से मिलने से रोके जाने पर पत्रकार अधिकार सुरक्षा परिषद अंबेडकर नगर के महासचिव जावेद अहमद सिद्दीकी ने कहा कि पत्रकारों को रोका जाना दुर्भाग्यपूर्ण है, जोकि मौलिक अधिकार एवं संविधान की हत्या है जिसकी मैं घोर निंदा करता हूं। शासन एवं प्रशासन अपनी विफलता को छुपाने के लिए पत्रकारों की आवाजों को दबाना चाहती है जिससे प्रतीत होता है कि देश में लोकतंत्रात्मक सरकार का पतन हो गया है। सरकार जनता की आवाज को अनसुना कर पीड़िता के परिवार तथा मीडिया के ऊपर अनर्गल दबाव बना रही है जोकि देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
बहरहाल हाथरस के जिलाधिकारी की तानाशाही रवैय्ये की चारों तरफ निंदा होने लगी है और पत्रकारों द्वारा जिलाधिकारी को तत्काल निलंबित करने की मांग भी की जाने लगी है।
पत्रकारों को हाथरस पीड़िता के गाँव जाने से रोके जाने पर आक्रोश
