भोगांव। आलीपुर खेड़ा के ग्राम नगला इतवारी मोहर पाल राजपूत के आवास पर चल रही श्रीमद भागवत कथा एवं ज्ञान यज्ञ के अन्तिम दिन कथा वाचिका रोमी शास्त्री ने कहा कि यह संसार नाशवान है मनुष्य को अपने कर्मो की सजा इसी जन्म मे मिलती है इसलिये व्यक्ति को कोई भी अपराध, चोरी आदि बुरे कर्म करते हुये अवश्य ध्यान रखना चाहिये कि उसकी सजा उसे इसी जन्म मे भोगनी पडेगी। कथावाचक रोजी शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा का समापन करते हुए कई कथाओं का भक्तों को श्रवण कराया जिसमें प्रभु कृष्ण की शादी के प्रसंग के साथए सुदामा प्रसंग और परीक्षित मोक्ष की कथायें सुनाई। इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए। भक्तों को भागवत को अपने जीवन में उतारने की बात कही जिससे सभी लोग धर्म की ओर अग्रसर हो। कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की और समाज में समानता का संदेश दिया। साथ ही भक्तो को बताया कि श्रीमद् भागवत
कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है तो वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते है। पाप और पुण्य मन के भाव हैं। जिस प्रकार देव.कर्म और दानव.कर्म होता हैए जिस प्रकार सुख.दुख का अनुभव होता हैए उसी प्रकार पाप और पुण्य भी मन केbभाव हैं। मोटे रूप से यही मान लिया जाता है कि जो काम खुलेआम किया जाएए वह पुण्य है और जो काम छिपकर किया जाए वह पाप है। श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि सुख और दुखए लाभ.हानि यश.अपयश आदि चीजों से ऊपर उठें। ऐसा इसलिए क्योंकि न सुख स्थायी है और न दुख न लाभ स्थायी है न हानि। जो आपको अच्छा नहीं लगता उसे पाप कहते हो दानव कहते हो। जो आपको अच्छा लगता है उसे पुण्यए देवता कहते हो। एक व्यक्ति आज आपके लिए प्रिय है तो उसका सब
कुछ आपको अच्छा लगता है और अगर वह आपकी बात नहीं मानता है तो आपको बुरा लगता है।इस मौके पर मोहरपाल लोधी,बबलू लोधी,हाकिम सिंह राजपूत,राजेन्द्र सिंह लोधी,दीपक राजपूत,अर्जुन सिंह,दुर्विजय सिंह राजपूत,सिया देवी,आरती देवी,अंश,पार्वती,राजेश कुमार,पुष्पेंद्र राजपूत,डॉ सुनील राजपूत,राजेश
कुमार,आछे लाल वर्मा,धर्मेंद्र राजपूत,राजपाल सिंह, दीपक राजपूत आदि लोग मौजूद रहे।
पाप और पुण्य का निर्णय हमारे ही हाथ : रोजी शास्त्री
