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मस्जिदे नबवी व ज़ुल क़िबलातैन के इमाम का शाह मीरां से था विशेष सम्बन्ध – निधन से शोक की लहर

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अल-हरमैन चैनल के माध्यम से मिली सूचना के अनुसार शनिवार 25 जून को इस्लामी दुनिया के प्रतिभाशाली और सार्वभौमिक व्यक्तित्व मदीना के प्रख्यात धार्मिक विद्वान शेख महमूद खलील अशरफी मिरानी रह. का निधन हो गया।
शेख इल्म (ज्ञान) व अमल (कर्म) के व्यक्ति थे। वे अच्छी गुफ़्तुगू (बातचीत) के साथ उच्च नैतिकता के साथ ईर्ष्यापूर्ण गुणों के व्यक्ति थे। वह सूफियों की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थे।

बताते चलेंकि 2014 में रईस उलेमा हजरत अल्लामा सैयद जामी अशरफ अशरफी अल जिलानी मिरानी साहिब किबला के निमंत्रण पर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक उर्स सरकार शाह मीरां में भाग लेने के लिए खंभात शरीफ गुजरात तशरीफ़ लाये थे जहां उन्होंने “हसास-उल-हरमैन” पुस्तक की तारीफ कर पुष्टि किया था, जिसका मूल (मठ) दरगाह अशरफिया मिरानिया खंबात शरीफ़ में मौजूद है।
शेख तारिकत मजहर करामत ग़ौस आज़म हज़रत रईस मिल्लत अल्लामा अल्हज शाह अबू अल-जामी सैयद रईस अशरफ़ अशरफ़ी अल जिलानी सज्जादा नशीन अस्ताना आलिया सरकार शाह मीरां के अनुसार उन्हें कादरिया चिश्तिया अशरफिया मिरानिया के खिलाफत के साथ सर को ऊंचा किया था। मरहूम शेख सूफीयों से भी बहुत प्रेम करते थे और उनके मज़ारों पर जाने का तरीका बहुत अलग था। आप कहा करते थे कि जब किसी मजार को बोसा देना हो, तो हाथ को पीछे की ओर करना चाहिए और केवल होंठों से चूमा जाना चाहिए, इस प्रकार परिपूर्ण साहित्य को दर्शाता है।
हुजूर रईस मिल्ल कहते हैं कि खिलाफत प्राप्त करने के बाद जब रईस मिल्लत ने हज का सफर कर सऊदी पहुंचे तो शेख महमूद खलील रह. ने अपने पिता कादर अल-फुरकान से प्राप्त किया हुआ कुरान पाक को शानदार तरीके से यादगैर के तौर पर तोहफा पेश किया था।
दार-ए-फानी (दुनिया) से आपका अचानक जाना जमात-ए-अहल-ए-सुन्नत के लिए खासकर सरकार शाह मीरां लिए ग़म व दुख है। अशरफिया मिरानिया के सभी सदस्यों से अपील की गई है कि मरहूम उम्म के लिए विशेष दुआखावनी करें. उक्त जानकारी दरगाह खम्बात शरीफ गुजरात द्वारा उपलब्ध कराई गई है।

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