होली पूर्व विद्यालय प्रांगण में आयोजित हुआ भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम

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बलिया (अखिलेश सैनी) रसड़ा जनपदीय शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी विद्यालय सन फ्लावर पब्लिक स्कूल के प्रांगण में हाेली से एक दिन पूर्व साेमवार काे हाेली मिलन समाराेह सम्मेलन पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयाेजन किया गया। जिसमें विद्यालय के विद्यार्थियाें ने एक से बढ़कर एक रंगारंग सांस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत किये । कार्यक्रम में उपस्थित विद्यालय के प्रेसीडेन्ट ने समस्त अध्यापक-अघ्यापिकाआें व अन्य काे सम्बाेधित करते हुए कहा कि हाेली पर्व समरसता का पर्व है। जिसमें हम सभी काे आपसी साैहार्द से एक दूसरे काे गले लगाकर समरसता का उदाहरण देना है। वर्तमान में चीन से प्रसारित वायरस, काेराेना वायरस अब हमारे राष्ट्र में प्रवेश कर चुका है। जिससे हमें सतर्क रहना है। हमें चीन सामग्री काे खुले ताैर पर बहिष्कार करना है ताकि हर सम्भव वायरस से हम दूर रहें। हमारे राष्ट्रीय अखण्डता में यह वायरस दीवार बन रहा है, जिसे हमें सतर्कता रुपी आैजार से घिरा देना है। वहीं प्रधानाचार्य नीरज सिंह ने अपने सम्बाेधन में कहा कि फाल्गुन की पूर्णिमा से उड़ते गुलाल व ढोलक की ताल से शुरू हुई होली भारत के कोने- कोने में विभिन्न प्रकार से हर्षोंल्लास के साथ मनाई जाती है। इस पर्व के आनंद में सभी आपसी मन-मुटाव को भूल कर एक-दूसरे के गले लग जाते हैं। सही मायने में कहा जाय ताे वर्तमान समय में त्याेहार ही हैं जाे व्यवहार काे बनाये रखें हैं। हाेलिका दहन में हम सभी हाेलिका की अग्नि में अपने मन के पाप-द्वेष दु:ख विषाद काे जलाकर समाप्त कर दें ताकि हम पर उमंगता का रंग व प्रेम का उमंग चढ़ जाय । श्रीसिंह ने सभी के प्रति मंगल कामना करते हुए कहा कि आप सभी का जीवन सुख के रंगाें से चमक उठे। विद्यालय के प्रबंधक गाैरव श्रीवास्तव ने भी अपने सम्बाेधन में कहा कि भक्ति की शक्ति व सत्यता का पर्व हाेली है। प्रहलाद ने अपने सत्यता से यह सिद्ध कर दिया है कि जाे रंग प्रेम व आराधना का है। वैसा रंग अन्यत्र कहीं नहीं। प्रेम व भक्ति का रंग रंगाेत्सव यानी हाेली है। यह हाेली जीवन में सत्यता के रंग काे बरकरार रखने की सीख देती है। अपने सम्बाेधन के अंत में श्री श्रीवास्तव ने कहा कि होली एक मेल, एकता, प्रेम, आनंद एवं खुशी का त्योहार है। इसमें हम सभी को छोटे-बड़े {बुजुर्ग}, भाई-बहन, आस-पड़ोस के साथ मिलकर रहने का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन छोटे-बड़े के गले मिलकर उन्हें एकता का उदाहरण देना चाहिए। होली खेलते समय अधिकतर लोग रंगों का प्रयोग करते हैं लेकिन हमें उनके स्थान पर गुलाल का प्रयोग करना चाहिए। रंग आंखों एवं त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होता है लेकिन गुलाल का इतना नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है और गुलाल से शारीरिक-मानसिक नुकसान नहीं होता है। प्रेम भाव से ही होली खेलनी चाहिए। किसी के साथ जोर जबरदस्ती कर रंग अथवा गुलाल नहीं लगाना चाहिए। कार्यक्रम में समस्त विद्यालय परिवार माैजूद रहा । संचालन आेम प्रकाश ने किया ।

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