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भगत सिंह तिराहा पर खुलेआम हो रहा है राष्ट्रध्वज का अपमान – आखिर कौन है ज़िम्मेदार

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बलिया: रसड़ा वर्तमान राजनीति एक ऐसी राजनीति बनकर रह गई है जाे व्यक्तिगत विकास के लिए राजनीति कर रही है। आज भारतीय समाज में राजनेताओं व शासन -प्रशासन का व्यक्तिगत लाभ से मतलब रह रहा है। सरकार हाे या सरकारी कर्मचारी इन्हे बस वाेट आैर नाेट से मतलब है देश के आन-बान-शान से नहीं। यह वाक्य शायद दाेनाें काे कठाेर व कड़वा लगे किन्तु सत्य ताे सत्य हाेता है।  इसी तर्ज पर हम आपकाे एक ऐसे प्रसंग से भेंट कराने जा रहे हैं,जिसे आप भी पढ़कर एक बार अवश्य निष्पक्ष विचार करेंगे। आपकाे बता दें कि रसड़ा नगर के भगत सिंह तिराहे पर स्थित भगत सिंह की प्रतिमा के ठीक ऊपर विगत कुछ महिनाें से भारतीय राष्ट्रीय गाैरव का प्रतीक तिरंगा लगा हुआ है। जाे भारतीय तिरंगा कानून के विरुद्ध दिनाें-रात फहरता रहता है क्याेंकि इस तिरंगे काे  लगाकर जाने वाले काे यह ज्ञात नहीं हाे पाया कि तिरंगा फहराने का समय सूर्याेदय से सूर्यास्त तक का ही है। नगर के मुख्य तिराहे पर तिरंगा चाैबीस घण्टे फहरता रहता है। तिरंगे काे फहराने का समय सूर्याेदय से सूर्यास्त तक ही है। सूर्यास्त हाेते ही तिरंगे काे ससम्मान पूर्वक उतार लेते हैं लेकिन तिराहे पर सुबह से लेकर रात तक आैर फिर रात से लेकर सुबह तक अर्थात् चाैबीस घण्टे तिरंगा लगा रहता है। 
मां, मिट्टी, मानुष व देशभक्ति भावना की राजनीति करने वाली बीजेपी की सरकार में भारतीय गाैरव का प्रतीक तिरंगे का अपमान हाे रहा है। गाैरतलब बात यह है कि प्रतिदिन दिनाें-रात प्रशासन की गाड़ियाें के साथ-साथ एक से बढ़कर एक दिग्गज राजनेताआें की गाड़ियां भी इसी तिराहे से हाेकर गुजरती है, लेकिन किसी की भी नजर भारत की आन-बान-शान तिरंगे पर नहीं पड़ रही है। इसे दुर्भाग्य ही समझा जाएगा। जिस तिरंगे काे गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर सरकारी या गैर सरकारी कार्यालयाें में फहराकर तिरंगे के लिए जीने-मरने की कसमें खाई जाती है। उसी तिरंगे का रसड़ा नगर में अपमान किया जा रहा है।
भारतवर्ष काे अपना ध्वज दिलाने के लिए मां भारती के कई सपूताें ने हंसते-हंसते जान दे दी। आज उसी तिरंगे का अपमान हाे रहा है।  यह मात्र तिरंगे का ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति व वीर गाथा इतिहास का भी अपमान है। तिरंगे काे अपमानित करने वाले पर देशद्राेह का मुकदमा कायम हाेता है, अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस विषय काे गम्भीरता से लेगी ?

तिरंगे काे रात में फहराने के नियम 

भारतीय नागरिक काे रात में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने हेतु कड़े नियम भी हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गये प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी। कांग्रेस नेता जिंदल को दिये गये संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गयी है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून 2009 में मंत्रालय को दिये गये प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराये जाने की अनुमति मांगी थी। जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज 100 फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात में  फहराये जाते हैं।

भारतीय ध्वज फहराने के नियम

भारतीय ध्वज संहिता भारतीय ध्वज को फहराने व प्रयोग करने के बारे में दिये गए निर्देश हैं। इस संहिता का आविर्भाव 2002 में किया गया था। भारत का राष्ट्रीय झंडा, भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय ध्वज संहिता-2002 में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। ध्वज संहिता-भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता-2002 को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया है।
जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। सरकारी भवन पर झंडा रविवार और अन्य छुट्‍टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है। झंडे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए। जब झंडा किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो झंडे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए। झंडे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुँह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उनके दाहिने ओर हो। झंडा किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचों बीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए। फटा या मैला झंडा नहीं फहराया जाता है। झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा व झंडे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए। जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में ससम्मान पूरा नष्ट किया जाए।

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