बलिया (नवल जी) 7 दिवसीय दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की तरफ से श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन 14 से 20 मार्च तक रामलीला मैदान बलिया में किया जाएगा।
सात दिवसीय कथा में आशुतोष महाराज की परम शिष्य विश्वविख्यात कथावाचक साध्वी पद्म हस्ता भारती के मुखारविंद से श्रद्धालु भागवत कथा का रसपान करेंगे। इसकी सूचना दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संयोजक स्वामी अर्जुन आनंद ने प्रेस वार्ता के दौरान दिया बताया रोजाना दोपहर 2:00 बजे से 6:00 बजे तक कथा का आयोजन होगा इसके लिए रामलीला मैदान में भव्य पंडाल लगाया जा रहा है। एक साथ 7000 से अधिक श्रद्धालु कथा को सुनकर निहाल हो सकेंगे। उन्होंने बताया कि संस्था की स्थापना वर्ष 1983 में आशुतोष जी महाराज ने की थी। यह संस्था सामाजिक आध्यात्मिक और कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रतिबद्ध है। संस्था नेत्रहीन, दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है। जिसके अंतर्गत पुनर्वास कार्यक्रम भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह कथा संस्थान के नशा उन्मूलन कार्यक्रम बोध को समर्पित है जिसका उद्देश्य लोगों को नशे के दुष्परिणामों से अवगत करा कर नशा मुक्त समाज की स्थापना करना है। बताया पूरे देश में संस्थान की 350 शाखाएं हैं जिनमें लगभग 10,000 सन्यासी काम कर रहे विश्व के 15 देशों में संस्थान की शाखाएं उपलब्ध कथा की शुरुआत 14 मार्च को कलश यात्रा के साथ होगी। कलश यात्रा रामलीला मैदान से नया चौक, चमन सिंह बाग रोड, गुदरी बाजार, कासीम बाजार, रेलवे स्टेशन होते हुए वापस कथा स्थल पर समाप्त होगी। संस्थान की ओर से भागवत कथा, राम कथा, गौ कथा, कृष्ण कथा, शिव कथा, भजन संध्या चौकी, जागरण इत्यादि अध्यात्मिक आयोजन किए जाएंगे।
भागवत कथा के अहम पहलू को बताते हुए कहा रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली कथा के दौरान भी सामाजिक सारोकारों से जुड़े भ्रूण हत्या, गौ हत्या, देशभक्ति, पर्यावरण, बच्चों को संस्कार इत्यादि विषयों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाएगी। वहीं हजारों की संख्या में युवाओं को शुभ संस्कार मिलेंगे। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, ध्यान के तीन विशेष शिविर चलाए जाएंगे जिसमें भक्तों को ब्रह्म ज्ञान प्रदान किया जाएगा। हजारों श्रद्धालुओं को राधा माधव मंडल सेवा समिति द्वारा प्रसाद का वितरण कराया जाएगा। सामाजिक समर सत्ता का बहुत बड़ा कार्यक्रम जिसमें सभी बिरादरी के भक्त एक साथ पूजन करेंगे वही कार्यक्रम हवन यज्ञ के द्वारा समापन किया जाएगा।