अम्बेडकरनगर: इस्लाम के अंतिम सन्देष्टा हज़रत मोहम्मद सल्ल. के अतिप्रिय नाती हज़रत इमाम हुसैन व उनके परिजनों सहित 72 साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद करने के चालीसवें दिन मनाए जाने वाले चेहल्लुम पर नम आंखों से अमर शहीदों को पुरसा दिया गया। कोविड 19 प्रोटोकॉल के कारण ऐतिहासिक जुलूस नहीं निकाला गया हालांकि श्रद्धालुओं द्वारा अलग अलग ताजिया को ले जाकर दफनाया गया और अज़ाखानों में सोशल डिस्टेंडिंग का पालन करते हुए मजलिस कार्यक्रम सम्पन्न हुई।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस की महामारी के दौरान गत दिनों इस्लामिक कलैंडर के माह मुहर्रम की दसवीं तारीख को निकलने वाला ऐतिहासिक जुलूस स्थगित कर दिया गया था और ठीक चालीसवें दिन बाद मनाए जाने वाला चेहल्लुम भी कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गया। कोविड 19 प्रोटोकाल के कारण शासन की दिशा निर्देश पर गुरुवार को निकलने वाला ऐतिहासिक चेहल्लुम जुलूस नहीं निकाला गया। अज़ाखानों में मजलिस का आयोजन किया गया और नौहा ख्वानी व मातम का आयोजन सोशल डिस्टेंडिंग का पालन करते हुए हुआ। श्रद्धालुओं द्वारा छोटी ताजियों को अलग अलग ले जाकर दफन किया गया। टाण्डा के आसोपुर शाहबाग में स्थित कर्बला में भी श्रद्गलुओं द्वारा ताजिया दफन किया गया।
कोविड 19 के कारण नहीं उठ सका चेहल्लुम जुलूस – नम आंखों से दिया गया पुरसा
