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बुनकरों की हड़ताल के कारण मिट्टी खिलौनों की दुकानों पर भी सन्नाटा

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अम्बेडकरनगर: पवित्र सरयू तट आबाद प्राचीन औद्योगिक बुनकर नगरी टाण्डा का मुख्य कारोबार कपड़ा उद्योग ही है और कपड़ा उद्योग बन्द होते ही मानो पूरा क्षेत्र ही ठप सा हो जाता है। फ्लैट रेट बिजली सप्लाई की मांग कर रहे बुनकरों की हड़ताल गत 15 अक्टूबर से अनवरत जारी है। हड़ताल का दिन जिस तरह से बढ़ता जा रहा है उसी तरह से बुनकर नगरी का अन्य व्यवसाय भी प्रभावित होता आज रहा है। बुनकर नगरी में प्रत्येक वर्ष दीपावली अवसर पर एक माह पहले से ही नगर क्षेत्र के मोहल्लाह सकरावल में मिट्टी खिलौनों की दुकानें फुटपाथों पर सज जाया करती थी लेकिन इस बार कोरोना वायरस की महामारी और फिर बनकारों की अनिश्चित कालीन हड़ताल के कारण मिट्टी बर्तनों की दुकाने थोड़ी देरी में सजी। मिट्टी खिलौनों की दुकानों के सजते ही बच्चों ने भीड़ लगा लिया लेकिन मात्र दो दिन बाद ही मिट्टी बर्तन दुकानदारों को अकेले बैठा ही देखा जाने लगा।आमतौर पर मुट्टी खिलौनों की दुकानों पर जबरदस्त भीड़ रहती थी और खिलौना विक्रेता शाम होते होते सभी सामानों को बेच लिया करते थे लेकिन बुनकरों की हड़ताल के कारण अब उनका मात्र 20 से 25 प्रतिशत समान ही बिक रहा है, बाकी सामानों को प्रतिदिन वापस लेकर जाने पर गरीब दुकानदार मजबूर हैं। टाण्डा नगर में पॉवर लूमों की खटर पटर जब जब बन्द हुई है तब तब छोटे व मझले दुकानदारों का इसका खामियाजा भुगतता पड़ा है। अनिश्चित कालीन हड़ताल के तीन सप्ताह होने के बाद भी सरकार व बुनकरों के बीच सीधा संवाद कायम नहीं हो सका है जिसके कारण बुनकरों की हड़ताल बदस्तोयर जारी है और हड़ताल का खामियाजा नगर क्षेत्र में रहने वाले सभी छोटे बड़े दुकानदारों व अन्य कारोबारियों को उठाना पड़ रहा है और इसी कारण मिट्टी खिलौनों की दुकानों पर भी सन्नाटा नज़र आता है हालांकि रंगबिरंगे खिलौनों को देखने के लिए छोटे मासूम बच्चे घंटो दुकान को घेर कर खड़े भी रहते हैं।

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