अम्बेडकरनगर (रिपोर्ट: आलम खान – एडिटर इन चीफ/मान्यता प्राप्त पत्रकार 8090884090) जलालपुर थानाक्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता धर्मेंद्र यादव से 20 हज़ार रुपए अवैध धन उगाही करने के आरोप में सिपाही रानू यादव पर मुकदमा दर्ज कर उसे निलंबित करने के मामले में तरह तरह की चर्चाएं क्षेत्र में चल रही है।
बताते चलेंकि गत दिनों जलालपुर पुलिस द्वारा रात्रि गस्त के दौरान दो संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया था। पुलिस की पूंछतांछ में दोनों अभियुक्तों की निशानदेही पर चोरी का मोटर बरामद हुआ था। हिरासत में लिए गए अभियुक्तों द्वारा जगदीशपुर कपिलेश्वर निवासी भाजपा कार्यक्रता धर्मेंद्र यादव द्वारा मोटर खरोदारी करने का आरोप लगया गया था जिसके बाद जलालपुर पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ता धर्मेंद्र यादव को भी हिरासत में ले लिया और फिर अधिकांश मामलों की तरह डील कर उनसे 20 हज़ार रुपये लेकर उन्हें छोड़ दिया लेकिन धर्मेंद्र यादव द्वारा जब भाजपा जिलाध्यक्ष से शिकायत किया तो हड़कम्प मच गया और रात्रि में ही थाना का घेराव तक किया गया जिसके बाद भाजपा कार्यकर्ता धर्मेंद्र यादव की तहरीर पर जलालपुर थाना में ही सिपाही रानू यादव के खिलाफ भ्रस्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हो गया और पुलिस कप्तान ने आरोपित सिपाहा को निलंबित कर दिया। क्षेत्र में चर्चा है कि भाजपा कार्यकर्ता से अवैध धन वसूली करने के कारण सिपाही को खामियाजा भुगतना पड़ा अन्यथा सिपाही का कुछ भी नहीं होता। दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर चर्चाएं चल रही है कि अवैध धन वसूली मामले का सिर्फ सिपाही ही नहीं दोषी है बल्कि संबंधित थाना के प्रभारी की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है।बहरहाल अवैध धन वसूली मामले में सिपाही के मामले में चाय खानों सहित सोशल मीडिया पर भाजपा कार्यकर्ता के कारण भाजपा जिलाध्यक्ष के हस्तक्षेप पर हुई कार्यवाही की खूब चर्चाएं हो रही है तथा चर्चाएं है कि इसी तरह जनपद के अधिकांश थानों पर खुला खेल जारी है लेकिन उन पर आखिर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है। सवाल बड़ा है कि अगर भाजपा कार्यकर्ता का मामला ना होता तो क्या सिपाही पर कार्यवाही होती और सिपाही को ही अकेला ज़िम्मेदार क्यों माना गया जबकि थानों पर बिना प्रभारी की सहमति के कोई मामला तय नहीं होता है और ना ही किसी सिपाही की हैसियत है कि बिना प्रभारी की सहमति के किसी को अवैध धन लेकर थाना से रिहाई दे सके।