अम्बेडकरनगर: टाण्डा व अलालपुर तहसील परिक्षेत्र से होकर गुजरने वाली प्रसिद्ध घाघरा (सरयू) नदी के गहरे पानी से मछलियों का शिकार कर उन्हें बाज़ारों में बेच कर ही माँझवार समुदाय के सैकड़ों परिवारों का अनन्त वर्षों से जीवनयापन होता रहा है लेकिन गत दिनों पहली बार सरयू नदी के मत्स्य आखेट नीलामी (मछलियों के शिकार करने का ठेका) होने से मंझवार समुदाय के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। मत्स्य आखेट नीलामी दाताओं व मंझवार समुदाय के बीच प्रतिदिन झड़पें होती रहती है जिससे मंझवार समुदाय काफी भयभीत है। मंझवार (मांझी) समिति उत्तर प्रदेश के जिलाध्यक्ष पप्पू यादव के नेतृत्व में मांझी समुदाय प्रशासन से लगातार मत्स्य आखेट नीलामी निरस्त करने की मांग कर रहा है।
मंगलवर को जहां अपर जिलाधिकारी डॉक्टर पंकज कुमार वर्मा को ज्ञापन देकर न्याय की गोहार लगाई गई है वहीं फूलपुर घाट के मंझवारों ने उपजिलाधिकारी टाण्डा के माध्यम से महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर मदद की गोहार लगाई है। उपजिलाधिकारी टाण्डा द्वारा राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन तहसील मुख्यालय पर अधिकारियों के ना रहने के कारण सीए धीरज श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपा गया। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार घाघरा नदी की मत्स्य आखेट नीलामी निरस्त ना होने के कारण ठेकेदारों व मंझवारों के बीच तनाव जारी है जो किसी न किसी दिन उग्र रूप धारण कर सकता है।
मंझवार समुदाय के लोगों का कहना है कि अनन्त काल से उनकर पूर्वजों द्वारा भी माँ सरयू से मछलियों को निकाल कर बेचते थे और आज भी हम लोग मां सरयू द्वारा दी गई मछलियों से अपना परिवार का भरण पोषण करते हैं लेकिन ठेकेदारों द्वारा दबंगई से उनकी मछलियां व जाल छीन लिया जाता है जिससे उनके परिवार के सामने भुखमरी की समस्या पैदा होने लगी है।


