बलिया (रिपोर्ट अखिलेश सैनी) मौसम बदल रहा है। परिवर्तित ऋतु का असर सबसे ज्यादा मनुष्य पर पड़ता है। शीत ऋतु का समापन होने को हैं अब ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो रहा है। जिसके तहत चारों तरफ परिवर्तन का बयार चल रहा है। आम से लेकर खास व्यक्ति इस बदलते मौसम में सबसे अधिक मच्छरों से परेशान हैं। बताते चलें कि बदलते मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ने लगा है। शाम होते ही मच्छरों का आतंक फैल जा रहा है। इस कारण बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ गई है। इसके अलावा जगह जगह गंदगी भी मच्छरों के पनपने की मुख्य वजह है। रसड़ा नगरवासी मच्छरों से बचाव के लिए हर तरह का प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि नगरवासियों ने रसड़ा नगर पालिका से फागिंग कराने की मांग की है। गर्मी के साथ ही मच्छरों का भी प्रकोप बढ़ने लगा है। शहर की गंदगी, नाले का गंदा पानी, जाम नाला की समस्या है। सफाई कर्मियों के नियमित न आने की वजह से गंदगी पसरी है। नालियां गंदे पानी से उफनती नजर आती है और वह पानी सड़क पर बहता रहता है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। मच्छरों को मारने के लिए कीटनाशक दवाओं के छिड़काव को लेकर स्वास्थ्य विभाग व नगर प्रशासन ने आंखें बंद कर रखी है। मच्छर की बढ़ती संख्या का आलम है कि रात नहीं, दिन में भी इसका प्रकोप जारी रहता है। वहीं संध्या होते ही लोगों का किसी स्थान पर बैठना मुश्किल हो जाता है। घर हो या दुकान, हर जगह मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। सुबह हो या शाम मच्छरों का हमला शुरू हो जाता है। इसके चलते संक्रमण का खतरा, बीमारी के भय से लोग दिन में भी मच्छरदानी तथा मच्छर भगाने वाले क्वायल का प्रयोग करते हैं। उधर चिकित्सकों के अनुसार मच्छर मारने वाले क्वायल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। लोगों की मानें तो मच्छरों के बचाव को निजी इंतजाम नहीं किए जाएं तो घंटे दो घंटे भी लोग शांति से बैठ नहीं सकते।