देश की पहली महिला शिक्षिका व समाज सुधारक थी सावित्री बाई फुले
अम्बेडकरनगर: प्रोफेसर टीचर एंड नॉन टीचिंग इम्प्लाइज आर्गेनाइजेशन (प्रोटान) के तत्वावधान में रविवार को आकांक्षा एजूकेशन बसखारी में ‘सावित्री बाई फुले का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान’ विषय पर अनुपम रंजन नई दिल्ली की अध्यक्षता एवं विकास सक्सेना के संचालन में कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम में सितारे उर्दू अवार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने उद्घाटन करते हुए कहा कि सावित्री बाई फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया तथा वह देश की पहली महिला शिक्षिका व समाज सुधारक थीं।समाज को शिक्षित बनाने की इस पहल में उनके पति ज्योतिबा फुले ने काफी मदद की। बतौर मुख्य अतिथि जंजीत कुमार ने कहा कि सावित्रीबाई फुले का जीवन त्याग संघर्ष और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है।उन्होंने शिक्षा को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करके वंचित, गरीब और आमजन के जीवन में सुधार लाने का प्रयास किया।अनुपम रंजन ने कहा कि सावित्रीबाई फुले महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल हैं,और शिक्षा तथा सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अग्रणी हैं। लोगों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए उनके प्रयास हमें प्रेरित करते रहते हैं। मास्टर धर्मशील ने कहा कि सावित्रीबाई ने 19वीं सदी में बाल विवाह, छुआछूत और सती प्रथा आदि जैसी सामाजिक कुरीतियों की समाप्ति के लिए अपने पति के साथ मिलकर संघर्ष किया। उनका जीवन त्याग संघर्ष और सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है ।बीएमपी जिला सचिव विकास सक्सेना ने कहा कि महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए अहम योगदान दिया है। उनका मन था कि सर्व मानव एक ही ईश्वर की संतान हैं।यह बात जब तक हमें समझ में नहीं आती, तब तक ईश्वर का सत्य रूप हम नहीं जान सकते हम सभी मानव भाई-भाई हैं।इस अवसर पर लालजी गौतम, ओम प्रकाश राव, कांति यादव, मनीष कुमार, प्रमोद कुमार, कंचन लता, मीरा देवी, शांति देवी, सलेहा कौसर समेत महिलाओं की भारी संख्या मौजूद थी।