WhatsApp Icon

भव्य नशिस्त कार्यक्रम में दिवंगत शायर हेलाल राना को दी गई श्रधांजलि

Sharing Is Caring:

“छुप छुप बात करती थी फैशन के दौर में, जब सामना हुआ तो वो बुढ़िया निकल गई” हलचल टाण्डवी

सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now

 

अम्बेडकरनगर: गोल्डन एरा बसखारी के तत्वावधान में इंकलाबी शायर हेलाल राना किछौछवी की याद में ‘एक शाम हेलाल राना किछौछवी के नाम’ शनिवार की रात्रि में बसखारी स्थित सोनी मैरिज हाल डोंडो में मोहम्मद इब्राहीम खान की अध्यक्षता व सितारे उर्दू अवार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान की संचालन में आयोजित हुआ। दिवंगत शायर हेलाल राना को उक्त कार्यक्रम में श्रधांजलि अर्पित किया गया।


संयोजक नशिस्त (मुशायरा) कुमैल अहमद सिद्दीकी व नेता जावेद अहमद सिद्दीकी ने चिकित्सक डॉ. हिमायतुल्लाह बसखारी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य जाकिर हुसैन, वरिष्ठ पत्रकार आलम खान, सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था कलम कबीला के संस्थापक अजीम अंसारी व अध्यक्ष सद्दाम हुसैन व मुख्य अतिथि चिकित्सक डा.शोएब अख्तर को अंग वस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया। शायरों की हर अदा ने श्रोताओं को अपनी शायरी का कायल बनाया। कभी शायरी में सिमटी मोहब्बत बिखरी तो कभी वतन के लिए लहू बहाने की बातें हुईं। किसी ने नेताओं पर तंज कसा तो किसी ने इंसानियत का पैगाम दिया। देर रात तक शायरी की खुश्बू से माहौल महकता रहा और लबों को छूकर सीधे रूह तक लफ़्ज़ उतरते गए।कार्यक्रम का शुभारंभ हलचल टांडवी व शायर कुमैल सिद्दीकी के के नाते पाक से हुआ। मुख्य अतिथि डॉ.शुएब अख्तर ने कहा कि हेलाल राना ज़बान और लहजे में हमेशा नई बात कहने की कोशिश करते थे।शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने कहा कि हिलाल राना किछौछवी उर्दू शायरी की दुनिया में एक चमकते सितारे थे।उन्होंने अपनी इंकलाबी शायरी को किछौछा की धरती से दुबई तक अपनी शायरी का लोहा मनवाया। इंकलाबी शायर कुमैल सिद्दीकी ने कहा कि हेलाल राना की इंकलाबी शायरी से समाज में भाईचारा, प्यार, मोहब्बत, वतन परस्ती, इंसानी हमदर्दी, क़ौमी एकता और दहशत गर्दी पर लगाम लगाने में मदद मिलती है। जावेद अहमद सिद्दीकी ने कहा कि हेलाल राना ने उर्दू शायरी और साहित्य के लिए जो अमूल्य सेवाएं दीं, वे हमेशा जिंदा रहेंगी। मुशायरे में अफरोज़ रौशन किछौछवी ने शेर पढ़ा कि कहा हज़ारों दाग हैं दामन पे जिसके,वही मेरी शिकायत कर रहा है।
हास्य व्यंग्य के शायर हलचल टांडवी ने कहा छुप छुप बात करती थी फैशन के दौर में, जब सामना हुआ तो वो बुढ़िया निकल गई। नफीस किछौछवी ने कहा जाने कहां गए बेचारे,जाने क्यों ये बस्ती छोड़ी। इंसाफ टांडवी ने कहा अगर गुरुर है तुझको सुनार होने का, तो आज जान ले बेशक लोहार मैं भी हूँ। अहमद सईद टाण्डवी ने कहा बज़ाहिर देखने मे वह बड़ा मासूम लगता है, मगर जब बोलता है मुंह से चिंगारी निकलती है। साबिर जलालपुरी ने कहा लग जाएगी भीड़ जवानों की आखिर जिस दर पे इजहार तुम्हारा हो जाए। अकरम भूलेपुरी ने कहा बचा सकता है अकरम कौन किसका कत्ल होने से, कहीं मौजे सबा कातिल कहीं आबे रवा कातिल। शहंशाह ए तरन्नुम हकीम इरफान आजमी ने खास अंदाज से शायरी पेश कर खूब तालियां बटोरी। शायरा सुम्मुन टांडवी ने कहा धर्म और मजहब के भेदभाव, सबके दिलों से हम मिटाएंगे।शायर हलचल टांडवी ने अपनी शायरी से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
इसके अलावा शगुफ्ता अंजुम व अन्य शायरों ने अपने कलाम पेश किए। उक्त अवसर पर मोहम्मद आसिफ खान प्रधान डोंडो, सभासद दस्तगीर अहमद, जुहैब खान, हारिस खान आदि मौजूद थे।

अन्य खबर

भगवान शिव व माता पार्वती का व्रत रख कर सुहागिनों ने अपने पति की दीर्घायु की किया कामना

टाण्डा नगर को हराभरा बनाने की मुहिम में लगातार जुटा है बागबान फाऊंडेशन

टाण्डा-बस्ती रेलमार्ग निर्माण के लिए डीएम ने उत्तर रेलवे को भेजा पत्र

error: Content is protected !!