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दशकों बाद 2078 सम्वत् में बन रहा है विचित्र योग – नव संवत्सर पर विशेष रिपोर्ट

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डॉक्टर देव नारायण पाठक की विशेष रिपोर्ट: प्रमादी संवत्सर 12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार तदनुसार सोमवती अमावस्या के दिन समाप्त हो रहा है। नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय प्रयागराज के ज्योतिष कर्मकाण्ड वास्तुशास्त्र एवं सस्कृत विभागाध्यक्ष डॉक्टर देव नारायण पाठक ने बताया की इस नव संवत्सर में विचित्र योग बन रहे है यह नव संवत्सर राक्षस नाम से जाना जाएगा, किन्तु हृषिकेश पञ्चाङ्गानुसार संकल्पादि में वर्ष पर्यन्त आनन्द सम्वत्सर का ही विनियोग करना चाहिए।

90 साल के बाद ऐसा संयोग बन रहा है। 89 वर्ष का प्रमादी संवत्सर अपना पूरा वर्ष व्यतीत नहीं कर रहा है। इसे अपूर्ण संवत्सर के नाम से जाना जाएगा 90 वर्ष में पड़ने वाला विलुप्त नाम का संवत्सर आनंद का उच्चारण नहीं किया जाएगा। इस निर्णय के अनुसार वर्तमान प्रमादी संवत्सर फाल्गुन मास तक रहेगा इसके बाद पड़ने वाला आनंद नाम का विलुप्त संवत्सर पूर्ण वत्सरी अमावस्या तक रहेगा।वैशाख कृष्णपक्ष 6 रविवार को 23/41 इष्ट पर तदनुसार 2:58 बजे दिनांक 02 मई 2021 से राक्षस नामक नव संवत्सर प्रारम्भ हो रहा है, इस संवत्सर में रोग बढेंगे और राक्षस प्रवृत्ति लोगों मे बढेगी। इस वर्ष का राजा व मंत्री का पद भार स्वयं भौमदेव सम्भालेगें इस सम्वत्सर में शनि देव को कोई विभाग नहीं दिया गया है, इस कारण इस संवत्सर में जनता में विद्वेष , भय , उग्रता राक्षसी प्रवृत्ति यदा कदा दुर्भिक्ष अकाल तथा संक्रामक रोगों से देश प्रभावित रहेगा। यद्यपि गुरु के पास वित्त विभाग तथा बुधदेव कृषि मंत्री रहेगें जिसके कारण अनाज की पैदा वार में कमी नहीं आएगी चन्द्रमा देश की रक्षा करेंगे। इस संवत्सर में शनिदेव मकर राशि में स्वग्रही होकर भोग करेंगे तथा कुम्भ राशि पर उनकी दृष्टि बनी रहेगी इस लिए मकर , कुम्भ तथा धनु राशि वाले जातकों को शनिदेव का जप करना हित कर रहेगा। जहाँ कर्क राशि वाले जातकों पर शनि देव की कृपा बनी रहेगी वहीं वृष राशि के जातको को राहु दिग्भ्रमित करेगा इस लिए वृष राशि वाले जातकों को राहु का जप करना चाहिए।
चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ 13 अप्रैल 2021 से हो रहा है तथा समापन 22 अप्रैल को होगा। 13 अप्रैल को बासन्त नवरात्रारम्भ हो रहा है। इस दिन प्रातः 8:51 बजे तक प्रतिपदा तिथि प्राप्त है, अतः प्रातः 8:51 बजे तक में कलश स्थापना शुभदायी है, जबकि दिवस पर्यन्त दुर्गापूजनारम्भ , चण्डीपाठारम्भ कार्य किए जा सकेंगे। 20 अप्रैल को अष्टमी तिथि हो रही है , अतः इसी दिन अष्टमी का व्रत एवं पूजन , पाठ , हवनादि किए जाएंगे , किन्तु महाष्टमी निशीथ साधकगण 19 अप्रैल में अष्टमी होने से रात्रि पर्यन्त तंत्र मंत्र यंत्रादि की सिद्धि यंत्रनिर्माण , बलिकर्म इत्यादि करेंगे। 21 अप्रैल को निर्विवाद रूप से नवमी होने से श्रीरामनवमी का पर्व मनाया जायेगा , मध्याह्न में कर्क लग्न में श्री रामजन्मोत्सव तथा नवरात्रि का हवन , पूर्णाहुति,चण्डी पाठ का.समापन तथा विसर्जन आदि कार्य सायंकाल तक करना उत्तम रहेगा।

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