पर्यावरण संरक्षण की अपील: पराली न जलाएँ, अन्य विकल्प अपनाएँ: जिलाधिकारी
जनपद में पराली जलाने वाले कृषकों का धान क्रय प्रतिबंधित
अम्बेडकरनगर: जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला ने फसल अवशेष/पराली जलाने से वातावरण एवं मृदा की उपजाऊ शक्ति पड़ने वाले दुष्प्रभावों के प्रति कृषकों को जागरूक करने और फसल अवशेष/ पराली जलाने के रोकथाम हेतु प्रभावी कार्य करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि कृषि अपशिष्ट या पराली को जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे मानव स्वास्थ्य, पशुओं एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और मृदा की उपजाऊ शक्ति भी घटती है जिससे फसल उत्पादन भी प्रभावित होता है। अतः कृषक पराली न जलाएँ और पराली प्रबंधन के वैकल्पिक उपाय जैसे मल्चर, हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम आदि का उपयोग करें।उन्होंने कहा कि माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशानुसार फसल अवशेष जलाना एक दण्डनीय अपराध है। भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 06 नवम्बर 2024 के अनुसार पराली जलाने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति (Environmental Compensation) की राशि 02 एकड़ से कम क्षेत्रफल के लिए हज़ार, 02 से 5 एकड़ के लिए 10 हजार और 05 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लिए 30 हजार निर्धारित की गई है। पराली जलाने की घटना पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति की वसूली तथा धारा 26 के अंतर्गत उल्लंघन की पुनरावृत्ति होने पर अर्थदण्ड व एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जा सकती है। इसी के साथ ही जिलाधिकारी ने बताया कि जनपद अम्बेडकरनगर में पराली जलाने वाले कृषकों का सरकारी धान क्रय केंद्रों पर धान क्रय नहीं किया जाएगा।



