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जिला कारागार में मानव तस्करी पर सम्पन्न हुआ विधिक सेवा शिविर

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अम्बेडकरनगर: उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण , लखनऊ द्वारा प्रेषित प्लॉन आफ एक्शन के अनुपालन में जनपद न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉक्टर बब्बू सारंगके निर्देशानुसार सोमवार को जिला कारागार में मानव तस्करी विषय पर विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व सिविल जज ने शिविर को सम्बोधित करते हुये बताया कि मानव तस्करी की परिभाषा के अनुसार किसी व्यक्ति को डरा कर, बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से कोई कार्य करवाना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य मानव तस्करी की श्रेणी में आते हैं। मानव तस्करी विश्व में एक गम्भीर समस्या बनकर उभरी है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिये खरीदा एवं बेचा जाता है। वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस घृणित अपराध के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहित करने हेतु मानव तस्करी से निपटने के लिये वैश्विक योजना को अपनाया था। इस योजना के अनुसार सभी राष्ट्र इस जघन्य अपराध के प्रति जागरुक हो रहें हैं , पीड़ितों की पहचान की जा रही है और अधिक से अधिक तस्करों को सजा दी जा रही है। रिपोर्ट में यह बताया गया है कि महिलायें एवं लड़कियां मानव तस्करी से सर्वाधिक पीड़ित हैं। इनमें से अधिकांश की तस्करी यौन शोषण के लिये किया जाता है, हालांकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 ( 1 ) और अनैतिक व्यापार ( रोकथाम ) अधिनियम , 1956 के तहत भारत में मानव तस्करी प्रतिबन्धित है तथापि मानव तस्करी की जांच के लिये सरकार अवैध व्यापक विधेयक को पुनः पेश करने की योजना बना रही है। ज्ञातव्य है कि मानव तस्करी ( निवारण , संरक्षण एवं पुनर्वास ) विधेयक 2018 वर्ष 2018 में लोक सभा द्वारा पारित किया गया था। मानव तस्करी के खिलाफ विश्व दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जुलाई को मनाया जाता है। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जेल अधीक्षक श्रीमती हर्षिता मिश्र ने कहा कि वर्ष 2019 की रिपोर्ट में मानव तस्करी की राष्ट्रीय प्रकृति पर प्रकाश डाला गया है। जिसके अनुसार 60 प्रतिशत से अधिक मामलों में पीड़ितों को उनके देश की सीमाओं से बाहर ले जाने के बजाय देश के अन्दर ही उनकी तस्करी की जाती है । अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आकड़ों के अनुसार यौन उत्पीड़न हेतु तस्करी देश की सीमाओं से बाहर किये जाने की सम्भावना अधिक होती है, जबकि श्रम के मामले में मानव तस्करी सामान्यतः अपने ही देश में की जाती है। महिलायें एवं लड़कियां सबसे अधिक असुरक्षित हैं 90 प्रतिशत महिलायें एवं लड़कियों की तस्करी यौन शोषण के लिये की जाती है। भारत में सर्वाधित प्रभावित राज्य पश्चिम बंगाल , छत्तीसगढ़ , झारखण्ड व असम है। भारत में तस्करी सम्बन्धित दण्ड संहिता की धार 370 में संशोधन किये जाने की सिफारिश की गयी है।

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