अम्बेडकरनगर से होकर गुजरने वाली घाघरा नदी का जलस्तर पिछले दो दिनों में काफी तेजी से बढ़ रहा है जिससे नदी के किनारे के गाँव में रहने वाले लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। घाघरा नदी के किनारों पर कटान काफी तेजी से हो रही है। कटान रोकने के लिए प्रशासन ने कई स्थानों पर कवायद भी शुरू कर दिया है लेकिन समय से पहले बाढ़ की स्थित आने के कारण सफलता मिल पाएगी इस पर संशय है।
लगातार हो रही भारी बरसात और नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने से अचानक दो दिनों में घाघरा का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ गया है और साथ ही घाघरा में कटान भी तेजी से हो रही है। अमूमन पूर्व के वर्षों में नदी का जलस्तर जुलाई में बढ़ना शुरू होता था और प्रशासन भी उसी अनुसार अपनी तैयारियां करता था लेकिन अचानक जलस्तर बढ़ जाने और तेजी से हो रहे कटान के कारण नदी के किनारे रहने वाले लोग परेशान नज़र आने लगे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत मांझा में आने जाने वाले लोगों को है जिनकी आर्थिक व्यवस्था भी बिगड़ गई है। बहाव इतना तेज है कि नाव तक कट के बह जा रही है। एक तरफ तो कटान है तो दूसरी तरफ यानी बस्ती, संतकबीर नगर की तरफ भी बहुत तेजी से कटान हो रहा है। टाण्डा के चिंतौरा गनब में भी काफी दूर तक कटान हो रहा है जिस सम्बन्ध में सूचना न्यूज़ टीम द्वारा प्रमुख्यता से कहबर प्रसारित की गई थी जिसका संज्ञान लेते हुए टाण्डा उपजिलाधिकारी अभिषेक पाठक ने तत्काल निरक्षण किया और बढ़ को रोकने के लिए कार्य तेज़ करवा दिया है हालांकि अभी बढ़ जाने से कटान तेज़ी से बढ़ने लगी है और ऐसा ही रहा तो नदी के किनारे मन्दिर भी इसकी चपेट में आ जायेगा। सरकार कुछ व्यवस्था बना रही है देखिए क्या होता है टाण्डा में दो से तीन किलोमीटर तक कटान हो रही है।
नदी से होने वाले कटान को रोकने के लिए प्रशासनिक कवायद शुरू हो गई है। कटान वाले क्षेत्रों में ईंट के टुकड़े बोरी में भरवाए जा रहे है। बांस का बम्बोक्रेट बनाया जा रहा है। बम्बोक्रेट में बोरी डाल कर किनारे पर रखा जाएगा। जिससे कटान रोका जा सके। काम करा रहे ठेकेदार ने बताया कि जहां भी प्रशासन बता रहा है जहां कटान के क्षेत्र है वहा वहां काम हो रहा हालांकि अभी काम पूरा कराकर किनारों पर उसे लगाने में कम से कम एक सप्ताह लगेगा। बाढ़ पहले आ जाने से दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।