WhatsApp Icon

CAB विरोध से पहले जानिए अपने सवालों का सही जवाब

Sharing Is Caring:
सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now

नागरिकता संसोधन बिल जिसे कैब (CAB) कहा जाता है, इसके खिलाफ कई स्थानों पर प्रदर्शन हो रहे हैं तथा कई जगहों पर हिंसा की भी वारदातें हुईं लेकिन इस कानून की सही जानकारी ना होने के कारण राजनीति लाभ के लिए आम नागरिकों को उलझाया जा रहा है। कैब के संबंध में आमतौर पर लोगों के दिलों में कई सवाल उठते हैं, इन्हीं सवालों का जवाब नीचे दिया जा रहा है जो दो दिन पूर्व भारत सरकार के गृह मंत्रालय से ‘सवाल-जवाब’ के रूप में जारी हुआ है।

नागरिकता संसोधन बिल (CAB) के संबंध में नीचे कुछ सवालों का जवाब दिया जा रहा रहा है जिसे पूरा अवश्य पढ़ें।

👉सवाल नंबर 01: क्या नागरिकता संसोधन बिल भारतीयों (हिंदुओं, मुसलमानों, किसी को) को प्रभावित करता है ?
उत्तर: नहीं, इसका भारतीयों से किसी भी तरह से कोई लेना-देना नहीं है।

👉सवाल नंबर 02: यह किसके लिए लागू होता है ?
उत्तर: तीन देशों के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों और ईसाइयों के लिए, जो उन देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं तथा जो 01 दिसंबर 2014 से पहले भारत में हैं।

👉सवाल नंबर 03: कौन से तीन देश ?
उत्तर:पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान।

👉सवाल नंबर 04. इन तीन देशों से किस तरह से यह हिंदू, सिख, जैन और ईसाईयों को फायदा पहुंचाता है ?
उत्तर: उनकी निवास आवश्यकता 11 से घटाकर 5 वर्ष कर दी गई है और वे इस कानून के तहत एक अधिकार के रूप में नागरिकता का दावा कर सकते हैं।

👉सवाल नंबर 05: क्या इसका मतलब यह है कि इन तीन देशों के मुसलमान कभी भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं कर सकते हैं ?
उत्तर:नहीं, लेकिन वे ‘थ्रू’ प्राकृतिककरण नियमों को प्राप्त करने की सामान्य प्रक्रिया को समाप्त कर देंगे तथा पूर्व की तरह 11 वर्ष तक भारत में रहने वालों को नागरिकता दी जायेगी।

👉सवाल नंबर 06: क्या इन तीन देशों के अवैध मुस्लिमों को इस बिल के तहत स्वचालित रूप से निर्वासित किया जाएगा ?
उत्तर: नहीं, सामान्य प्रक्रिया लागू होती है। प्राकृतिककरण के लिए उनका आवेदन उनकी पात्रता के आधार पर हो सकता है या नहीं दिया जा सकता है।

👉सवाल नंबर 07: क्या अन्य देशों में उत्पीड़न का सामना करने वाले हिंदू इस कानून के तहत आवेदन कर सकते हैं?
उत्तर: नहीं ।

👉सवाल नंबर 08: क्या यह बिल उत्पीड़न के अन्य रूपों पर लागू होता है, राजनीतिक, नस्लीय, यौन आदि ?
उत्तर: नहीं, बिल अपने इरादे में बहुत विशिष्ट है। उल्लेखित तीन देशों में अल्पसंख्यक के धार्मिक उत्पीड़न को सुरक्षित करना है।

👉सवाल नंबर 09: ये 3 देश ही क्यों ? और केवल हिंदुओं का धार्मिक उत्पीड़न क्यों ?
उत्तर:उक्त तीनों देशों में हिंदुओं के व्यापक, व्यवस्थित और संस्थागत उत्पीड़न का एक ट्रैक रिकॉर्ड है, इसलिए।

👉सवाल नंबर 10: श्रीलंकाई तमिलों के बारे में क्या ?
उत्तर:(1) युद्ध को अब एक दशक से अधिक समय हो चुका है। (२) धार्मिक आधार पर कभी कोई उत्पीड़न नहीं हुआ। यह नस्लीय तर्ज पर था। और दशकों के गृह युद्ध के बाद श्रीलंकाई लोगों ने तमिला के संस्थागत भेदभाव को खत्म कर दिया।

👉सवाल नंबर 11: क्या शरणार्थियों की देखभाल के लिए UN के तहत भारत का दायित्व नहीं है?
उत्तर: हाँ यह करता है। और यह उससे दूर नहीं जा रहा है। लेकिन नागरिकता की पेशकश करना उसका कोई दायित्व नहीं है। प्रत्येक देश के प्राकृतिककरण के अपने नियम हैं। भारत इस कानून के तहत अन्य शरणार्थियों को दूर नहीं करने जा रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत उनकी मेजबानी करेगा, इस निहितार्थ में कि किसी दिन वे स्थिति में सुधार होने पर अपने घर लौट आएंगे। लेकिन इन 3 देशों के हिंदुओं के मामले में, यह कानून इस वास्तविकता को स्वीकार करता है कि इन 3 देशों में उत्पीड़न का माहौल कभी नहीं सुधरने वाला है।

👉सवाल नंबर 12: पाकिस्तान में बलूचियों, अहिल्याओं, म्यांमार में रोहिंग्याओं को इस दयालुता के लिए क्यों नहीं माना जाना चाहिए ?
उत्तर: उन्हें मौजूदा कानूनों के तहत माना जाएगा। विशेष श्रेणी के अंतर्गत नहीं है।
(इस पोस्ट को सोशल मोडिया पर शेयर करें जिससे लोगों को सही जानकारी मिल सके)

अन्य खबर

गमछा के सहारे पेड़ से लटकता मिला युवक का शव, सनसनी

आरोप प्रत्यारोप व कड़ी सुरक्षा के बीच सकुशल सम्पन्न हुआ कटेहरी उपचुनाव, ईवीएम में कैद हुए भविष्य

कटेहरी के 425 बूथों पर शांतिपूर्ण माहौल में मतदान जारी, डीएम एसपी कर रहे हैं निरीक्षण, जानिए कितना प्रतिशत हुआ मतदान

error: Content is protected !!