अम्बेडकरनगर: बुनकर इलाका टांडा में अजीमुश्शान मुशायरा सकरावल (दलाल टोला) में मुहीउद्दीन कादरी के संयोजन व डॉ.दस्तगीर अंसारी की अध्यक्षता एवं कमर जीलानी के संचालन में आयोजन हुआ। मुशायरे में सितारे उर्दू अवार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि उर्दू जुबान की मिठास ने हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब में मिठास घोल रखी है। मुशायरों से राष्ट्रीय एकता को बल मिलता है।और आपसी रिश्तों की डोर मजबूत होती है।डॉ.दस्तगीर अंसारी टांडवी ने कहा कि उर्दू ने हमेशा अमन और शांति का पैगाम दिया है। मुल्क की गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने के लिए शायरों ने अहम योगदान दिया है।
नई नस्ल के शायरों ने सामाजिक बुराइयों पर बेहतरीन शायरी की है।इंसाफ टांडवी ने कहा कि उर्दू इंकलाबी जुबान है। उर्दू दिन ब दिन तरक्की के रास्ते में आगे बढ़ रही है।अहमद सईद टांडवी ने खास अंदाज से शायरी पेश की। मुशायरे के संयोजक मुहीउद्दीन कादरी ने आए हुए मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। आयोजन समिति द्वारा मेहमानों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।मुशायरे में शायर सईद टांडवी ने शेर पढ़ा कि जो मुझको देखनी होती है बागे जन्नत तो,मैं अपनी माँ को मुहब्बत से देख लेता हूँ।कुमैल सिद्दीकी ने कहा आप तामीर करें अपने महल्लात मगर,याद रखें कि गरीबों तक उजाला आए।इंसाफ टांडवी ने कहा सुन ऐ परी जमाल तुझे देखने के बाद,शरमा गया हेलाल तुझे देखने के बाद।अफ़रोज़ रोशन किछौछवी ने कहा क्या था मेरा कुसूर बता मुझको ज़िंदगी,वो कौन सा है दर्द जो तूने नही दिया। शायरा शगुफ्ता लखनवी ने कहा कि जान मांगे तो लुटाने में कोई हर्ज नहीं, इसके हटके वह कोई और खता चाहता है।डॉ.दस्तगीर टांडवी ने कहा मैने हक़ बात बोल दी जबसे,वह कभी मेरे घर नही आता। हास्य व्यंग के शायर हलचल टांडवी ने खूब वाहवाही बटोरी। इसके अलावा अलावा अकरम भूलेपुरी, मो.हाशमी टांडवी, कमर जिलानी टांडवी, हसन वारसी किछौछवी, शाहिद शादानी टांडवी, हलचल टांडवी, कमाल चिश्ती टांडवी, नाजिम खासपुरी व अन्य शायरों ने अपने कलाम पेश किए। इस अवसर पर तुफैल जीलानी, मोहम्मद अनवर, तनवीरुल ईमान अंसारी, तकमील अहमद व अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।