WhatsApp Icon

वित्तविहीन विद्यालयों व उनके शिक्षकों को कुदृष्टि से देख रही है प्रदेश सरकार-राठौर

Sharing Is Caring:
सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now

प्रदेश सरकार वित्तविहीन विद्यालयों व उनमें कार्यरत शिक्षकों, प्रधानाचार्यों व छात्र छात्राओं को कुदृष्टि से देख रही है। सरकार अपनी तरफ से इन वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को एक भी पैसा नहीं देना चाहती। वित्तविहीन शिक्षकों, प्रधानाचार्यों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। आज तक न तो इनकी सेवा की कोई सुरक्षा है और न ही सम्मान जनक जीवन यापन हेतु न्यूनतम वेतन, भत्ता व चिकित्सा बीमा की सरकार को कोई चिता है। उक्त बात रविवार को बलिया में आयोजित उत्तर- प्रदेश माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा के जनपदीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार राठौर ने कही।
एक मैरिज हाल में आयोजित अधिवेशन का शुभारम्भ अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन से कर किया। महासभा की महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष रेनू मिश्र ने कहा कि शिक्षकों की सेवा नियमावली आगामी कैबिनेट की बैठक में पास होने की तैयारी हो चुकी है। अब शिक्षक पूर्णकालिक माने जाएगें। शिक्षक कृष्ण मोहन यादव ने कहा कि अपना हक पाने के लिए वित्तविहीन शिक्षक उदासीनता को त्याग कर संघर्ष करें। शिक्षकों को संघर्ष के बल पर समान कार्य का समान वेतन शिक्षकों को संघर्ष के बल पर ही मिलेगा। इसी प्रदेश में सन् 1978 के पहले प्रबंधकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को संघर्ष के बल पर समान कार्य का समान वेतन मिला है।
वक्ताओं ने मात्र एक हजार मानदेय देकर वित्तविहीन शिक्षकों को त्रिशंकु व दिव्यांग बनाने के लिए पूर्व की अखिलेश सरकार को भी जिम्मेदार करार दिया। अधिवेशन में शिक्षक व स्नातक निर्वाचन का मुद्दा छाया रहा। इस मौके पर रीतिका दूबे, उमाकांत मिश्रा , बनवारी पांडेय, कन्हैया हरिपुरी, तारकेश्वर पांडेय, लक्ष्मण पांडे बालचंद मौर्य, रामजनम सिंह यादव पवन यादव , आलोक रंजन मिश्र आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता नागेंद्र सिंह व आभार प्रकट जनपदीय अध्यक्ष अशोक कुमार शुक्ल ने किया।

अन्य खबर

ड्यूटी से घर लौट रहे कर्मचारियों को अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर, मौत

पंजा कुश्ती प्रतियोगिता में इन युवाओं ने गांव का नाम किया रोशन

दरगाह किछौछा के मोतवल्ली ने अगहनिया मेला के दृष्टिगत लिया बड़ा फैसला

error: Content is protected !!