CAB & NRC राजनीतिक तरकश का बड़ा तीर या मनुस्मृति की तरफ उठा एक कदम

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CAB कैब अर्थात नागरिकता संसोधन बिल गत दिनों दोनों सदनों (लोकसभा व राज्य सभा) में बहुमत से पास होने के साथ पूरे देश में एक हलचल सी मच गई। भारत की नागरिकता प्रदान करने वालो शक्तियों में संसोधन किए जाने से जहां एक वर्ग में खुशी की लहर दौड़ गई वहीं दूसरी तरफ दूसरा विशेष समुदाय से जुटे लोग नाराज़ हो गया।

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने खुले रूप से कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से भारत में आए हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्धिस्ट, पारसी आदि (मुस्लिम छोड़ कर) अगर विगत छः वर्षों से भारत मे निवास कर रहा है तो तो उसे भारत की नागरिकता दी जाएगी जबकि मुस्लिमों को इसकी नागरिकता नहीं दी जाएगी।

श्री शाह ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से इस्लाम धर्म के अतिरिक्त अन्य धर्म के लोग अपना धर्म बचाने के लिए भारत मे शरण लिए हैं जिनका सम्मान करते हुए उन्हें नागरिकता दी जाएगी। कैब बिल पास होते ही चारों तरफ से विरोध के भी सुर उठने लगे। मुस्लिम समुदाय के अतरिक्त अन्य धर्म के लोगों ने भी कैब का विरोध करना शुरू कर दिया।

कई प्रदेशों में हिंसक वारदातें भी जारी है तथा उन प्रदेशों में सरकार को इंटरनेट तक को सेवाएं बन्द करना पड़ा है। कानून के जानकारों का कहना है कि कैब बिल के लागू होने से भारत मे धार्मिक मतभेद काफी बढ़ जाएगा। जैसा कि हम जानते हैं कि असम में लागू हुई एनआरसी में बांग्लादेश बनने से पहले भारत मे रहने वालों का ही राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में पंजीयन किया गया था जिस के बाद 19 लाख लोगों का नाम एनआरसी रजिस्टर में वैध दस्तावेज ना होने के कारण दर्ज नहीं हो सका था। ऐसे लोगों को लाभ पहुंचा कर भारत का अभिन्न अंग बनाने के उद्देश्य से केंद्र की भाजपा सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने कैब बिल पास करवाया है।

जनचर्चा है कि बिल का विरोध मात्र इसलिए हो रहा है कि इस में सभी धर्मों के लोगों को लाभ मिलेगा लेकिन इस्लाम धर्म के अनुयाइयों को इस का कोई लाभ नहीं मिलेगा हालांकि पाकिस्तान अफगानिस्तान व बांग्लादेश से भारत में आए मुसलमान भी उन देशों से पीड़ित रह चुके हैं इसलिए ही भारत की शरण मे आए थे।

इस बिल का विरोध मुस्लिम के अतिरिक्त अन्य धर्मों के लोग इस लिए भी कर रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान के अतिरिक्त अन्य देशों से आए हिन्दू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्धिस्ट आदि धर्म के लोगों को भी कोई लाभ नहीं मिलेगा और उन्हें भी भारत मे रहने के लिए मुस्लिमों की तरह अपना वैध कागजात वेश करना होगा अर्थात चीन, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों से कोई भी किसी भी धर्म का नागरिक अगर भारत की नागरिकता लेना चाहता है तो उसे सभी नियम व शर्तों को सामान्य रूप से पालन करना पड़ेगा इसमें किसी भी धर्म के लोगों को लाभ नहीं मिलेगा।

श्री अमित शाह द्वारा पेश की गई कैब बिल अर्थात नागरिकता संसोधन बिल से सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आए गैर इस्लामिक धर्म के लोगों को लाभ मिलेगा। असम में 19 लाख लोग एनआरसी रजिस्टर्ड में पंजीकृत नहीं हो सके जिनमें से लगभग पाँच लाख लोग इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखते हैं जबकि अन्य हिन्दू, जैन, ईसाई, पारसी, बौद्धिस्ट आदि धर्म के लोग है तथा अधिकांश पाकिस्तान, बंगलादेश व अफगानिस्तान से आए लोग है इसलिए नागरिकता संसोधन बिल से तत्काल 14 लाख लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है लेकिन इस्लाम धर्म से ताल्लुक रखने वाले लगभग पांच लाख लोग भारत की नागरिकता प्राप्त करने से वंचित रह जाएंगे हालांकि उन परिवारों ने अपनी दो से तीन पीढ़ी भारत में ही व्ययतीत किया है।

नागरिकता संसोधन बिल के बाद ही गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे देश में एनआईसी कराने की बात किया है जिसके तहत लाखों करोड़ों लोग भारत के नागरिक नहीं रह सकेंगे। पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से आए गैर इस्लामिक लोगों को तो लाभ मिलेगा लेकिन चीन, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों से आए किसी भी धर्म के अनुयाइयों को भारत मे रहने का वैध पत्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ेगा।

चर्चा है कि एनआरसी 1948 से लागू होगी हालांकि 1955 व 1972 से भी लागू करने की चर्चाएं है लेकिन अभी कट ऑफ डेट तय नहीं कि गई है। क़ानून के जानकारों का कहना है कि असम में 1970 के बाद कि कट ऑफ डेट रखी गया थी और सम्भवत पूरे देश में भी एनआरसी की कट ऑफ डेट 1970 के बाद ही रखी जायेगी।

इस्लामिक विद्वानों का कहना है कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है जिसे राष्ट्रीय सेवक संघ अर्थात आरएसएस हिन्दू राष्ट्र की तरफ धकेल रहा है और भारत की सुंदरता को खंडित कर इसे धार्मिक आधार पर देश के लोगों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश है। इस्लामिक विद्वानों की मांग है कि नागरिकता संसोधन बिल या राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन रजिस्टर को सिर्फ राष्ट्रीय आधार पर बिना धर्मिक भेदभाव के लागू किया जाए।

राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि नागरिकता संसोधन विधेयक को भाजपा ने आगामी चुनावों के दृष्टिगत एक बड़े वोट बैंक को खुश करने के लिए किया है वहीं कांग्रेस का दावा है कि केंद्र सरकार पूरी तरह फ्लॉप है।

आरोप है कि देश की अर्थ व्यवस्था को सबसे निचले पायदान पर ला कर खड़ा कर दिया है, देश का खजाना खाली कर दिया है और जब इन सब मुद्दों पर सवाल उठने लगा तो पूरे देश को नोटबन्दी की फ्लॉप फ़िल्म की तरह पूरे देश को नागरिकता संसोधन बिल व राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन में उलझा दिया तथा इसमें भी हिन्दू मुस्लिम का कार्ड खेल कर आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना दिया जिससे कोई भी इन से सवाल ना कर सके।

ऑल इण्डिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन के राष्ट्रीय अध्यक्षय असदुद्दीन ओवैसी ने खुले रूप से धर्म के आधार पर नागरिकता संसोधन बिल का विरोध किया तथा कांग्रेस ने भी भाजपा की चुनौती को कबूल करते हुए आरपार का एलान कर दिया है। क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा भी कैब का विरोध किया जा रहा है जबकि भाजपा समर्थक नागरिकता संसोधन विधेयक पास होने और खुशियां मना रहे हैं। अमित शाह ने पाकिस्तान बांग्लादेश पर हमला बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान व बांग्लादेश ने स्वयं को इस्लामिक देश घोषित कर रखा है तो भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने में किया दिक्कत है। श्री शाह के वक्तव्य स्पष्ट इशारा कर रहे हैं कि राष्ट्रीय सेवक संघ अर्थात आरएसएस का वर्षों पूर्व सपना (भारत को हिन्दू राष्ट्र) शीघ्र पूरा होगा।


कांग्रेस पार्टी ने भी कैब व एनआरसी को चुनावी मुद्दा बनाते हुए सड़कों पर उतर आई है तथा आकिब के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर इस मुद्दे का पूरा लाभ उठाना चाहती है। अम्बेडकरनगर जनपद के वरिष्ठ समाज सेवी मुराद अली ने अपनी गाजी फाउंडेशन टीम के सहयोग से पाँच सौ से अधिक लोगों को निःशुल्क रक्त (खून) उपलब्ध करा कर ऑटो सराहनीय कार्य किया है। श्री अली ने भी सोशल मीडिया कैब के खिलाफ आवाज़ उठाई जिसजे हम हूबहू आपके समक्ष पेश करते हैं। “मैं मुराद अली भारत का नागरिक हूँ मैं CAB का विरोध करता हूं

11 दिसंबर को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया, उससे एक दिन पहले सरकार ने इसे आसानी से लोकसभा में पास करा लिया था। दोनों सदनों में बहस के दौरान सरकार और उसके सहयोगी दलों के नेताओं ने एक बात बार-बार कही की इसका इस देश के मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है उनको घबराने की जरूरत नहीं है लेकिन इस सरकार की एक अदा रही है जब ये कहे की घबराने की जरूरत नहीं है तो ज्यादा सतर्क होने की आवश्यकता है।

नोटबंदी के समय नरेंद्र मोदी ने कहा कि 50 दिन दे दीजिए मैं आपको अपके सपनों का भारत दूंगा तबसे कई 50 दिन बीते लेकिन वो सपनों का भारत कहीं दिखा नहीं और ना ही फिर उसपर सरकार ने कोई बात की। जीएसटी लागू करते समय भी ऐसे ही वायदे हुजूर ने किये लेकिन इस खराब व्यावसायिक माहौल में भी लाखों जीएसटी होल्डरों का ईवे बिल बनान रोक दिया है उनके एकाउंट अटैच हो रहे हैं, उनकी संपत्ति जब्त करने की तैयारी चल रही है।

उसी तरह CAB से भी भविष्य में सबको डरने की जरूरत है क्योंकि अमित शाह ने पार्लियामेंट और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस दोनों जगह बोला है कि वो पूरे देश में NRC लायेंगे, असम में एनआरसी के कारण आज 19 लाख नागरिक अधर में हैं बांग्लादेश उनको लेने से साफ मना कर चुका है सरकार उनके लिए डिटेंशन सेंटर बना रही है उनमें से कई लोग अभी भी जेलों में बंद हैं।

अब कल को जब पूरे देश में एनआरसी लागू करा दी गयी तो जो हिंदू भाई नागरिकता के लिए उचित कागज नहीं ला पाया तो भी इस कानून से उसकी नागिरकता बची रहेगी लेकिन कोई मुसलमान ऐसा ना कर पाया तो वो इस देश की नागरिकता का हकदार नहीं होगा। यानी जो दशकों से इस देश की मिट्टी में पला बढा, अपने खून पसीने से सींचा वो एक गलत कानून की वजह से बांग्लादेशी, पाकिस्तानी या अफगानी बता दिया जायेगा, असम में तमाम फौजियों के परिवार के लोगों को भी छांट दिया गया एक तो कोई सूबेदार थे जिन्हें कारगिल की लड़ाई में सम्मान तक दिया गया था लेकिन अब इस कानून और एनआरसी की वजह से वो भी घुसपैठियों में गिन लिए जायेंगे। 47 के बंटवारे में जो मुसलमान उधर नहीं गये वो गांधी और नेहरू के भरोसे नहीं गये, उन्हें इस बात का यकीन था कि इस देश में उनके साथ कभी भी धर्म के आधार पर कोई बदनीयती नहीं हो सकती है लेकिन ये सरकार खाली भाषण में गांधी का इस्तेमाल कर रही है उसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है!”

उत्तर प्रदेश में फ़लाहै मिल्लत तहरीक (रजि) ने भी सोशल मीडिया पर कैब के खिलाफ आवाज़ उठाई जिस को सूचना न्यूज़ टीम हूबहू लेश करता है। ‘सोचिए👉🏻संविधान की दोहाई देने वाली बसपा CAB/NRC के खिलाफ क्यों नहीं कर रही आन्दोलन का एलान।


आज जहाँ मोदी सरकार खुलेआम संविधान विरोधी नापाक कानून CAB/NRC जैसे देश में लागू कर रही और संविधान की बार बार दोहाई देने वाली और छोटे छोटे मुद्दो पर बड़े बड़े आन्दोलन करने वाली बसपा इस काले कानून पर मौन है और सीबीआई जांच के डर से बाबा साहेब के मिशन से हट गई हो तब ऐसी स्थिति में हमें यह तय करना होगा कि जब बसपा हमारे लिए कोई लड़ाई नहीं लड़ सकती न तो हमारे लिए हमारे साथ सड़को पर उतर सकती है बल्कि मोदी सरकार के आगे नतमस्तक हो गई हो ऐसे में हमें यह तय करना होगा कि भविष्य में बसपा के उम्मीदवारो की ज़मानत जब्त कराकर बसपा को मुंहतोड़ जवाब दिया जाना बहुत ज़रूरी है। चाहे बसपा उम्मीदवार हमारे घर, परिवार, रिश्तेदार ही क्यों न हो।

पंचायत चुनाव से लेकर विधानसभा लोकसभा चुनाव तक में बसपा के उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त कराना यह हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। (संविधान बचाओ,,, देश बचाव)

बहरहाल Cab व Nrc को राजनीतिक तरकश से निकला तीर या मनुुस्मृति लागू करनेे के लिए हिंदू राष्ट्र बनाने की तरफ एक कदम आगे बढ़ाया गया है, लकिन जो कुछ भी है उसकी चर्चा इस समय पूरे देश देश ही नहीं विदेशों में भी में हो रही है।

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