रिपोर्ट: अखिलेश सैनी बलिया
बलिया: सबका साथ सबका विकास के श्लाेगन पर राजनीति करने वाली बीजेपी, बीजेपी की सरकार में भी रसड़ा अस्पताल व्यवस्थाआें से काेसाे दूर है। एक तरफ सरकार जहां सुन्दरीकरण व अन्य व्यवस्थाआें पर कराेड़ाें व अरबाें रुपये पानी की तरह बहा रही है। वहीं कुछ व्यवस्थाआें के अभाव में रसड़ा अस्पताल तड़प रहा है। जिसके चलते रसड़ा अस्पताल परिसर में मरीज तड़प-तड़प कर दम ताेड़ देते हैं।
रसड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर व्याप्त दुर्व्यवस्था के कारण मरीजों को अनेक प्रकार की कठिनाइयाें काे झेलनी पड़ रही है। यहां सैकड़ों की संख्या में लोग प्रतिदिन इलाज के लिए आते हैं जिन्हें चिकित्सकों की कमी, आधुनिक चिकित्सा संसाधनों का घोर अभाव के चलते आधा-अधूरा इलाज कराने को विवश होना पड़ता है।
विभाग की उदासीनता का आलम यह है कि सब कुछ जानते हुए अपनी आंखों पर पट्टी बांधे हुए है। सरकार मरीजों की बेहतरी के लिए नि;शुल्क एंबुलेंस सहित अन्य सुविधाएं प्रदान कर रही है किन्तु रसड़ा सीएचसी पर इस हाईटेक युग में भी समुचित इलाज न होने के कारण अधिकांश मरीजों को रेफर करना इस अस्पताल की नियति बनती जा रही है। अब तो लोग इसे रेफरल अस्पताल की उपाधि देने से भी नहीं हिचक रहे हैं। 30 बेड वाले इस अस्पताल की हालत यह है कि आधुनिक जांच मशीनों का यहां पूर्ण रूप से अभाव है नतीजतन मरीज बाहर से ही सभी जांच कराते रहे हैं। यहां पर अल्ट्रासाउंड तक की व्यवस्था नहीं है। वहीं एक्सरे मशीन तो हैं किंतु रख-रखाव के अभाव में वह भी धूल फांक रही है। यहां पेयजल का भी अक्सर अभाव बना रहता है। सफाई व्यवस्था का आलम यह है कि अक्सर परिसर सहित नालियां बजबजाती रहती हैं किंतु सफाई कर्मी मनमाने तरीके से सिर्फ कोरम पूरा करते हैं।
इस सीएचसी की दुर्व्यवस्थाएं यहीं खत्म नहीं होती मरीजों सहित आशा कार्यकर्ताओं के बैठने के लिए यहां कोई भी प्रबंध न होने के कारण उन्हें बजबजाती नालियों के आस-पास बैठना पड़ता है, जबकि विभाग मरीजों के बैठने के लिए कोई व्यवस्था करना मुनासिब नहीं समझता। दवाओं की बात करें तो यहां हमेशा ही आवश्यक दवाओं का अभाव बना रहता है। सबसे दयनीय स्थिति गंभीर मरीजों को लेकर यहां पर है। खासतौर से सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को इलाज करने की बजाय तत्काल रेफर के कागज तैयार कर दिए जाते हैं। ऐसे में अक्सर मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। ऐसा नहीं कि इस गंभीर समस्या से विभाग अनजान है किंतु उच्चाधिकारियों व राजनेताओं के अपेक्षित सहयोग न मिलने से यहां स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। इन तमाम समस्याओं का समाधान कब व कैसे होगा यह तो विभाग ही जानता, किंतु जिस तरह से इस सीएचसी पर आने वाले मरीजों का इलाज के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है उससे विभाग व शासन की कलई अवश्य खुल रही है।
वर्षों से है चिकित्सकों की कमी
रसड़ा क्षेत्र के लाखों की आबादी तथा गाजीपुर व मऊ के कुछ क्षेत्रों से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं किंतु यहां वर्षों से चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों का समुचित इलाज संभव नहीं हो पाता है। इस कारण उन्हें मऊ अथवा वाराणसी का सहारा लेना पड़ता है। यहां पर अधीक्षक सहित कुल आठ चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए। डाॅक्टराें के अभाव में यह अस्पताल धीरे-धीरे शाे रुम में तब्दील हाेता जा रहा है। अस्पताल में अभाव के चलते मरीजाें व उनके साथ आने वाले अभिभावकाें का मन खिन्न हाेता रहता है। लाेगाें का कहना है कि ऐसे शाे रुम से अच्छा ताे यह हाेता कि यहां अस्पताल ही न हाेता । शासन के इस रवैये से स्थानीय लाेगाें का मन अब उब आया है।