उम्मीद की जंग हार गया शिक्षा मित्र – बेटी की डोली से पहले उठा जनाजा

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अम्बेडकरनगर: व्यवस्था की मार से परेशान शिक्षा मित्र कोर्ट का चक्कर लगाते लगाते आखिर अपनी अधूरी हसरतों के साथ ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया। तकरीबन 20 वर्ष से जिस सपने को संजोया था उस पर कोर्ट का डंडा चलने के बाद जिंदगी ने साथ छोड़ दिया। नौकरी पर आने वाले खतरे का भय बेटी की सहनाई की खुशी पर भारी पड़ गई, और बेटी की डोली उठने के एक दिन पहले ही जिंदगी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हाईकोर्ट का फैसला शिक्षा मित्रों के हितो के विपरीत आने पर इनके हितों की लड़ाई लड़ने वाले शिक्षा मित्र की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
अकबरपुर क्षेत्र के ग्राम कसेरुआ निवासी रमाकांत की वर्ष 2003 में शिक्षा मित्र के पद पर नियुक्ति हुई थी,पूर्व वर्ती समाजवादी पार्टी सरकार ने जब शिक्षा मित्रों को स्थायी अध्यापक बनाने का निर्णय लिए तो और शिक्षा मित्रों की तरह रमाकांत ने भी जिंदगी के हसीन सपने संजोने लगा था लेकिन प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही शिक्षा मित्रों को लेकर बवाल शुरू हुआ, कभी सरकार ने पेंच फंसाया तो कभी कोर्ट में मामला अटक गया। एक बार फिर जब टेट की मेरिट में कमी का मामला आया तो उम्मीद जगी लेकिन बाद में फिर टेट की मेरिट बढ़ा दी गयी जिसको लेकर रमाकांत अपने अन्य साथियों के साथ लखनऊ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया, लेकिन कोर्ट ने बढ़ी हुई मेरिट लिस्ट को ही सही माना। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट भाग गए, लेकिन अभी भी मामला वहां लंबित है। बताया जा रहा है कि तब से ही रमाकांत सदमे थे, और कल इनकी मौत हो गयी। रमाकांत के बेटी की शादी भी आज है, और आज बारात आएगी लेकिन रमाकांत के जिंदगी की डोर बेटी की डोली उठने से पहले ही टूट गयी, तथा बेटी की डोली उठने से पहले ही शिक्षा मित्र का जनाजा उठा गया।

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