लखनऊ (रिपोर्ट: आलम खान एडिटर) विधान सभा चुनाव के दौरान सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने पैसा लेकर टिकट वितरित किया तथा गठबंधन नेताओं का चुनाव के दौरान तिरस्कार करना भी हार का कारण रहा। दलितों व अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर इनकी ख़ामोशी बड़ा सवाल पैदा कर रही है।
उक्त बातें पूर्व कैबिनेट शिक्षा मंत्री व आरएलडी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मसूद खान ने अपना त्याग पत्र देते हुए कहा। श्री मसूद ने 07 पृष्ठीय त्याग पत्र राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी को सौंपा। श्री मसूद ने जो पत्र दिया उन्हें हम हूबहू नीचे पेश कर रहे हैं।
श्री मसूद ने जयंत चौधरी को लिखा कि जैसा कि आपको ज्ञात है कि में 2015-2016 में चौधरी अजित सिंह जी के आवाहन पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के मूल्यों तथा जाट मुस्लिम एकता के साथ किसानों, शोषित, वंचित वर्गों के अधिकार के लिये संघर्ष हेतु रालोद में सम्मिलित हुआ और तन मन धन से पार्टी के लिये समर्पित होकर कार्य करता रहा। वर्ष 2016-2017 में चौधरी अजित सिंह जी ने विश्वास व्यक्त करते हुए मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया जिसके उपरांत संगठन कार्यों में कड़ी मेहनत कर मजबूत करने के लिये अथक प्रयास पार्टी के बुरे दौर में किया मेरे साथ अनेक साथी, सहयोगी व कार्यकर्ता आपके साथ मजबूती से खड़े रहे। राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह जी के निधन उपरांत सम्मानसहित आपको राष्ट्रीय निर्वाचित किया। निस्संदेह आपने कड़ी मेहनत कार्यकुशलता से पार्टी अध्यक्ष के रूप अच्छी भूमिका निभाई। मेरे नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश संगठन ने आपके हर आदेश का पालन किया और सम्प्रदायिकता के विरुद्ध सोहार्द की स्थापना के लिये एक सिपाही के रूप में युद्धरत रहा। किसान आंदोलन ने पार्टी में नयी जान फूंकी और पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपनी मेहनत के बल पर चुनाव में सफलता के लिये तैयार किया और आपको प्रदेश कार्यकरणी ने गठबंधन के सम्बंध में सभी निर्णय लेने के लिये अधिकृत किया जिसके पश्चात आपके द्वारा आश्वस्त किया गया कि पार्टी को पश्चिम, पूर्व, मध्य व बुंदेलखंड में सम्मानजनक सीटे प्राप्त होगी। हम आपको लगातार सूचित करते रहे कि चुनाव निकट आ गए है संगठन के लोग बेचैन है चुनाव तिथियों के ऐलान के उपरांत भी यह असमंजस बना रहा जिससे पार्टी ने महत्वपूर्ण समय गंवाया।
12 जनवरी 2022 को मैंने आपके आदेश पर पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार माननीय अखिलेश जी से वार्ता किया। इस वार्ता में माननीय अखिलेश जी ने गठबंधन के सभी घटकों से सीटों की चर्चा करने से इंकार कर दिया। इसकी सूचना मेरे द्वारा आपको दी गयी। इस अपमान के चलते मेरे तथा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आपसे चुनाव में अकेले उतरने का आह्वाहन किया परन्तु आखिरी निर्णय आपके ऊपर छोड़ दिया। आपके द्वारा कई दौर की वार्ता के अपरान्त पार्टी को आश्वस्त किया की हमे 36 सीटों पर चुनाव लड़ना हैं जिसमे पूरब क्षेत्र की 03 सीटे, 01 सीट लखीमपुर, 1 – 1 सीट बुंदेलखंड तथा प्रयागराज मंडल की भी होंगी। आपने ये भी आश्वस्त किया की कुछ सीटें हम एक दुसरे के सिंबल पर भी लड़ेंग जिस क्रम में 10 समजवादी नेता रालोद के निशान पर लड़ाये गए जबकि सपा ने रालोद के एक भी नेता को अपने निशान पर नहीं लड़ाया।
चुनाव शुरू होते ही बहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा तथा पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं ने इसपर आपत्ति व्यक्त की। मैं यह जान कर स्तब्ध रह गया की पार्टी के प्रत्याशियों से दिल्ली कार्यालय में बैठे लोग करोड़ों की मांग कर रहे हैं। संगठन के दबाव में ये सब मैंने आपको सूचित किया। परन्तु आपके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। आपके द्वारा इसे पार्टी हित में बताकर मुद्दा टाल दिया गया।
दिन में 02 बजे पार्टी में आये गजराज सिंह जी को उसी दिन 04 बजे हापुड़ विधान सभा का टिकट दे दिया गया जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया। हापुड़ विधासभा में 09 करोड़ रूपये लेकर टिकट बेचे जाने की बात से पार्टी कर्ताओं में रोष उत्पन्न हुआ जिसकी सूचना भी मेरे द्वारा आपको दी गयी। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते हापुड़ यूनिट के कार्यकर्ता ने मुझसे ये प्रश्न किया की 02 घंटे में गजराज सिंह ने कौनसी सेवा कर दी जिससे उन्हें ये टिकट दिया गया। मेरे पास आज तक कोई उत्तर नहीं है।
पार्टी के कार्यकर्ताओं ने माठ तथा सिवालखास जैसी सीटों को छोड़ने से इंकार कर दिया। आपके द्वारा सभी को आश्वासन दिया गया की माठ पर पार्टी ही लड़ेगी। इसी क्रम में माठ पर हमने उम्मीदवार भी उतारा, परंतु संजय लाठर ने आपसे मुलाकात की और तत्काल आपके द्वारा माठ पर दावेदारी वापस ले ली गयी। हमारे जाट भाईओं में ये सन्देश गया की आप अखिलेश के आगे कमज़ोर पद रहे हैं और सरेंडर कर रहे हैं। अपनी गृह सीट बेच दिए जाने पर जाट मत तत्काल आधे हो गए। मेरे द्वारा आपको लगातार ये बताया गया की जाट कौम अत्यंत संवेदनशील है और उनमे ये सन्देश जा रहा है की अखिलेश आपको तथा पार्टी को अपमानित कर रहे हैं। परंतु धन संकलन के आगे पार्टी बेच दी गयी और नतीजा ये की जाट मत नाराज़ होकर 2/3 से अधिक बीजेपी में चले गए।
पश्चिम के चुनाव के बाद जब पूरब के चुनाव शुरू हुए तो पार्टी संगठन द्वारा वादे के मुताबिक पूरब में सीटों की अपेक्षा की गयी। इस पर पूरब के प्रत्याशियों से सपा कार्यालय में पैसे जमा करने को कहा गया। सपा कार्यालय ने पूरब के नेताओं से 3 से 5 करोड़ रुपयों की मांग की। मेरे द्वारा आपसे कई बार गुहार लगाने पर भी कार्यवाही नहीं की गयी। रुधौली, पलिया, चुनार, हाटा इत्यादि सीटों पर अच्छी तैय्यारी के बाद भी सपा प्रमुख ने टिकट नहीं दिए जबकि पूर्व में इसका आश्वासन आप व सपा प्रमुख द्वारा दिया गया था। इससे पार्टी में प्रतिकूल सन्देश गया जिससे पश्चिम के चुनाव पर गहरा प्रभाव पड़ा।
मेरे द्वारा मेरठ में आपको तथा श्री अखिलेश जी को चेतवानी दी गयी थी की मुबारकपुर (आजमगढ़), रुदौली, आदि आदि सीटों पर पैसे न दिए जाने पर टिकट काटे जा रहे है जिससे बहोत नुक्सान हो रहा है। परंतु आप दोनों के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
मेरे द्वारा आप दोनों नेताओं को यह भी अवगत कराया गया था की ओम प्रकाश राजभर द्वारा ओछी भाषा का प्रयोग चुनाव के ध्रुवीकरण का कारण बन रहा है। परंतु आप दोनों के द्वारा इसकी कोई सुध नहीं ली गयी।
श्री शिवपाल जी को भी मन भर के अपमानित किया गया। इससे माननीय अखिलेश
जी के घमंडी होने का सन्देश गया जिससे बदलाव के इच्छुक उदारवादी मत हमसे छिटक गए।
गठबंधन के घटकों को इतना अपमानित किया गया की वह चुनाव में सीटें वापस करने
की घोषणा करने लगे। श्रीमती कृष्ण पटेल जी तथा उनकी पार्टी को खुलकर अपमानित किया गया जिसका नतीजा ये हुआ की पटेल मत गठबंधन से छिटक गया।
मेरे कई बार चेतावनी देने पर भी श्री चंद्रशेखर रावण जी को अपमानित किया गया जिससे नाराज होकर दलित वोट गठबंधन से छिटक कर बीजेपी में चला गया और गठबंधन को अपूरणीय नुकसान हुआ।
आपने तथा अखिलेश जी ने सुप्रीमो कल्चर को अपनाते हुए संगठन को दर किनार कर दिया। रालोद तथा सपा के नेताओं का उपयोग प्रचार में नहीं किया गया। पार्टी के समर्पित पासी तथा वर्मा नेताओं का उपयोग नहीं किया गया जिससे चुनाव में ये मत छिटक गए।
जोनपुर सदर जैसी सीटों पर परचा भरने के आखिरी दिन तीन तीन बार टिकट बदले गए। एक एक सीट पर सपा के तीन तीन उमीदवार हो गए। इससे जनता में गलत सन्देश गया। नतीजा ये की ऐसी कम से काम 50 सीटें हम 200 से लेकर 10000 मतों के अंतर से हार गए।
धन संकलन के चक्कर में प्रत्याशियों का एलान समय रहते नहीं हुआ। बिना तैयारी के चुनाव लड़ा गया। सभी सीटों पर लगभग आखिरी दिन परचा भरा गया। पार्टी कार्यकर्ती में रोष उत्पन्न हुआ और वह चुनाव के दिन सुस्त रहे किसी भी प्रत्याशी को ये नहीं बताया गया की कौन कहाँ से चुनाव लड़ेगा कीमती समय में सभी कार्यकर्ता लखनऊ व दिल्ली आप तथा अखिलेश जी के चरणों में पड़े रहे और चुनाव की कोई तैय्यारी नहीं हो पायी। अखिलेश जी ने जिसको जहाँ मर्जी आयी धन संकलन करते हुए टिकट दिए, जिससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ। उदाहरण के तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्या जी को बिना सूचना के फ़ाज़िल नगर भेजा गया और वह चुनाव हार गए। अखिलेश जी और आपने डिक्टेटर की तरह कार्य किया जिससे गठबंधन को हार का मुँह देखना पड़ा। मेरा आपको यह सुझाव है की जब तक अखिलेश जी बराबर का सम्मान नहीं देते तब तक गठबंधन स्थगित कर दिया जाए।
आपके माध्यम से मेरा अखिलेश जी को भी सुझाव है की अहंकार छोड़ कर पार्टी के नेताओं तथा गठबंधन को सम्मान दें। इमरान मसूद जैसे नेताओं को अपमानित कर आप (अखिलेश जी )अपनी छवि मुसलमानों में धूमिल कर रहे हैं। मुसलमान तथा अन्य वर्ग कब तक मज़बूरी में हमें वोट देगा। जनता के बीच रहना ही श्री मुलायम सिंह जी की कुंजी रही है। सिर्फ चुनाव के वक़्त निकलना भी जनता को नागवार गुज़रता है।
श्री चौधरी जयंत सिंह जी मैं पुनः आप पर पार्टी के नेतृत्व करते रहने के लिए के लिए अपनी निष्ठा व्यक्त करता हूँ। ये खुला पत्र मैं आपके तथा अखिलेश जी के नाम लिख रहा हूँ ताकि आप दोनों इसका आंकलन कर गठबंधन के अनेक कार्यकर्ताओं के मन में उठते सवालों का उत्तर दे सकें :
1: टिकट पैसे लेकर क्यों बेचे गए?
2: गठबंधन की सीटों का एलान समय रहते क्यों नहीं किया गया? टिकट भी आखिरी समय पर क्यों बाटे गए?
3: रालोद, अपना दाल, आज़ाद समाज पार्टी तथा महान दल को क्यों अपमानित किया गया?
4: आप दोनों ने मुस्लिम तथा दलित मुद्दों पर क्यों चुप्पी साधी?
5: आप दोनों द्वारा मनमाने तरीके से टिकट क्यों बांटे गए?
6: रालोद के निशान पर दस समाजवादी नेता चुनाव लड़े पर पर समाजवादी निशान पर एक भी रालोद नेता नहीं उतारा गया जबकि आपके द्वारा टीवी चैनलों में इसकी घोषणा स्वयं की गयी थी ?
7: आपने स्वयं घोषणा की थी की हम 403 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, परन्तु रालोद ने ना तो पश्चिम के बहार चुनाव लड़ा न ही आपकी तस्वीर या पार्टी का झंडा पूरब में दिखाई पड़ा। सपा द्वारा पार्टी को अपमानित किया गया तथा वाराणसी में जो कुछ हुआ वो भी निंदनीय रहा। ऐसा क्यों?
बीजेपी के पुनः सत्ता में आ जाने से मुसलामानों पर जान माल का संकट उत्पन्न हो गया है। जीता हुआ चुनाव टिकट बेचने और अखिलेश जी के घमंड में चूर होने तथा आपके सुरत रवैये से हम हार गए। दुःख तो ये की अभी भी कोई परिवर्तन नज़र नहीं आ रहा। मेरा आपसे अनुरोध है की आप तथा अखिलेश जी इन प्रश्नो का उत्तर दें ताकि पुनः ये गलतियां न दोहराई जाएँ। यदि आप चाहे तो मुझे पार्टी से निष्कासित कर दें परंतु इन प्रश्नों के उत्तर दिनांक 21 मार्च को होने वाली बैठक में या उससे पहले जनता के सामने रखें। यह पार्टी तथा गठबंधन के हित में होगा। यदि आप दोनों इन प्रश्नों का उत्तर 21 मार्च तक नहीं देते हैं तो इस पत्र को मेरा पार्टी की प्राथमिक सदयस्ता से त्यागपत्र माना जाए।