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बड़ी सफलता के साथ संपन्न हुआ ऑनलाइन मुशायरा – देश के कोने कोने से जुड़े रहे शायर व श्रोता

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अम्बेडकरनगर (सूचना न्यूज़ कार्यालय) अरमुगान ए अदब अदबी ग्रुप का ऑनलाइन तरही मुशायरा श्लोक ” फिर भी अफ्कार के गेसू को बिखरने न दिया ” पर आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता उर्दू सेवक फ़ज़्लुल्लाह किछौछवी और संचालन तारिक मुस्तफा इल्तिफात गंजवी ने शानदार अंदाज़ में किया।
ग्रुप एडमिन अशहर हमीदी व खालिद आज़म की निगरानी व कन्वेनरशिप में मुशायरा कामयाबी की मंजिलें तय करता हुआ रात 12 बजे अध्यक्षी भाषण के बाद सम्पन्न हुआ।


ऑनलाइन मुशायरा में आजाद ज़मीर लखनऊ ने कहा कि ‘हम अगर देखें हेक़ारत से उन्हें मुजरिम हैं , जिनको हालात की गर्दिश ने संवरने न दिया।’
श्री ज़फर फैज़ाबादी ने कहा कि ‘चाहता है वो कि बेटा मिरा तैराक बने, जिसने पानी में कभी उसको उतरने न दिया।’
मुशायरा कन्वीनर खालिद आज़म टांडवी ने कहा कि ‘गो बरसते रहे दिन रात सितम के पत्थर,
मेरे ईमान ने मुझको कभी डरने न दिया।’
श्री अशहर हमीदी इल्तिफातगंज ने शानदार अंदाज़ में कहा कि ‘चाय में डूबे निवाले जो खिलाये माँ ने, वो मज़ा आज तलक लुक्मये तर ने न दिया।’
कार्यक्रम को बुलन्दी पर ले जाते हुए शाकिर सुलतानपुरी ने कहा कि ‘गाज़ये शुक्र से हस्ती को संवरने न दिया, कासये दिल को हवस ने कभी भरने न दिया।
श्री रईस जलालपुरी ने कहा कि ,मैं मुसलसल ही सफर करता रहा रोज़ रईस, मुझको बच्चों की जरूरत ने ठहरने न दिया।’
डॉक्टर काज़िम रज़ा ज़ैदी ने कहा कि ‘आपके हुस्न के जलवे का असर था मुझ पर, जिसने इज़हार ए मुहब्बत कभी करने न दिया।’
इसी तरह जनाब जहीर हसन अकबरपुरी ने कहा कि ‘शुक्र करते रहे हम उसके करम पर दिन रात, उसकी नेयमत से कभी दिल को मुकरने न दिया।’
श्री असलम सिकन्दरपूरी ने कहा कि ‘तुमने चाहत के गुलाबों को मसल डाला मगर, मैं ने तो रंग भी उल्फत का उतरने न दिया।
ऑनलाइन मुम्बई से जुड़े श्री तौफीक फाखरी ने कहा कि ‘गम के दरिया से निकल आता मैं तौफीक मगर, रास्ता मुझको निकलने का भंवर ने न दिया।’
श्री तारिक मुस्तफा इल्तिफातगंज ‘हाय अफसोस बहुत भीड़ थी उनके दिल में, दो घड़ी के लिए मेहमां को ठहरने न दिया।’
श्री अहमद सिकन्दरपूरी ने कहै कि ‘कितने आये गये आशुफ्तासरी के झोंके, फिर भी अफ्कार के गेसू को बिखरने न दिया।’
श्री रहमान मोहसिन इल्तिफातगंज ने कहा कि ‘फैसला तरके ताल्लुक का किया जब मोहसिन, तेरी यादों को कभी दिल में ठहरने न दिया।
बहरहाल ऑनलाइन श्लोक पर आधारित मुशायरा काफी सफलता पूर्वक समाप्त हुआ जिसमें देश के कोने कोने से जुड़े शायरों ने अपना कलाम पेश किया।

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