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जानिए क्यों और कैसे लाखों युवाओं का आइडियल बन गया सिख समुदाय का ये बन्दा

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लखनऊ (मान्यता प्राप्त पत्रकार आलम खान की विशेष रिपोर्ट) उत्तर प्रदेश के जनपद अम्बेडकरनगर में पवित्र सरयू तट किनारे आबाद प्राचीन मैनचेस्टर सिटी टाण्डा के मूल निवासी वरिष्ठ समाजसेवी धर्मवीर सिंह बग्गा की दिनचर्या में मानव सेवा शामिल हो गई है। सेवाहि धर्म: टीम के माध्यम से समाज के निम्म वर्ग की सेवा में जुटे श्री बग्गा का प्रत्येक सामाजिक कार्य अपने आप में अनोखा कदम है।


मुस्लिम बुनकर बाहुल्य क्षेत्र में सिख समुदाय के सरदार करतार चन्द जी के परिवार में 1969 में जन्मे धर्मवीर सिंह बग्गा बचपन से ही आमजनों से जुड़े रहे और जीवन के तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद उनका कदम सेवा भाव से कभी नहीं डगमगाया और जब जब वो कमज़ोर हुए तब तब उनकी धर्मपत्नी श्रीमती हरनीत कौर किसी देवी की तरह उनका साथ दिया।
पहले आंख और फिर अपना शरीर दान कर चुके श्री बग्गा के सामाजिक कार्यों को अनवरत देख अब प्रदेश ही नहीं बल्कि देश व विदेश में भी उनकी सराहना होने लगी है।
एक हज़ार जरूरतमंद बहन बेटियों के विवाह का संकल्प लेकर सर्वधर्म सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के माध्यम से 950 कन्यादान कर चुके श्री बग्गा ने अब पूरे जीवन जरूरतमंद परिवार की कन्याओं के विवाह का संकल्प ले चुके हैं। आगमी 26 जनवरी को सेवाहि धर्मा: टीम के बैनर पर मेला गार्डन टाण्डा में 19वां भव्य कार्यक्रम आयोजित कर 51 बेटियों का विवाह कराने के साथ परम्परानुसार उपहार भेंट कर बिदा करेंगे जिसकी तैयारियां काफी ज़ोरशोर से जारी है।
बताते चलेंकि टाण्डा नगर क्षेत्र के थिरुआ पुल के पास मौजूद मेला गार्डन का मैदान श्री बग्गा ने सेवाहि धर्म: टीम को समर्पित कर दिया है।
सिख समुदाय के मूल उद्देश्य सेवा व लंगर पर काम करते हुए श्री बग्गा द्वारा गत पांच वर्ष पूर्व अस्थाई केबिन से भोजन बैंक की शुरुआत की गई थी जिसे हाल ही में एक नई बिल्डिंग में शिफ्ट कर भोजन भवन बना दिया गया। उक्त भोजन बैंक के माध्यम से प्रतिदिन दो समय लंगर चला कर जरूरतमंदों का निःशुल्क पेट भरने का काम किया जाता है। उक्त लंगर की सेवा में श्री बग्गा की पत्नी श्रीमती हरनीत कौर दिल से साथ देते हुए प्रतिदिन अपने हाथ से एक अन्न तैयार करती हैं जबकि अन्य भोजन के लिए मेला गार्डन में ही रसोईया बनाई गई है और उक्त लंगर में श्री बग्गा अथवा उनके परिवार का एक सदस्य प्रतिदिन सुबह 10 बजे से 12 बजे तक एवं शाम 6 बजे से रात्रि 8 बजे तक अवश्य सेवा करते हैं जिसमें लाखों लोगों की लंगर सेवा की जा चुकी है।
भोजन बैंक के माध्यम से जारी लंगर सेवा के पास ही “नेकी की दीवार” तैयार कराई गई है जिसमें कपड़ों के अलावा दैनिक उपयोग की अन्य वस्तुएं भी हैं जिससे कोई भी बिना पहचान बताएं हुए ही निःशुल्क ले जा सकता है। उक्त नेकी की दीवार पर काफी लोग अपने घरों पर मौजूद कपड़ा व अन्य सामान रख कर भी जाते है जिसे कोई भी दूसरा जरूरतमंद व्यक्ति इस्तेमाल कर सकता है।
दैनिक दिनचर्या में शामिल मानव सेवा का जुनून यहीं तक नहीं रुका बल्कि धर्मवीर सिंह बग्गा ने लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार का उसके धर्म के अनुरूप संस्कार करने का भी बीड़ा उठाया और जनपद ही नहीं बल्कि आसपास के कई जनपदों में अपनी सेवा देने लगे जिसके कारण स्थानीय प्रशासन भी अधिकांश लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार के लिए सबसे पहले धर्मवीर सिंह बग्गा को याद करते है और श्री बग्गा इसे सहर्ष कबूल कर लावारिश शवों का अंतिम संस्कार करते हैं।
विश्व स्तरीय वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान एक कोरोना पॉजिटिव शव के अंतिम संस्कार के दौरान श्री बागा गंभीर रूप से संक्रमित भी हो गए थे। श्री बग्गा के स्वास्थ के लिए जहां सिख समुदाय के लोग अरदास कर रहे थे वहीं हिन्दू परिवार के लोग पूजा व उपवास तथा मुस्लिम समाज के लोग सदका देने के साथ नमाज़ पढ़ कर दुआएं मांग रहे थे। डॉक्टरों के अथक प्रयास से पुनः जीवन पाने पर श्री बग्गा ने शुभचिंतकों की दुआओं को श्रेय देते हुए कहा था कि शायद ईश्वर अल्लाह वाहेगुरु मुझ से और भी सेवा करवाना चाहता है इसलिए डॉक्टरों की ना उम्मीदी के बाद भी पुनः जीवन मिला है।
बताते चलेंकि कोरोना महामारी की शुरुआत होने और जहां लोगों ने अपनों से दूरी बना लिया था वहीं श्री बग्गा ने अपनी सेवाहि धर्म: टीम के साथ जनपद के लगभग सभी गाँव व नगरीय क्षेत्रों को अपने हाथों से सेनिटाइजर किया था और लाखों लीटर होम सेनिटाइजर तथा लाखों सीसी हैंड सेनिटाइजर व लाखों मास्क का निःशुल्क वितरण किया तथा कोविड सेवा में जुटे एम्बुलेंस, अस्पताल व सरकारी वाहनों के साथ साथ लाखों यात्रियों को एकलव्य स्टेडियम में सेनिटाइज कर देश को कोविड मुक्त करने में अहम भूमिका अदा किया था जिसकी प्रशासन ने ही नहीं बाकी हर किसी ने तारीफ किया था।
श्री बग्गा जहां प्रत्येक महीना अमृतसर में स्थित पवित्र धार्मिक स्थल दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) में माथा टेकने अवश्य जाते हैं वहीं सभी धर्मों का सम्मान करने वाले श्री बग्गा प्रतिवर्ष पवित्र वर्ष रमज़ान में रोजा अफ्तार पार्टी का भव्य आयोजन करते हैं एवं प्रतिवर्ष होने वाली कांवर यात्रा में श्री शिव भक्तों के पैर धोने एवं अल्पहार देने की सेवा अपने हाथों से करते हैं।
मानव सेवा के साथ श्री बग्गा को बेजुबान पशुओं से भी काफी मुहब्बत व अलाव है जिसका सबूत उनके मेला गार्डन में बड़े ही सुनदर ढंग से बने गौरी का घर है जहाँ बहुत अच्छी नस्ल की गायें व कई अच्छी नस्ल के कुत्ते मौजूद हैं जिसकी सेवा में श्री बग्गा अक्सर घण्टों करते दिखाई पड़ते हैं।
वरिष्ठ समाजसेवी श्री बागा का जीवन का उक्त पल तो मंज़रे आम पर है लेकिन कई ऐसी सेवाएं हैं जिन्हें देख पाना काफी मुश्किल है। श्री बग्गा को हाईकोर्ट द्वारा सुलह समझौता कोर्ट का सदस्य (एडवाइजर) मनोनीत किया है जिसमें श्री बग्गा के प्रयास से सैकड़ों परिवार एक दूसरे के साथ पुनः सुखमय जीवन बिताने की किरणें जगी हैं। श्री बग्गा ने कई परिवारों की जिम्मेदारियां ले रखी हैं जिनकी प्रत्येक जरूरत यथासम्भव समयानुसार पूरी करते रहते हैं। कई परेशान व बीमार लोगों के इलाज में भी श्री बग्गा को बढ़चढ़ कर ज़िम्मेदारी लेते देखा जाता है।
प्रतिवर्ष 26 जनवरी पर आयोजित होने वाले सर्वधर्म सामूहिक विवाह कर्यक्रम के दौरान श्री बग्गा द्वारा पांच विभूतियों को शाने अवध स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित भी किया जाता है जिसमें एक से बढ़कर एक हस्तियां शामिल होती हैं।
बहरहाल नगर पालिका परिक्षेत्र टाण्डा के एक साधारण सिख परिवार में जन्मे धर्मवीर सिंह बग्गा ने अपने दैनिक सामाजिक जीवन से आमजनों को सराहना करने पर मजबूर कर दिया है।
श्री बग्गा के त्यागों व एक से बढ़कर एक सामाजिक कार्यों के कारण हज़ारों युवा आज के दौर में धर्मवीर सिंह बग्गा को अपना आइडियल मान रहे हैं और उनके सामाजिक कार्यों को अपने अपने क्षेत्र में बढ़ाने में जुटे हुए हैं जिनका श्री बग़ा सदैव इनका हौसला बढ़ाने एवं स्वागत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं।

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