अम्बेडकरनगर: टांडा नगर पालिका प्रशासन से किसी भी तरह का अगर आप सवाल पूंछते हैं तो आपको सरकारी कार्य में बाधा जैसे गंभीर मामलों का मुकदमा तो झेलना ही पड़ेगा।
जी हाँ, मण्डल की ‘ए’ श्रेणी की नगर पालिका परिषद टाण्डा में गत कई दिनों से चेयरमैन व ईओ के बीच चल रही गुटबाजी का खामियाजा आपको भी भुगतना पड़ सकता है। आम नागरिकों से 10 वर्ष का हाउस टैक्स व वॉटर टैक्स बकाया सरचार्ज के साथ वसूली के सम्बंध में जब एक जनप्रतिनिधि ने नगर पालिका कर्मी से कुछ सवाल पूछा तो उस मामले को तिल का ताड़ बनाते हुए नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी ने सरकारी कार्य मे बाधा उतपन्न करने का मुकदमा जनप्रतिनिधि पर दर्ज कराने तथा वसूली कैम्प में सुरक्षा की गोहार स्थानीय पुलिस से लगा डाली। सवाल पूँछने की घटना के 30 घण्टे बाद नगर पालिका के कर्मचारी द्वारा अधिशाषी अधिकारी को दी गई विभागीय रिपोर्ट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी तथा साथ ही साथ प्रभारी निरीक्षक कोतवाली टाण्डा के नाम ईओ द्वारा हस्ताक्षरित प्रार्थना पत्र की कापी भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी।
सोशल मीडिया पर वायरल पत्र की प्रतिलिपि अध्यक्ष को प्रेषित है लेकिन अध्यक्ष रेहाना अंसारी ने इस तरह के किसी पत्र की जानकारी होने से इंकार कर दिया है। उक्त सम्बंध में टाण्डा कोतवाली निरीक्षक संजय कुमार पाण्डेय से वार्ता की गई तो उन्होंने भी इस तरह के पत्र प्राप्त होने से इनकार कर दिया।
घटना की वास्तविकता जानने के लिए मदरसा ऐनुल उलूम के आस पास भी जानकारी प्राप्त की गई तो पता चला कि 04 मार्च को वहां कैम्प लगा हुआ था तो स्थानीय लोगों ने नगर पालिका कर्मचारियों से हाउस टैक्स व वॉटर टैक्स वसूलने के सम्बंध में जारी आदेश की मांग किया लेकिन मौजूद कर्मचारियों द्वारा कोई आदेश नहीं दिखाया गया जिस के बाद स्थानीय लोगों में सभासद से शिकायत किया जिसके बाद सभासद शकील अंसारी मौके पर आए और कर्मचारियों से कहा कि जब हम लोगों ने ही पिछली बोर्ड में इसे निरस्त कर दिया था तो फिर वसूली क्यों की जा रही है जिस पर मौजूद आरआई सलमान खान ने कहा कि हम बोर्ड के बारे में कुछ नहीं जानते हैं और वसूली के लिए हमें ईओ ने भेजा है इसलिए हम वसूली कर रहे हैं। आक्रोशित सभासद ने कहा कि जब तक हमारे सवालों का जवाब नहीं मिल जाता तब तक आप हमारे वार्ड में कोई कैम्प नहीं लगाएंगे जिसके बाद नगर पालिका कर्मी वहां से हटकर मात्र चन्द कदम की ही दूरी पर ही शिविर लगा दिया था।
जनचर्चा है कि उक्त बात को ही लेकर नगर पालिका प्रशासन ने तिल को ताड़ बना डाला और मौलिक अधिकार के तहत सवाल पूंछने के बदले मुकदमा दर्ज करा कर आवाज़ को दबाने का प्रयास शुरू कर दिया गया।
टाण्डा कोतवाली निरीक्षक को सम्बोधित व नगर पालिका अध्यक्ष को प्रेषित प्रतिलिपि को सोशल मीडिया पर वायरल करना शुरू कर दिया गया लेकिन न तो कोतवाली निरीक्षक तक उक्त पत्र पहुंचाया गया और ना ही नगर पालिका अध्यक्ष को ही इस की भनक लगी है।
बहरहाल नगर पालिका प्रशासन दो खेमों में बंटा स्पष्ट नज़र आ रहा है जिसके कारण लोकतांत्रिक ढंग से सवाल पूंछने का हक जन प्रतिनिधियों से छीना जा रहा है तो आम लोगों का आक्या हाल होगा इसका आप स्वयं अंदाज़ा लगा सकते हैं और इसलिए ये बात भी कही जा सकती है कि टाण्डा नगर पालिका प्रशासन से सवाल पूंछोगे तो मुकदमा तो झेलना ही पड़ेगा।