मौलाना शफीक अहमद कासमी जलालपुरी पर विशेष रिपोर्ट

Sharing Is Caring:
सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now

हम जिंदगी को अपनी कहां तक संभालते,

इस कीमती किताब का कागज खराब था ।

आखिर वह दिन एक बार फिर आ गया जब मौलाना शफीक अहमद कासमी कभी न जागने वाली नींद सो गए थे हालांकि वह जिंदगी भर लोगों को जगाते रहे।   नाउम्मीद शख्स को उम्मीद का सबक पढ़ाते रहे।

जी हां, 19 दिसंबर 2013 का दिन जलालपुर कस्बा ही नहीं बल्कि पूरे जनपद अम्बेडकरनगर व उत्तर प्रदेश के लिए कुछ अजीब यादें छोड़ कर गुजर गया जिस दिन हंसने वालों को रोना पड़ा था और कहकहे सिसकियां बन गए थे मौका था मशहूर आलिमेदीन, लेखक कई सामाजिक व शैक्षिक संस्थानों के अगुवा धर्म विशारद और धर्म रतन उपाधि प्राप्त मौलाना शफीक अहमद कासमी के इंतकाल का। जिन्हें अभी नहीं जाना चाहिए था लेकिन धीरे-धीरे इस शख्सियत को अलविदा कहे छः वर्ष का अरसा गुजर गया जिन की छठवीं पुण्यतिथि पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन होगा। कुरान खानी के साथ मौलाना के ही हाथों कायम किए गए मौलाना आजाद गर्ल्स कालेज के परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मौलाना के सामाजिक साहित्यिक एवं अन्य खिदमत को शिद्दत से याद किया जाएगा। आपको बताते चलेंकि हज़रत मौलाना शफीक अहमद कासमी पड़ोसी जनपद आजमगढ़ जिले के ग्राम राजेपुर में पैदा हुए थे मगर परवरिश कस्बा जलालपुर में हुई थी प्रारंभिक शिक्षा एशिया के बड़े दीनी संस्थानों में शामिल दारुल उलूम देवबंद में हुई। इस्लामी शिक्षा के साथ-साथ धर्म रतन  और धर्म विशारद जैसी उपाधि प्राप्त किया। मौलाना ने अपनी पूरी जिंदगी  जलालपुर कस्बे को सौंप दिया था तथा वह यहां की इल्मी व साहित्यिक फिजा में अपनी खुशबू बिखेर कर हमेशा के लिए अमर हो गए। 63 वर्ष की आयु में 19 दिसंबर 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

  मदरसा कोर्स में चलती है किताबे–

जलालपुर के मदरसा करामतिया में शिक्षा देते हुए मौलाना शफीक ने अपनी 63 वर्षीय जिंदगी में आधा दर्जन से अधिक मजहबी किताबें लिखी उनकी लिखी किताबों में इमानी तकरीरे, हरमैन तक और चमन नाम की पुस्तकें शामिल है। इतना ही नहीं मौलाना की लिखी किताब हमारा दीन को कई मदरसों ने अपने कोर्स में शामिल कर लिया है।

प्रसिद्ध उर्दू बाजार को दिया था नाम

बताया जाता है कि नगर जलालपुर की प्रमुख बाजार में शामिल उर्दू बाजार को नाम देने का श्रेय मौलाना को ही जाता है तमसा की लहरों को छूती यह बाजार अपनी अनूठी पहचान रखती है । अपने कारनामे और सामाजिक खिदमत की वजह से  मौलाना रहती दुनिया तक याद किए जाते रहेंगे पूरे समाज को अपना परिवार समझने वाले मौलाना को इतनी जल्दी नहीं जाना चाहिए था या कसक आज भी लोगों में देखी जा रही है।

इंटर कालेज की स्थापना

 मौलाना शफीक का समाज की बच्चियों को उच्च शिक्षा का जेवर गहना पहनाने का सपना था इसलिए उन्होंने मौलाना आजाद के नाम से गर्ल्स इंटर कॉलेज की स्थापना की थी जो आज एक मान्यता प्राप्त इंटर कॉलेज के रूप में चल रहा है जहां मौलाना की पुण्यतिथि पर विविध आयोजन होंगे।

अन्य खबर

दरगाह किछौछा के वार्षिक उर्स व मेला को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए शनिवार को होगी महत्वपूर्ण बैठक

ब्लैकमेल कर दुष्कर्म करने वाले को पुलिस ने भेजा जेल

स्वास्थ विभाग के संविदा कर्मियों ने काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन

Leave a comment

error: Content is protected !!