बलिया (अखिलेश सैनी) सूख रहा हलख, जल रहा बदन, शरीर से टप-टप चू रहा पानी, गर्म हवाआें की मार से तड़प उठे प्राणी।
जी हां! आपने सही साेचा हम बात कर रहे हैं ज्येष्ठ माह यानि मई की गर्मी की। पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से पड़ी रही भीषण गर्मी ने लाेगाें का जीना मुश्किल कर रखा है। एक तरफ लाॅकडाउन व दूसरी तरफ आर्थिक तंगी उपर से भीषण गर्मी यह ताे पीछे खाईं व आगे कुआं का तर्ज है। बताते चलें कि राेज सुबह अंशुमाली के उदय हाेने से पूर्व तीव्र गर्मी का एहसास हाेने लग रहा है। सुबह के आठ बजते बजते हर इंसान पसीने में डूब जा रहा है। दाेपहर हाेते ही तेज धूप से धरती धर्रा उठती है ताे लू के थपेड़ाें के कारण घराें से बाहर निकलने में लाेग परहेज कर रहे हैं। अब गर्मी का मौसम लोगों पर भारी पड़ने लगा है। सुबह से ही आसमान में चिलचिलती धूप में घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। दिन की दोपहरी में सड़कों व बाजाराें में जहां सन्नाटा पसर जा रहा है। वहीं लू के थपेड़ों से बीमार पड़ने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। उमस भरी गर्मी से लोगों को पसीने से तरबतर होना पड़ रहा है।
मई माह की गर्मी सताने लगी है। पिछले चार-पांच दिन से पुरवा हवा चलने से उमस बढ़ गई है। घर व दफ्तर में लोग पूरे दिन पसीने से तरबतर हो रहे हैं। सिलिंग फैन भी गर्म हवा दे रहा है। इससे लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। मौसम की मार से लोगों का दिन का चैन और रातों की नींद हराम होने लगी है। घर से बाहर निकलने से पहले लोग सिर व मुंह को कपड़े से ढ़ककर ही बाहर निकल रहे हैं। दोपहर 12 से शाम चार बजे तक सड़कों पर सन्नाटा देखने को मिल रहा है। शाम होने के बाद भी अधिकांश लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। लाॅकडाउन की वजह व गर्मी से दिन में ग्राहकों की आवाजाही कम होने से कारोबारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या में प्रतिदिन इजाफा देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों की मानें तो बाहर खुले पेयपदार्थ व कटे फल का कदापि सेवन नहीं करें। धूप से लौटने के तुरंत बाद पानी का सेवन करने से भी बीमार होने की संभावना अधिक रहती है।