अम्बेडकरनगर: पवित्र माह रमज़ान के अंतिम शुक्रवार को होने वाली जुमा की नमाज़ को अलविदा की नमाज़ कहा जाता है, और रमज़ान माह की समाप्ति पर ईदगाहों व मस्जिदों में ईद की नमाज़ अदा की जाती है, लेकिन कोरोना की महामारी के कारण मस्जिदों में सिर्फ पांच व्यक्तियों को ही नमाज़ पढ़ने की अनुमति प्रशासन ने दिया है और ऐसे में जुमा (अलविदा) व ईद की नमाज़ के लिए अहले सुन्नत का प्रसिद्ध दारुल उलूम मदरसा मंज़रे हक टांडा ने दिशा निर्देश जारी करते हुए मुस्लिम समुदाय से उस पर अमल करने की अपील किया है। दूसरी तरफ प्रसिद्ध दारुल उलूम मदरसा कंजुल उलूम के प्रबंधक तुफैल अख्तर ने भी सभी मुस्लिम समुदाय से बाज़ारों में भीड़ ना लगाने एवं अलविदा व ईद की नमाज़ के लिए जारी दिशा निर्देशों का पालन करने की अपील किया है।
जारी अपील में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान अलविदा के दिन नमाज़ जुमा की नमाज़ जिस तरह होती थी उसी तरह अलविदा की नमाज़ अदा होगी, और बाकी सभी लोग अपने अपने घरों में जुमा की नमाज़ के बाद जोहर की नमाज़ अकेले-अकेले पढ़ें।
कोरोना की महामारी के दौरान जारी लॉकडाउन में ईद की सामूहिक नमाज़ ईदगाहों पर मुमकिन नहीं है इसलिए ईद की नमाज़ के बदले अपने घरों पर सूरज निकलने के बाद दो रकाअत नमाज़ नफिल, अथवा चार रकाअत नमाज़ चास्त पढ़ें। ईद की नमाज़ में होने वाली जायद तकबीर की जगह नफिल या चास्त की नमाज़ के बाद 34 बार ‘अल्लाह हो अकबर’ पढ़ें। मदरसा मंज़रे हक द्वारा जारी दिशा निर्देश में दावा किया गया है कि ईद की जगह नफिल या चास्त की नमाज़ पढ़ना हदीस शरीफ से साबित होता है, और ये सही भी है।
(चास्क की नियत करने का तरीका :- नीयत करता हूँ मैं चार रकाअत नमाज़ चास्त नफिल, वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहो अकबर) और इसी तरह से नफिल की नमाज़ की नीयत भी करें।
बहरहाल पवित्र माह रमज़ान अपने अंतिम चरण में है, मस्जिद व ईदगाहों में भीड़ जमा होने के कारण कोरोना महामारी (वबा) फैलने की संभावना के मद्देनजर बरेली व देवबन्द मसलक की तरफ से दिशा निर्देश जारी कर दिया गया है, और उस पर सभी मुसलमानों से अमल करने की अपील भी की गई है।