“प्रधानचार्य प्रधान कोटेदार की आपसी खींचातानी के कारण मिड-डे मील योजना का जमकर पलीता लगाया जा रहा है”
सर्वशिक्षा अभियान के तहत शासन द्वारा चलाई जा रही अति महत्वाकांक्षी मध्यान्ह भोजन योजना का अम्बेडकर नगर जनपद में खुला माखौल उड़ाया जा रहा है। प्रधानचार्य प्रधान कोटेदार की आपसी खींचातानी के कारण मिड-डे मील योजना का जमकर पलीता लगाया जा रहा है। उच्च अधिकारियों से शिकायत के बाद भी वर्षों से ताहापुर प्राथमिक विद्यालय का चूल्हा ठंडा पड़ा हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रामनगर शिक्षा क्षेत्र के ताहापुर प्राथमिक विद्यालय में गत एक वर्ष से मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है। लगभग 100 बच्चों वाले इस विद्यालय में मध्यान्ह भोजन ना बनने की शिकायत स्थानीय शिक्षा अधिकारी सहित उप जिलाधिकारी व जिलाधिकारी से भी की गई है लेकिन अभी तक यहां का चूल्हा गर्म होना नहीं शुरू हुआ। प्रधानचार्य अनुज दूबे का आरोप है कि कोटेदार गल्ला नहीं देता है जबकि कोटेदार का कहना है कि कोई लेने नहीं आता है। दूसरी तरफ प्रबन्ध कमेटी की अध्यक्ष का कहना है कि खाद्यान उनके घर पर रखा हुआ है। जानकारी के अनुसार प्रधान पति लेखपाल है तथा बड़े नेतओं व अधिकारियों से उसकी खूब बनती है जिसके कारण ताहापुर प्राथमिक विद्यालय में वर्षों से ठंडे पड़े मिड-डे मील के चूल्हे को जलाने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है और ना ही उच्च अधिकारी इस बात का संज्ञान ले रहे हैं। बिना नाम बताते एक शिक्षक ने बताया कि प्रधानाचार्य, प्रधान व कोटेदार के आपसी अहंकार के कारण विद्यालय में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था शुरू नहीं हो पा रही है।
बहरहाल एक वर्ष से ठण्डे पड़े ताहापुर प्राथमिक विद्यालय के मिडडे मील योजना के चूल्हे को आखिर कब आग नसीब होगी ये समय ही बताएगा फिलहाल विद्यालय के बच्चे मध्यान्ह भोजन का लाभ बिल्कुल नहीं उठा पा रहे हैं और प्रधानाचार्य, कोटेदार, प्रधान आदि मिल कर मोटी मलाई काट रहे हैं जबकि शिक्षा विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।
“क्या है मध्याह्न भोजन योजना”
मध्याह्न भोजन योजना, भारत सरकार की एक योजना है जिसके अन्तर्गत पूरे देश के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। नामांकन बढ़ाने, प्रतिधारण और उपस्थिति तथा इसके साथ-साथ बच्चों में पौषणिक स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से 15 अगस्त 1995 को केन्द्रीय प्रायोजित स्किम के रूप में प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पौषणिक सहायता कार्यक्रम शुरू किया गया था। अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कुल पहुँचते हैं, जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं, उन्हें भी दोपहर तक भूख लग जाती है और वे अपना ध्यान पढाई पर केंद्रित नहीं कर पाते हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने सभी प्रदेशों में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम अनिवार्य रूप से लागू किया है।