सूचना न्यूज़ Whatsapp Join Now
Telegram Group Join Now

अम्बेडकरनगर: टाण्डा तहसील मुख्यालय व टाण्डा कोतवाली के बगल मुख्य मार्ग पर संचालित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा टाण्डा में जेब कतरों का गिरोह काफी सक्रिय है और बैंक कर्मियों की हरकतों को देखकर ऐसा लगता है कि इन जेब कतरों को कहीं ना कहीं बैंक के अंदर से सहारा मिल रहा है।
जी हाँ, अगर आप टाण्डा के भारतीय स्टेट बैंक में जा रहे हैं तो बिल्कुल सावधान हो जाइए क्योंकि एसबीआई टाण्डा में चोरों लुटेरों जेब कतरों का गोरोह काफी सक्रिय है। ताज़ा मामला 06 जुलाई के है जहां मात्र पेंशन के सहारे अपनी गृहस्थी संभाल रहे बुजुर्ग दंपत्ति को उस समय बड़ा झटका लगा जब 78 वर्षीय सूर्य नारायण सिंह अपनी बुजुर्ग धर्मपत्नी के साथ एसबीआई की शाखा टाण्डा में दो माह की पेंशन 35 हज़ार रुपए निकाल कर एक झोला में रखा और घर वापस लौटने की तैयारी करने लगे लेकिन इसी दौरान बैंक के अंदर ही शातिर जेब कतरों चोरों ने उनके झोले पर बड़ा चीरा लगाकर सारा पैसा निकाल लिया और बुजुर्ग दंपत्ति को भनक तक नहीं लगी तथा पूरा पैसा लेकर शातिर चोर फरार हो गए अथवा बैंक के ही किसी कोने में दुबक गए जिसका बुजुर्ग दम्पत्ति को पता नहीं चल सका। एसबीआई की शाखा टाण्डा में स्वयं को ठगा महसूस कर रहे परेशान दंपत्ति ने जब बैंक कर्मियों सहित मैनेजर से भी शिकायत किया तो उनकी शिकायत को सब ने नज़र अंदाज़ कर दिया। शाखा प्रबन्ध अंशु प्रताप सिंह से पेंशन के सहारे जोवन काट रहे बुजुर्ग दंपत्ति नर हाथ जोड़ कर सीसीटीवी फुटेज चेक करने की गोहार लगाई लेकिन स्वयं को बड़ा रुतबा वाला अधिकारी मानने वाले श्री सिंह का दिल तनिक भो नहीं पसीजा और उन्होंने सीसीटीवी फुटेज देखने अथवा दिखाने से साफ इंकार कर दिया। एसबीआई की शाखा टाण्डा में ये कोई पहला हादसा नहीं है बल्कि इस तरह के हादसे के बाद बैंक कर्मीयों व प्रबंधक का रवैय्या मात्र टालमटोल वाला ही रहता है जिससे शक होता है कि शातिर चोरों का बैंक के अंदर बैठे लोगों से कोई ना कोई रिश्ता अवश्य है।
मात्र पेंशन के सहारे जीवन काट रहे बुजुर्ग दंपत्ति ने टाण्डा कोतवाली में भी तहरीर देकर न्याय की गोहार लगाई लेकिन समाचार लिखे जाने तक उनके प्रार्थना पत्र अथवा गोहार की कोई प्रगति रिपोर्ट नहीं प्राप्त हो सकी है। बतातये चलेंकि टाण्डा नागत क्षेत्र के मोहल्लाह कस्बा उत्तरी निवासी 78 वर्षीय सूर्यनारायण सिंह स्थानीय टीएपीजी कालेज में लिपिक थ चुके हैं और उक्त पेंशन के सहारे ही अपना जीवन व्यतीय कर रहे हैं और दो माह की पेंशन अचानक हाथ से निकल जाने से काफी आहत हैं। काफी कमजोर हो चुके बुजुर्ग दंपत्ति उक्त पेंशन की रकम से अपना इलाज भी कराते रहे हैं और अचानक पैसा गायब होने के कारण अब अपने स्वास्थ्य व भोजन को लेकर काफी चिंतित हैं।