अम्बेडकरनगर में बीते कई महीने से आंदोलन कर रहे राइस मिलरो ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला खाद्य विपणन अधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया और मौके पर पहुँचे एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। सरकारी धान की कुटाई करने से राइस मिलरों ने हाथ खड़ा कर लिया है। साथ ही प्रशासन पर जबरन जियो टैगिंग करने का आरोप लगाया है। राइस मिलरों की हड़ताल और धान की कुटाई न होने से धान खरीद पर काफी प्रभाव पड़ेगा। सरकार और राइस मिलरों की जंग में आम किसानों का नुकसान होना तय है।
बुधवार को जिला मुख्यालय पर बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए राइस मिलरों ने जिला खाद्य विपड़न अधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। पिछले महीने राइस मिलरों ने जिला खाद्य विपड़न अधिकारी को अपनी राइस मिलो की चाभी सौंपी थी। राइस मिलरों का आरोप है कि प्रशासन जबरन मिलो पर जाकर फोटो खींच कर जियो टैगिंग कर रहा है और राइस मिलरों को धमका रहे है। राइस मिलरों के मुताबिक क्रय केंद्रों पर जो धान खरीदा जाता है उस धान में 56 से 60% ही चावल की रिकवरी होती है। और सरकार राइस मिलरों से 67% चावल की रिकवरी ले रही है। जिससे राइस मिलरों का काफी नुकसान हो रहा है और राइस मिलर घाटे में जा रहा है। बीते दो साल से सरकार की तरफ से प्रति कुंतल धान की कुटाई में 20 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। जबकि 20 वर्षों से लेबर चार्ज, बिजली की कीमत डीजल की कीमत और मिल के पुर्जो में बेतहाशा वृद्धि हुई है। ऐसे में जो प्रोत्साहन राशि मिल रही है वह अनलोडिंग, चावल की भराई एवं लोडिंग में खर्च हो जाता है। इसलिए धान की कुटाई 250 रुपये प्रति कुंतल की जाए। बीते कई सालों से विभिन्न एजेंसियां राइस मिलर का भुगतान दबाए बैठी है। हड़ताल पर गए राइस मिलरों ने कहा जबतक मांगे नही पूरी होंगी तबतक सरकारी धान की कुटाई नही करेंगे। अब ऐसे में सरकार और राइस मिलरों की लड़ाई में आम किसान परेशान होने को मजबूर होगा.