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अंबेडकरनगर: उर्दू शायरी की दुनिया में अपने फन का लोहा मनवाने वाले उर्दू के प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी की पहली पुण्यतिथि पर टांडा स्थित सौदागर उर्दू मकतब सकरावल में नशिस्त का आयोजन किया गया। प्रसिद्ध शायर अतहर अब्दुल्लाह टांडवी की अध्यक्षता तथा अशहर सौदागर के संचालन में हुए शेरी नशिस्त का शुभारंभ नाते पाक से हुआ।कार्यक्रम में बुजुर्ग शायर अतहर अब्दुल्लाह टांडवी ने अपनी रचना का स्मृति चिन्ह मुख्य अतिथि शिक्षक मोहम्मद असलम खान को बतौर तोहफा भेंट किया। कार्यक्रम में सितारे उर्दू एवार्ड से सम्मानित मोहम्मद शफी नेशनल इंटर कॉलेज हंसवर के शिक्षक मोहम्मद असलम खान ने बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कहा कि राहत इंदौरी शायरी की दुनिया के अनमोल हीरा थे।उनके कलाम देशभक्ति और इंसानियत की खुश्बू से भरे हुए होते थे। उन्होंने अपनी शायरी से भारत ही नहीं विदेशों में भी धूम मचाई।अतहर अब्दुल्लाह टांडवी ने कहा कि कहा कि राहत साहब ने जिस प्रतिबध्दता के साथ न्याय मानवता और विश्व शांति की आवाज उठायी है वह अवर्णनीय है।अशहर सौदागर ने कहा कि इंदौरी साहब ने मुशायरे में नया मिजाज पैदा किया और उंहोने श्रोता और शायरों के बीच की दूरी को ढहा दिया था।उनके अनोखे अंदाज से मुशायरे के श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाया करते थे।शेरी नशिस्त में शमशाद अली मंज़री ने शेर पढ़ा हम इजहार ए हक के हैं कायल व गर ना,अदावत नहीं है हमें रहनुमा से।शिबली टांडवी ने कहा हौसला देखें हमारा जानकर अंजाम को, पत्थरों के शहर में हम आइना ले आए हैं।अशहर सौदागर ने कहा तीरगी में सफर रहा जारी, फिर हुआ यूं कि रौशनी से मिले।अतहर अब्दुल्लाह सौदागर ने कहा उलझा रहे यह खार ए मगीलां में उम्र भर,तेरी हया का रेशमी आंचल खुदा करे।अजमल टांडवी ने कहा जफा व जब्र तशद्दुद न इख्तियार करो, वफा खुलूस मोहब्बत को आशकार करो।गुफरान कमाली ने कहा हम अम्न -ओ- आशती के पुजारी हैं दोस्तो,नफरत का चिराग हम से जलाया न जाएगा।इस अवसर पर राशिद टांडवी, मोहम्मद रजा,हसन कमाल, मोहम्मद शादान आदि लोग मौजूद थे।

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