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अंबेडकरनगर। मरने वाले को इसाले सवाब यानी पुण्य पहुंचाने के अनेक तरीके हैं। मजलिस से पहले होने वाली कुरानख्वानी भी इसाले सवाब का जरिया है। इसके अलावा नमाज और नमाजे मगफिरत भी इसाले सवाब की एक शक्ल है।
उक्त विचार पड़ोसी जनपद अयोध्या के थाना गोशाईंगंज अंतर्गत ग्राम अमसिन खुर्द में रविवार को सैयद मसूद अख्तर आदि की ओर से मरहूमा कनीज सैय्यदा बिंते ख्वाजा जियारत हुसैन के इसाले सवाब के लिए आयोजित मजलिस को संबोधित करते हुए राजस्थान प्रांत के तारागढ़-अजमेर से आए
मौलाना सैयद गुलजार हुसैन जाफरी ने व्यक्त किया। झमाझम बारिश के बावजूद अजादारों की प्रयाप्त संख्या में उपस्थिति रही। मौलाना ने आगे कहा कि सदका, खैरात व जकात की रकम से भी अपने मृत स्वजनों की रुह को राहत पहुंचाई जा सकती हैै। लेकिन इन तमाम आमाल में जो अजमत तथा अहमियत मजलिसे अजा की है वह किसी अन्य में नहीं है। दलील यह है कि मजलिसे अजा में मासूम की शिरकत होती है, बल्कि इससे बीबी फात्मा जहरा के दिल को करार हासिल होता है। मौलाना सईद हसन ने तिलावत से मजलिस का आगाज किया। तत्पश्चात मुजफ्फरनगर के प्रसिद्ध सोजख्वान अली हसन ने बेहतरीन सोज प्रस्तुत कर लोगों को प्रभावित किया। जबकि शायर असर अकबरपुरी वह आरिफ अनवर ने पेशख्वानी किया। सैयद आजाद हुसैन, महमूद अख्तर, मसरूर अख्तर, मंसूर अख्तर, मुहम्मद अख्तर मूसा, ख्वाजा शफाअत हुसैन, यासूब अब्बास, अली अब्बास, अरमान, असजद रिजवी, समद रिजवी आदि की मौजूदगी रही।

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